Amarmani Tripathi News: प्रदेश में आ गया था सियासी भूचाल, मधुमिता हत्याकांड में इस तरह फंसे अमरमणि और मधुमणि

Amarmani Tripathi News: इस हत्याकांड की जांच पहले सीबी-सीआईडी को सौंपी गई थी मगर बाद में हाई प्रोफाइल मामला होने और विपक्ष के लगातार हंगामे के कारण इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

Update:2023-08-25 12:17 IST
Madhumita Murder Case

Amarmani Tripathi News: ये वह तारीख है जब लखनऊ में हुए एक मर्डर से सत्ता के गलियारों में सनसनी फैल गई थी। इस दिन लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में युवा कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मधुमिता हत्याकांड में प्रदेश के बाहुबली माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का नाम आने के कारण यूपी की सियासत में भूचाल आ गया था।

इस हत्याकांड की जांच पहले सीबी-सीआईडी को सौंपी गई थी मगर बाद में हाई प्रोफाइल मामला होने और विपक्ष के लगातार हंगामे के कारण इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। मधुमिता की बहन निधि ने इस मामले में अमरमणि त्रिपाठी उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी और उनके गुर्गों को सजा देने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। तमाम धमकियों के बावजूद निधि ने अपनी जंग जारी रखी जिसके परिणामस्वरूप अमरमणि और उनकी पत्नी समेत पांच लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। अब इस मामले में 20 साल की सजा काटने के बाद अच्छे आचरण के आधार पर अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई का आदेश जारी हुआ है जो प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।

इस तरह चर्चित हुई मधुमिता शुक्ला

इस हत्याकांड की पूरी कहानी जानने के लिए सबसे पहले कवयित्री मधुमिता शुक्ला के बारे में जानना जरूरी है।1999 के साल में लखीमपुर खीरी के छोटे से कस्बे की रहने वाली मधुमिता शुक्‍ला उभरती हुई कवयित्री के रूप में सामने आईं। मधुमिता शुक्ला को काफी तेजतर्रार माना जाता था और वे राजनीतिक के साथ ही सामाजिक मुद्दों को भी उठाती थीं।

विभिन्न मुद्दों को अच्छे ढंग से उठाने और कवि सम्मेलनों में शानदार अंदाज में कविता पढ़ने के कारण मधुमिता शुक्ला जल्द ही कई कवि सम्मेलनों के साथ-साथ ही राजनीतिक कार्यक्रमों में भी पूरी तरह छा गई।

1999 में हुई अमरमणि से मुलाकात

इसी दौरान नवंबर 1999 में युवा मधुमिता शुक्ला की मुलाकात उस दौर के कद्दावर नेता माने जाने वाले अमरमणि त्रिपाठी से हुई। उस समय अमरमणि त्रिपाठी नौतनवा से विधायक थे। सियासी अखाड़े में उन्हें मजबूत पहलवान माना जाता था और वे कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकारों में पहले से ही काम कर चुके थे।

अमरमणि त्रिपाठी की छवि बाहुबली विधायक वाली थी और वे उस दौर की स‍ियासत में हर बदलती सत्ता का महत्‍वपूर्ण हिस्सा हुआ करते थे। लगातार छह बार विधायक रहे अमरमणि की विरासत को ऐसे समझा जा सकता है क‍ि उन्हें इतनी ताकत हासिल थी कि वे जेल से भी चुनाव लड़कर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे।

अमरमणि और मधुमिता के नजदीकी रिश्ते

मुलाकात के बाद मधुमिता के जल्द ही अमरमणि त्रिपाठी के साथ नजदीकी रिश्ते बन गए। अमरमणि त्रिपाठी पहले से ही शादीशुदा और बाल बच्चे वाले थे मगर वे मधुमिता को दिल दे बैठे। मधुमिता के मन में भी राजनीतिक रसूख वाले अमरमणि त्रिपाठी के प्रति आकर्षण पैदा हो गया। मधुमिता ने अपनी डायरी में अमरमणि के साथ अपने प्रेम संबंधों का जिक्र भी किया है।

