Barabanki: गौशाला में चारा और इलाज के आभाव में मरी रही गायें, जिम्मेदार दफनाने में लगे
Barabanki: बाराबंकी में एक गौशाला में दर्जनों गायों की मौत का वीडियो वायरल हुआ है और प्रशासन कुछ गायों की मौत की बात कह रहा है, लेकिन इन गायों की मौत कैसे हुई, इसका जवाब उनके पास नहीं है,
Barabanki: आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए यूपी सरकार (yogi Adityanath government) ने खूब वादे किये। गौशाला का फंड भी जारी किया गया, कई गौशालाओं का निर्माण भी कराया गया, लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। बाराबंकी में गौशाला में व्यवस्थों का अंबार है। हैरानी की बात ये है कि गौशाला में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो जाने के बाद भी प्रशासन मौन है। पूरा मामला बाराबंकी (Barabanki) जिले के विकास खण्ड त्रिवेदीगंज क्षेत्र के हसनपुर गौशाला का है। यहां से एक वीडियो वायरल (Video Viral) हो रहा है, जिसमें दो दर्जन से अधिक गायों की एक दिन में मौत बताई जा रही हैं।
पशु लोगों की फसलों को बर्बाद करने लगे
यूपी की योगी सरकार सत्ता में आने के गोहत्या रोकने के लिए बूचड़खानों पर पाबंदी लगा दी, कुछ ही महीने के बाद आवारा पशुओं को घर से लोग छोड़ना शुरू कर दिया। किसानों के खेतों में जानवरों की भीड़ सी आ गई। एक-एक गांव में सैकड़ों आवारा पशु लोगों की फसलों को बर्बाद करने लगे। किसानों (Farmer) ने जब सरकार का विरोध किया, तो सरकार ने यूपी के सभी जिलों में गौशाला निर्माण कराने का फैसला किया। बाराबंकी जिले में भी कई गौ आश्रय स्थल बनाये गये, लेकिन ये गौशालाएं दुर्व्यवस्था का शिकार हो गए। यहां न तो पशुओं को चारा समय से दिया गया और न ही पानी, जिसके कारण विकास खण्ड त्रिवेदीगंज क्षेत्र के हसनपुर गौ आश्रय स्थल पर दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गई और कई पशु बीमार पड़ गए।
गौशाला में अवस्था होने से हो रही गायों की मौत
जब इस वायरल वीडियो के बारे में एसडीएम हैदरगढ़ शालिनी प्रभाकर से बात की गई, तो उन्होंने मात्र 8 गायों की मौत की पुष्टि की और वायरल वीडियो में गिनती की जा रही मृत पड़ी 24 गायों की मौत को असत्य बताया। वहीं, ब्लॉक कर्मचारी भी इस मामले पर लीपापोती कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि गौशाला में अवस्था होने से आए दिन गायों की मौत हो रही है। इन मरी हुई गायों को बिना पोस्टमार्टम के ही दफना दिया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि इससे पूर्व गौशाला में काफी गायें थी, लेकिन अब इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है। जो अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा है।