अब ओवैसी यूपी में बढ़ा रहे ताकत, BJP की तर्ज पर शुरू की गठबंधन की राजनीति
ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग कर चुके हैं। वह भाजपा की तर्ज पर अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने लगे हैं। भाजपा का जनाधार जहां नहीं रहता है वह वहां के छोटे दलों के साथ गठबन्धन कर चुनाव लड़ती रही है।
लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई पड़ते ही राजनीतिक दलों में गरमाहट दिखने लगी है। गठबन्धनों की संभावनाओं का दौर भी शुरू हो रहा है। आज इसी सिलसिले असदुद्दीन ओवैसी ने लखनऊ में सुहेलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात कर नए गठबन्धन की नींव रखी। वह जल्द ही कुछ और छोटे दलों के साथ बातचीत कर गठबन्धन को अंतिम रूप देंगे।
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ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग कर चुके हैं
दरअसल ओवैसी बिहार विधानसभा चुनाव में यह प्रयोग कर चुके हैं। वह भाजपा की तर्ज पर अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने लगे हैं। भाजपा का जनाधार जहां नहीं रहता है वह वहां के छोटे दलों के साथ गठबन्धन कर चुनाव लड़ती रही है। अब यही प्रयोग ओवैसी कर रहे हैं।
6 पार्टियों को शामिल कर इसे डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था
ओवैसी ने बिहार में बसपा, समाजवादी जनता दल लोकतांत्रिक सहित 6 पार्टियों को शामिल कर इसे डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाया था। जिसने विधानसभा चुनाव में मिलकर एनडीए का मुकाबला किया। बिहार चुनाव में ओवैसी की आईएमआईएम 18 सीट, आरएलएसपी 104 सीटों पर और 80 सीटों पर मायावती की पार्टी मैदान में उतरी थी। एआईएमआईएम को बिहार में पहली सफलता पिछले साल हुए उपचुनावों में मिली जब उसने किशनगंज विधानसभा सीट जीती।
ओवैसी इसी तरह का गठबन्धन राजस्थान में भी करना चाह रहे हैं। उन्होंने वहां पर बीटीपी के साथ गठबंधन करने की तैयारी कर ली है। इस पार्टी का असर आदिवासी क्षेत्रों में काफी है। जिससे कांग्रेस और भाजपा का 50 सीटों पर गणित बिगड़ सकता है।
अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भी उतरने का फैसला लिया है
यही नहीं गठबन्धन की राजनीति के सहारे ओवैसी ने अगले साल होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में भी उतरने का फैसला लिया है। वह दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत रजनीकांत की पार्टी ऑल इंडिया मक्कल सेवई कटची के साथ औवेसी गठबन्धन की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा वह मक्कल निधि मय्यम के अध्यक्ष कमल हासन के साथ भी गठबन्धन की तैयारी में है। कमलहासन पहले ही कह चुके है कि अगर रजनीकांत को उनकी जरूरत पड़ी तो वह मदद करने को तैयार हैं।
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जहां तक यूपी की बात है तो यहां पर छोटे दलों का प्रयोग पिछले कई चुनावों में होता रहा है। हाल ही में सपा से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव कह चुके हैं कि वह ओवैसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। शिवपाल यह भी कह चुके हैं कि जितनी भी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां हैं, हम उन सभी पार्टियों से बात करेंगे।
रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री
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