आशियाना गैंगरेप : गौरव की जमानत याचिका कोर्ट ने की खारिज 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहुचर्चित आशियाना गैंगरेप मामले में जेल में सजा भुगत रहे गौरव शुक्ला को जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए गुरूवार को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। शुक्ला को राजधानी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 18 अप्रैल 2016 को दोषी करार देते हुए उन्हें दस साल की सजा सुनाई थी। 

Update:2018-11-29 21:16 IST

लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बहुचर्चित आशियाना गैंगरेप मामले में जेल में सजा भुगत रहे गौरव शुक्ला को जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए गुरूवार को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। शुक्ला को राजधानी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 18 अप्रैल 2016 को दोषी करार देते हुए उन्हें दस साल की सजा सुनाई थी।

यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस मनीष माथुर की बेचं ने गौरव की अपील के साथ दाखिल जमानत अर्जी निस्तारित करते हुए पारित किया।

फास्ट ट्रैक द्वारा शुक्ला के सुनायी गयी सजा के खिलाफ उस ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर रखी है। अपील के विचाराधीन रहने के दौरान गौरव शुक्ला की ओर से जमानत पर रिहा किए जाने की अर्जी हाईकोर्ट के समक्ष दाखिल की गई थी।

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गौरव शुक्ला की ओर से पेश जमानत अर्जी पर उसके वकील नागेंद्र मोहन का तर्क था कि मेडिकल साक्ष्य पीड़िता के बयानों से मेल नहीं खा रहे और न ही बताए जा रहे चोटों की पुष्टि करते हैं। यह भी कहा गया कि इस मामले के अन्य सह अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एम एम पांडे व अपर शासकीय अधिवक्ता नंदप्रभा शुक्ला ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्त लम्बे समय तक खुद को नाबालिग बताकर न्यायिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करता रहा था तथा यह भी दलील दी कि पीड़िता का बयान अपीलार्थी गौरव के खिलाफ है जिसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। तर्क दिया गया कि गौरव ने अपने साथियों के साथ मिलकर जिस प्रकार की क्रूरता दुराचार पीड़िता के साथ की थी, उसे देखते हुए, गौरव को जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं होगा। सरकार की ओर से यह भी तर्क दिया गया कि विचारण कोर्ट ने गौरव को उसके अपराध की गंभीरता की तुलना में कम सजा सुनायी थी जिसके खिलाफ सरकार की ओर से अपील दायर कर सजा बढ़ाने की मांग की गयी है।

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उल्लेखनीय है कि इस मामले में कुल छह आरोपी थे। इनमें से तीन आरोपियों भारतेंदु मिश्र व अमन बक्शी को 10-10 साल व फैजान उर्फ फज्जू को उम्र कैद की सजा पहले ही सुना दी गई थी। जबकि किशोर घोषित होने के बाद दो अपचारियों की मौत हो गई थी।

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दरअसल 2 मई, 2005 को आशियाना इलाके में घरों में काम करने वाली एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक दुराचार की वारदात हुई। वह अपना काम निपटा कर अपने भाई के साथ वापस घर लौट रही थी। तभी नागेश्वर मंदिर के पास पराग डेयरी की तरफ से एक सैंट्रो कार आकर रुकी। जिसमें से तीन लोग उतर कर आए और लड़की को उठा ले गए जबकि उसका भाई चिल्लाता रहा। घर आकर पीड़िता के भाई ने इस बात की जानकारी अपने पिता को दी। जिसके बाद मामला पुलिस के संज्ञान में आया। विवेचना में पीड़िता के साथ गैंगरेप की पुष्टि हुई। 10 मई, 2006 को सभी मुल्जिमों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया।

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