Lakhimpur Kheri News: शिवपाल यादव ने PM मोदी से की मांग, कहा- गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए
शिवपाल सिंह यादव ने लखीमपुर घटना में की केंद्रीय राज्य मंत्री की बर्खास्तगी की मांग;
शिवपाल सिंह यादव की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)
Lakhimpur Kheri News: सोमवार को राजधानी में प्रगतिशील समाजवादी (लोहिया) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने लखनऊ प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को सम्बोधित चार सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। उन्होंने लखीमपुर खीरी में हुई घटना को स्वतंत्र भारत इतिहास की सबसे दुःखद व बर्बर घटनाओं में से एक बताया है।
गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए
शिवपाल यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लखनऊ प्रशासन के जरिये सौंपे गए ज्ञापन में मांग की है कि गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त किया जाए । उनके पुत्र को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। दोषी पुलिसकर्मियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाए। घटना की निष्पक्ष व न्यायिक जांच की जाए। मृतकों के परिजनों को एक करोड़ का मुआवजा एवं सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश के सभी जनपदों में लखीमपुर खीरी में हुए किसानों की मौत पर शांतिपूर्ण सत्याग्रह करते हुए जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपने का आह्वान किया है।
गौरतलब है कि शिवपाल सिंह यादव को लखनऊ स्थित उनके आवास पर हाउस अरेस्ट कर दिया गया था। भारी पुलिस बल और बैरीकेडिंग के बावजूद पुलिस को चकमा देकर प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लखीमपुर खीरी के लिए रवाना हो गए थे। शिवपाल यादव और उनके समर्थकों का काफिला शहीद पथ-हाईकोर्ट होते हुए सीतापुर रोड की ओर बढ़ रहा था कि इंजीनियरिंग कालेज चौराहे पर ट्रैफिक रोक कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। जहां से उन्हें पुलिस लाइन ले जाया गया था। इस दौरान समर्थकों और पुलिस के बीच हल्की झड़प भी हुई। हिरासत में लेने के बाद प्रसपा अध्यक्ष और उनके समर्थकों को पुलिस लाइन ले जाया गया था।
'स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे दुःखद व बर्बर घटनाओं में से एक'
लखीमपुर खीरी में हुई घटना पर प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा था कि "उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की घटना स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे दुःखद व बर्बर घटनाओं में से एक है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शांतिपूर्ण सत्याग्रह कर रहे अन्नदाताओं को स्वतंत्र भारत में अपने स्वर को मुखर करने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। सत्ता अन्नदाताओं के सत्याग्रह को निर्ममता से कुचल रही है। पहले किसानों पर लाठीचार्ज व वाटर कैनन का प्रयोग किया गया और अब किसानों को रौंदने की बर्बरता की गई।"