मोदी के बनारस में सर सैयद ने देखा था AMU का सपना, ऐसे पड़ी नींव

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राबत अबरार ने बताया कि सर सैय्यद के जेहन में विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब बनारस में देखा था. उन्होंन कहा था कि हम मदरसा या कालेज नहीं बल्कि विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं.

Update:2020-12-22 09:50 IST
मोदी के बनारस में सर सैयद ने देखा था AMU का सपना, ऐसे पड़ी नींव

लखनऊ: एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन में प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस की अहम भूमिका है. बनारस में ही रहकर उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैंम्ब्रिज जैसा विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब देखा था । उनके आपको तामीर करने की पहल भी तत्कालीन काशी नरेश राजा शंभू नारायण ने की थी उन्होंने सर सैयद अहमद से कहा था कि वह विश्वविद्यालय की नींव डालें उनकी हर तरह से मदद की जाएगी ।

सन् 1864 से 1876 तक सर सैयद अहमद खान बनारस में जज के तौर पर तैनात रहे। जब सेवानिवृत्त होकर अलीगढ आए तो एमएओ कॉलेज की स्थापना की. समारोह के लिए काशी नरेश राजा शंभू नारायण ने शामियाने की व्यवस्था की. बताते हैं कि वह बनारस में नौकरी के दौरान ही सर सैयद अहमद अपने पुत्र सैयद हामिद और सैयद महमूद सहित इंग्लैंड की यात्रा पर गए थे.

ये भी पढ़ें: बहुत खासियतें समेटे है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, यहां प्वाइंट्स में समझिए

इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने पहले मदरसा और फिर कॉलेज की स्थापना की . वे ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज के तर्ज पर देश में भी मॉडर्न शिक्षा के पक्षधर थे. उन्होंने अपना सपना काशी नरेश राजा शंभू नारायण के संपर्क में रहे. काशी नरेश से उनकी गहरी मित्रता थी. जब कॉलेज की स्थापना हुई तो राजा शंभू नारायण भी मौजूद रहे. उस समय बनारस की अपेक्षा अलीगढ आधुनिक नहीं था. यहां संसाधन कम थे. काशी नरेश राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर भी स्ट्रेटी हॉल में लगा हुआ है.

[video data-width="640" data-height="640" mp4="https://newstrack.com/wp-content/uploads/2020/12/WhatsApp-Video-2020-12-22-at-08.55.32.mp4"][/video]

सर सैय्यद का बनारस से संबंध

एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह में मंगलवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करेंगे तो एएमयू का बनारस से दोस्ताना रिश्ता एक बार फिर ताजा हो उठेगा। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज को एएमयू का आधार माना जाता है। सर सैयद अहमद ने जब इस कॉलेज की नींव रखी तो अलीगढ़ उस समय बनारस के मुकाबले आधुनिक नहीं था. अलीगढ़ में संसाधन कम थे. तब वो कॉलेज की स्थापना के समारोह में काशी के राजा शंभू नारायण ने अपना शाही शामियाना उपलब्ध कराया था. राजा शंभू नारायण के नाम का एक पत्थर भी आज विश्वविद्यालय के स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. इस तरह से बनारस और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का आपस में गहरा संबंध है.

बनारस में विश्वविद्यालय बनाने का सपना देखा

एएमयू के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राबत अबरार ने बताया कि सर सैय्यद के जेहन में विश्वविद्यालय बनाने का ख्वाब बनारस में देखा था. सन् 1873 में मोहम्मडन एग्लो ओरियंटल कालेज फंड कमेटी की पहली मीटिंग बनारस में ही रखी थी. तब उन्होंन कहा था कि हम मदरसा या कालेज नहीं बल्कि विश्वविद्यालय बनाने जा रहे हैं. सर सैय्यद अहमद खान का विश्वविद्यालय बनाने का नजरिया बनारस में ही जन्मा था.

एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद खान(File Photo)

जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार की माने तो बनारस के राजा शंभू नारायण के साथ सर सैयद की गहरी मित्रता ही थी. काशी के राजा शंभू नारायण ने एमएओ में एक स्कॉलरशिप भी शुरू की थी. 8 जनवरी सन् 1877 में काशी नरेश शंभू नारायण एमएओ कालेज के उद्घाटन समारोह में भी शामिल हुए तो इस कार्यक्रम में वायसराय लॉर्ड लिटन को भी आना था.

ये भी पढ़ें: गौरवशाली इतिहास और विवाद का AMU, जानिए इसके बारे में…

अलीगढ़ छोटा शहर था और सर सैयद अहमद ने उन्हें अपनी परेशानी बताई तो कॉलेज के उद्घाटन के लिए शामियाना और क्रॉकरी की व्यवस्था बनारस नरेश ने ही की थी. इस समय के वायसराय लार्ड लिटन के साथ 10 लोगों के लंच में काशी नरेश भी शामिल थे. काशी नरेश शंभू नारायण ने सर सैयद अहमद खान को पांच सौ रुपये का चंदा दिया था. जिसका एक पत्थर आज भी स्ट्रेची हॉल में लगा हुआ है. वही मदन मोहन मालवीय भी सर सैयद अहमद खान से प्रभावित है. मदन मोहन मालवीय ने सर सैयद की मौत पर श्रद्धांजलि लेख भी लिखा था.

बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता पुराना

एएमयू जनसंपर्क विभाग के राहत अबरार बताते हैं कि बनारस और अलीगढ़ का गहरा रिश्ता रहा है. महमूदुर्रहमान जब एएमयू के वाइस चांसलर थे. तब बनारस यूनिवर्सिटी ने महमूदुर्रहमान को मानद उपाधि से सम्मानित किया था. वही ऐसे शिक्षक भी एएमयू में मौजूद है. जो बीएचयू से पढ़ एएमयू में पढ़ा रहे हैं. बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी है. जो कि शताब्दी समारोह को संबोधित करने जा रहे हैं. राहत अबरार बताते है कि बनारस से अलीगढ़ का रिश्ता बहुत पुराना है. जो कि सर सैयद अहमद खान के समय से चला आ रहा है.

अखिलेश तिवारी

Full View

Tags:    

Similar News