Alok Ranjan News: पहली बार एक साथ दिखे तीन पूर्व मुख्य सचिव, एक ही मंच पर साझा किए अपने अनुभव

Alok Ranjan News: पूर्व मुख्य सचिव एवं लेखक आलोक रंजन ने अपने द्वारा लिखित पुस्तक में आईएएस जैसी कठिन परीक्षा ( IAS exam Ke Liye Tips) के लिए गुरूमंत्र भी दिया है। इस अवसर पर तीनो मुख्य सचिवों नवीन चन्द्र वाजपेयी, अतुल गुप्ता और आलोक रंजन ने अपने अनुभवों को बताया।

Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-11-21 22:31 IST

Alok Ranjan News: राजधानी लखनऊ (Capital Lucknow) का जयपुरिया इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट (Jaipuria Institute of Management) का आडीटोरियम आज शाम पूर्व आईएएस अधिकारियों (former IAS officers) एवं मीडिया से भरा हुआ था और मौका था रिटायर्ड आईएएस आलोक रंजन (Retired IAS Alok Ranjan) की पुस्तक "मेकिंग ए डिफरेंस द आईएएस ऐस ए कॅरियर" (Making A Difference The IAS As A Career) के विमोचन के अवसर का। यह पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन की व्यवहारिक क्षमता का ही नतीजा था कि आज एक साथ तीन मुख्य सचिवों के अलावा कई पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों को एक साथ जुटने का अवसर मिला।

इस दौरान हुए ग्रुप डिस्कशन में तीनो मुख्य सचिवों नवीन चन्द्र वाजपेयी (Naveen Chandra Vajpayee), अतुल गुप्ता (Atul Gupta) और आलोक रंजन (Alok Ranjan) ने अपने अनुभवों को बताया। इस दौरान वहां मौजूद कई पूर्व अधिकारियों ने भी डिस्कसन में अपने विचार रखे। साथ ही लोकतांत्रिक व्यवस्था में ब्यूरोक्रेसी के महत्व और उनकी दिक्कतों पर भी चर्चा हुई।



कार्यक्रम का संचालन जयन्त कृष्णा ने किया

कार्यक्रम का संचालन भूतपूर्व अधिशासी निदेशक टीसीएस और भूतपूर्व प्रबन्ध निदेशक राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट कारपोरेशन जयन्त कृष्णा कर रहे थें। इस अवसर पर मौजूद दो सेवानिवृत्त मुख्य सचिव नवीन चन्द्र वाजपेयी एवं अतुल गुप्ता के द्वारा भी आईएएस सेवा एवं आलोक रंजन की कार्यशैली के बारे में अपने विचार रखे।

आलोक रंजन ने अपने अनुभवों को बताया

आलोक रंजन ने ऊखीमठ में एसडीएम के पद से शुरू हुई अपनी प्रारम्भिक प्रशासनिक सेवा (primary administrative service) से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव तक के सफर के अपने अनुभवों को बताया और कहा कि ब्यूरोक्रेसी में कोई विभाग बड़ा अथवा छोटा नहीं होता है। हर विभाग में जनसेवा करने का मौका रहता है, विभाग नहीं, बल्कि अधिकारी की कार्यशैली उसे महत्वपूर्ण बनाती है। उन्होंने एक उदाहरण दिया और कहा कि विकलांग विभाग कभी प्रदेश में सबसे उपेक्षित विभाग माना जाता था पर पूर्व आईएएस रोहित नंदन ने अपनी कार्यशैली से उसे इतना बेहतर बना दिया कि अन्य अधिकारी भी इस विभाग में आने को आतुर होने लगे।


एमबीए होने के बाद भी आलोक रंजन ने सिविल सर्विसेज (civil services) को क्यों चुना

आलोक रंजन से जब यह सवाल किया गया कि एमबीए होने के बाद भी आपने सिविल सर्विसेज को क्यों चुना तो उन्होंने कहा कि इसमें जनता से जुडने का सीधा मौका होता है। जबकि पब्लिक सेक्टर में ऐसा नहीं है।

पूर्व मुख्य सचिव नवीन चन्द्र वाजपेयी ने कहा कि देश के विकास में सिविल सर्विसेज की बडी भूमिका होती है, क्योकि नीतियां वही बनाते है पालिटिशियन नहीं। उन्होंने अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि सेवाकाल के दौरान एक मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि "आप कहां जाना चाहते हैं, तो मैने कह दिया कि "आप मुझे जहां चाहे भेज दीजिए मुझे कोई दिक्कत नहीं है।"


आपको फिर से प्रदेश का मुख्य सचिव बना दिया जाए तो आप क्या करेंगे

कार्यक्रम का संचालन कर रहे जयन्त कृष्णा ने जब नवीन चन्द्र वाजपेयी से यह सवाल किया कि यदि आपको फिर से प्रदेश का मुख्य सचिव बना दिया जाए तो आप क्या करेंगे ? इस पर उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि सबसे पहले तो मीडिया से दूरी बना लूंगा? साथ ही उन्होंने प्रशासनिक सेवा से जुडे़ अधिकारियों को होने वाली पारिवारिक दिक्कतों का भी जिक्र किया।

इसके अलावा अतुल गुप्ता ने भी प्रशासनिक सेवा के दौरान कई बातों का जिक्र किया और बताया कि अभी इस सेवा में कितनी सुधार की जरूरत है। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरविन्द मोहन के अलावा करियर काउन्सलर सुरभि सहाय मोदी ने भी लोकतंत्र में नौकरशाह की भूमिका के पर अपने विचार व्यक्त किये।

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