Ambedkarnagan District Panchayat President Election: क्या धन बल के सहारे एक बार फिर टूटेगी दलीय प्रतिबद्धताएं
श्याम सुंदर वर्मा उर्फ साधू वर्मा ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भले ही ग्रहण कर ली है लेकिन आज भी राजनीतिक हलके में उन्हें पूर्व मंत्री लालजी वर्मा का ही करीबी माना जा रहा है। जन चर्चा है कि साधू वर्मा कभी भी लालजी वर्मा से अलग नहीं हो सकते। ऐसे में यदि वह अध्यक्ष बनते हैं तो परोक्ष रूप से जिला पंचायत पर लालजी वर्मा का ही कब्जा होगा।
Ambedkarnagar News: अध्यक्ष, जिला पंचायत के पद के लिए चुनाव का बिगुल बज चुका है। नामांकन वापसी की अंतिम समय सीमा समाप्त होने के बाद अब तीन जुलाई को मतदान होना है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या इस चुनाव में धनबल का बोलबाला होगा। क्या दलीय प्रतिबद्धताएं फिर तार-तार होंगी अथवा लोगो मे दलों के प्रति निष्ठा कायम रहेगी। ये ऐसे सवाल हैं जो मौजूदा समय में सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। संख्या बल के हिसाब से देखा जाए तो समाजवादी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी से काफी आगे है।
चार सदस्यों के सहारे भाजपा लड़ेगी चुनाव
भारतीय जनता पार्टी के महज दो प्रत्याशी ही उसके समर्थन से चुनाव जीतने में सफल हो सके थे तथा बाद में वर्तमान प्रत्याशी साधु वर्मा व उर्मिला सिंह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भारतीय जनता पार्टी की अपनी संख्या केवल चार है। इन्ही चार सदस्यों के सहारे भारतीय जनता पार्टी जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए जादुई 22 मतों को पाने का पूरा दावा कर रही है। यदि ऐसा होता है तो जिला पंचायत का सदस्य बने विभिन्न दलों के लोगों की दलीय प्रतिबद्धताएं हर हाल में टूटेगी। धनबल का बोलबाला होगा जिससे लोकतंत्र मजबूत नहीं हो सकता। श्याम सुंदर वर्मा उर्फ साधू वर्मा ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भले ही ग्रहण कर ली है लेकिन आज भी राजनीतिक हलके में उन्हें पूर्व मंत्री लालजी वर्मा का ही करीबी माना जा रहा है। जन चर्चा है कि साधू वर्मा कभी भी लालजी वर्मा से अलग नहीं हो सकते। ऐसे में यदि वह अध्यक्ष बनते हैं तो परोक्ष रूप से जिला पंचायत पर लालजी वर्मा का ही कब्जा होगा। इन परिस्थितियों में बहुजन समाज पार्टी का मौजूदा नेतृत्व लालजी वर्मा को मजबूत होते किसी भी स्थिति में नहीं देखना चाहता।
3 जुलाई को आएगा अंतिम परिणाम
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने भले ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया है। लेकिन बसपा ने अभी तक खुलकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सूत्रों की माने तो बसपा खेमा लाल जी वर्मा के निकट रहने वाले साधू वर्मा को जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने से रोकने के लिए हर कोशिश आजमाएगा। इस कोशिश में उसे कितनी सफलता मिल सकती है अथवा वह विफल साबित होता है, यह तो 3 जुलाई को अंतिम परिणाम सामने आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जिला पंचायत से लेकर क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में जिस प्रकार से मुंह की खाई तथा वह जिस प्रकार से जिला पंचायत अध्यक्ष तथा ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी के लिए विभिन्न दलों के नेताओं को आयात कर उन्हें प्रत्याशी बनाने की होड़ में लगी हुई है क्या इसे स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित कहा जा सकता है। फिलहाल मौजूदा परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जिला पंचायत के साथ-साथ ब्लाक प्रमुखों की कुर्सियों पर हर हाल में काबिज होने का सपना संजो रखी है।