Balrampur Hospital ने किया कमाल! लड़की को बचपन से थी बाल खाने की आदत, ऑपरेशन से निकाले गए दो किग्रा बाल

गुरुवार को राजधानी के बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) में एक लड़की का ऑपरेशन किया गया, जिसके अमाशय से दो किलोग्राम का बालों का गुच्छा निकला।

Written By :  Shashwat Mishra
Published By :  Ashiki
Update:2021-09-02 22:26 IST

ऑपरेशन से निकाले गए दो किग्रा बाल

लखनऊ: गुरुवार को राजधानी के बलरामपुर अस्पताल (Balrampur Hospital) में एक लड़की का ऑपरेशन किया गया, जिसके अमाशय से दो किलोग्राम का बालों का गुच्छा निकला। इस ऑपरेशन को अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. एस.आर. समद्दर (Dr. S.R. Sammddar) और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। बता दें कि अमाशय में बालों का गोला बन जाने के कारण खाना अमाशय के नीच छोटी आंत मे नहीं जा पाता था, जिसके कारण खाने के बाद उल्टी हो जाती थी। इससे मरीज अत्यन्त दुर्बल हो गई थी। मरीज का वजन 32 किलो हो गया था।

दो किलो का निकला बालों का गुच्छा

इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करने वाले बलरामपुर अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ. एस.आर. समद्दर ने बताया कि 17 वर्षीय लड़की का ऑपरेशन करने पर दो किलो के बालों का गुच्छा निकला। जिसका आकार 20×15 सेमी था। उन्होंने कहा कि 'पेशेंट मेरे पास 10 दिन पहले ही आया है। पेशेंट को जो तेज़ दर्द है, वह पिछले एक महीने से हो रहा है। लड़की जब चार साल की थी, तब से लेकर दस से बारह साल की उम्र तक अपने बाल खाती रही।

Dr. S.R. Sammddar

एंडोस्कोपी करने पर चला पता

डॉक्टर एस.आर. समद्दर ने बताया कि 'जब दर्द बढ़ता गया, उल्टियां होने लगी, तो उसको मंगलवार को मेरे पास लेकर आया गया। हमारे यहां उसकी जांचें हुई, अल्ट्रासाउंड किया गया, लेकिन उसमें कुछ स्पष्ट नहीं दिखा। इस वजह से बाद में एंडोस्कोपी की गई, जिसमें स्थिति साफ़ हो गई। डॉ. एस.आर. समद्दर ने बताया कि 'एंडोस्कोपी में स्टमक के अंदर बाल दिख रहे था। जिसके बाद मैंने लड़की से जोर देकर पूछा कि ये बाल कैसे अंदर गए? तब भी उसने नहीं बताया।' उन्होंने कहा कि 'ऐसे पेशेंट्स मानसिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, तो वह जल्दी कोई बात बताते नहीं हैं। इसलिए, मैंने उससे जब बार-बार ज़ोर देकर पूछा, तब उसने बताया कि वह बचपन से बाल खाती है।'


क्या होती है ट्राइकोबीजोर बीमारी?

बता दें कि, 17 वर्षीय जिस लड़की का ऑपरेशन किया गया है, वह ट्राइकोबीजोर (Trichobezoar) बीमारी से पीड़ित थी। यह विचित्र प्रकार की बीमारी होती है, जिसमें मरीज खुद के बाल नोंचकर खाता है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में ट्राइकोबीजोर कहते हैं। यह बहुत ही दुर्लभ एवं जटिल बीमारी होती है।

बाल पच नहीं पाते

डॉक्टरों ने बताया कि मरीज के पेट में बालों का गुच्छा था और मनुष्य की पाचन क्रिया से बाल पच नहीं पाते, जिस कारण बाल व पेट में एकत्रित होने लगते हैं। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी से ही है। ये भी देखा गया है कि इस तरह के मरीजों में मानसिक रोगों के लक्षण भी पाए जाते हैं। इस कारण मरीज अपने बालों को खाने लगता है।

इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करने में वरिष्ठ सर्जन डॉ समद्दर की टीम में डॉ. एसके सक्सेना, स्टाफ नर्स मीना, रेजिडेंट विवेक, एनेस्थीसिया विभाग से डॉक्टर पीयूष और डॉक्टर नुरुल हक़ थे।

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