इस तरह हुई मधुमिता की हत्या

मधुमिता और अमरमणि के बीच नजदीकी रिश्तों की इस कहानी के बाद 9 में 2003 को एक दिल दहलाने वाली घटना हुई। मधुमिता अपने घरेलू सहायक देशराज लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी स्थित घर में थीं। तभी दोपहर करीब 3 बजे दरवाजे पर दस्तक हुई। दो आदमी मधुमिता की तलाश में घर पर पहुंचे थे। उनमें से एक ने अपना नाम सत्य प्रकाश बताते हुए फिर से कवयित्री से मिलने का अनुरोध किया।

इस पर देशराज अंदर गया और अपनी मालकिन को उन दोनों व्‍यक्‍त‍ियों के बारे में बताया। वे बाहर आईं और उन्हें कमरे में बैठने को कहा और देशराज से चाय बनाने को कहा। जब देशराज चाय लेकर आया तो मधुमिता ने उसे किचन में जाकर वहीं रहने को कहा। इसी बीच गोली चलने की तेज आवाज आई और देशराज जब मौके पर पहुंचा तो उसने देखा कि मधुमिता खून से लथपथ पड़ी हैं और घर आने वाले दोनों व्यक्ति वहां से फरार हो चुके थे।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ सनसनीखेज खुलासा

बाद में पुलिस के पहुंचने पर देशराज ने मधुमिता और उस समय के कद्दावर नेता अमरमणि त्रिपाठी के बीच प्रेम संबंधों की जानकारी पुलिस को दी थी। देशराज की ओर से यह जानकारी दिए जाने के बाद पुलिस अफसरों ने पूरे मामले की जानकारी शासन को दी। मधुमिता के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद शव को लखीमपुर भेज दिया गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मधुमिता के प्रेग्नेंट होने की जानकारी सामने आई। उसके गर्भ में छह महीने का बच्चा पल रहा था। डीएनए जांच में पता चला कि मधुमिता के पेट में पल रहा बच्चा यूपी के बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी का है। हालांकि अमरमणि त्रिपाठी लगातार मधुमिता से अपने अंतरंग संबंधों के दावों को खारिज करते रहे। उनका कहना था कि उनका मधुमिता से सिर्फ परिचय था कोई आंतरिक संबंध नहीं।

अमरमणि डाल रहे थे गर्भपात का दबाव

शुरुआत में इस मामले में पुलिस ने अमरमणि को बचाने की पूरी कोशिश की और एफआईआर में उनका नाम भी नहीं लिखा गया। दूसरी ओर मधुमिता की डायरी से उसके अमरमणि के साथ अंतरंग संबंधों का खुलासा हुआ था। मधुमिता दो बार गर्भपात करा चुकी थी और तीसरी बार भी अमरमणि त्रिपाठी की ओर से मधुमिता पर गर्भपात करने का दबाव डाला जा रहा था मगर इस बार उसने गर्भपात करने से इनकार कर दिया था।

मधुमिता की हत्या के पांच महीने बाद अमरमणि त्रिपाठी को इस सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाद में इस मामले में उनकी पत्नी मधुबनी त्रिपाठी की संलिप्तता भी सामने आई। इस मामले में गवाहों को धमकाने और राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल किए जाने की शिकायतों पर बाद में इस मामले को उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया गया था।

बहन ने लड़ी जंग और अमरमणि को सजा

देहरादून फास्‍ट ट्रैक कोर्ट ने काफी तेजी से इस मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने अमरमणि, मधुमणि समेत चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुना दी। दोषियों में से प्रकाश पांडे को संदेह की वजह से बरी कर दिया गया। मुकदमा नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचा। जुलाई 2011 कोर्ट ने बाकी चारों की सजा को बरकरार रखते हुए प्रकाश पांडे को भी उम्र कैद की सजा सुनाई। इस मामले में राहत पाने के लिए अमरमणि त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया मगर वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली। अमरमणि को सजा दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका मधुमिता के बहन निधि की रही जिसने दबावों के आगे झुकने से इनकार करते हुए लंबी लड़ाई लड़ी। अब इस हत्याकांड के करीब 20 साल बाद अमरमणि की रिहाई होने वाली है और इसे लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

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