योगी सरकार की अपीलः हड़ताल न करें बिजलीकर्मी, इस पर करें अमल

 प्रवक्ता ने कहा सितंबर माह में लगभग 42 सौ करोड़ के करीब राजस्व प्राप्त हुआ है। अतः 6 माह में 54 सौ करोड़ प्रतिमाह करोड़ प्रतिमाह की दर से राजस्व वसूली सुनिश्चित की जाए। इस लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल किया जा सकता है।

Update: 2020-10-06 09:19 GMT
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लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की प्रान्त व्यापी आन्दोलन की नोटिस के संबंध में प्रदेश सरकार ने अपील की है कि प्रदेश की जनता के हितों एवं विभाग के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए कार्य बहिष्कार/हड़ताल जैसी कोई कार्यवाही न करें। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश की जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए विश्वास दिलाना चाहती है कि ऊर्जा विभाग के सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों का विभागीय नियमों के तहत ध्यान रखा जाएगा।

जनता से मांगा सहयोग

प्रदेश सरकार ने जनता से भी अपील की है कि अपरिहार्य स्थिति में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के ऐसे किसी अवैधानिक कार्य बहिष्कार/हड़ताल का उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सामना करने की स्थिति में धैर्य बनाए रखे। सरकार को सहयोग करे।

सरकारी प्रवक्ता ने कहा है कि वर्तमान में शासन/प्रशासन कोविड महामारी से जूझ रहा है विद्युत सेवाएं आवश्यक सेवाएं हैं तथा उन्हें बाधित करना गैर कानूनी है, अतः संघर्ष समिति के द्वारा उत्पन्न की जा रही स्थिति स्वीकार्य नहीं है।

प्रवक्ता ने बताया कि फिलहाल जो हालात हैं उनमें ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के स्तर पर पांच अक्टूबर को संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों से वार्ता की गई थी जिसमें कोई ठोस नतीजे नहीं निकले हैं और संघर्ष समिति के सदस्य अपनी बात पर अड़े हुए हैं।

संघर्ष समिति की जिद

संघर्ष समिति के सदस्य इस बात पर अड़े हैं कि राज्य सरकार एवं प्रबंधन यह लिखित आश्वासन दे कि निजीकरण के प्रस्ताव को तत्काल निरस्त किया जाए। आगे भी वर्तमान स्थिति में किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए कर्मचारियों को विश्वास में लिया जाए।

राजस्व वसूली के मुद्दे पर संघर्ष समिति द्वारा यह कहा गया कि यह हमारा विषय नहीं है यह प्रबंधन की जिम्मेदारी है इसमें कर्मचारी केवल सहयोग प्रदान कर सकते हैं।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा निजी करण के प्रस्ताव के विरोध में सरकार को दी गई नोटिस में पांच अप्रैल 2018 को संगठन और ऊर्जा मंत्री के बीच हुए समझौते का हवाला दिया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि इस समझौते के अनुसार ही आगे की कार्यवाही की जाए।

क्या था समझौता

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के साथ 5 अप्रैल 2018 को हुए समझौते में कहा गया है उत्तर प्रदेश विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जाएगी।

अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजी करण नहीं किया जाएगा।

इस संबंध में प्रबंधन का यह कहना है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त समिति ने समझौते का खुद ही उल्लंघन किया और घाटे में कमी लाने के लिए जो कार्यवाही होनी चाहिए थी वह नहीं हुई है।

संघर्ष समिति द्वारा प्रबंधन से इस समझौते के संबंध में कभी अपने सुझाव भी साझा नहीं किये गए। ना ही कोई ठोस लक्ष्य सुधार हेतु उन्होंने दिए। बल्कि 5 अक्टूबर 2020 से सभी उत्पादन ग्रहों व केंद्रों में पाली में कार्यरत बिजली कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार से मुक्त रखते हुए पूर्ण कार्य बहिष्कार की नोटिस दे दी।

इतना है घाटा

इस क्रम में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड के स्तर पर दो चरणों में वार्ता हुई है। प्रबंधन द्वारा समिति के सदस्यों से यह कहा गया कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लगभग 60 हजार करोड़ की बिजली प्रतिवर्ष खरीदता है। जिसमें अधिष्ठान, अनुरक्षण, ऋण की अदायगी एवं अन्य व्यय को शामिल करते हुए 2020-21 में लगभग 77000 करोड का व्यय अनुमानित है।

अतः यह आवश्यक है कि 60 हजार करोड़ के सापेक्ष कम से कम 50 हजार करोड़ की राजस्व वसूली 2020-2021 में हो जबकि सितंबर 2020 के अंत तक 18000 करोड का का राजस्व प्राप्त हुआ है। इस प्रकार जो बचे छह माह हैं इनमें 32 हजार करोड़ की न्यूनतम राजस्व वसूली अपेक्षित है।

मुश्किल नहीं है लक्ष्य

प्रवक्ता ने कहा सितंबर माह में लगभग 42 सौ करोड़ के करीब राजस्व प्राप्त हुआ है। अतः 6 माह में 54 सौ करोड़ प्रतिमाह करोड़ प्रतिमाह की दर से राजस्व वसूली सुनिश्चित की जाए। इस लक्ष्य को बड़ी आसानी से हासिल किया जा सकता है।

प्रबंधन ने यह भी कहा है कि निजी करण की निविदा प्रक्रिया लंबी है। इसमें विभिन्न स्तरों पर जैसे मंत्री परिषद, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग एवं कंपनी रजिस्ट्रार राज्य स्तर पर औपचारिकताएं पूरी कर अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाही होगी। इस प्रक्रिया में लगभग आठ नौ माह का समय लगेगा।

अतः पर्याप्त समय है यदि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्य मिलकर सुधार का बीड़ा उठाएं और अपने संगठनों के माध्यम से विद्युत सेवाओं में सुधार करते हुए राजस्व वसूली बढ़ाएं तो यह लक्ष्य प्राप्त करना कोई मुश्किल काम नहीं।

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