DG वेदब्रत सिंह ने फार्मेसिस्टों को चेताया: लेटर जारी कर कहा- "वापस काम पर लौटें, नहीं तो होगी कार्रवाई"

यूपी में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन (DPA) अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। मंगलवार को लगातार छठे दिन उन्होंने कार्य बहिष्कार किया।

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Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-12-14 12:08 IST

ओपीडी (फोटो- सोशल मीडिया)

Lucknow : पूरे उत्तर प्रदेश में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन (DPA) अपनी 20 सूत्रीय मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। मंगलवार को लगातार छठे दिन उन्होंने कार्य बहिष्कार किया। जिसका सीधा असर अस्पतालों में आने वाले मरीज़ों पर पड़ा। इससे ओपीडी में आने वाले रोगियों को भी बेहद कष्ट उठाना पड़ता है।

पिछले पांच दिनों से राज्य के सभी अस्पतालों में ऐसी ही स्थिति बनी हुई है। जिसके मद्देनजर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक वेद ब्रत सिंह (DG Health Ved Brat Singh) ने एक पत्र जारी कर सभी फार्मेसिस्टों को चेताया है कि वह यह आंदोलन समाप्त कर, वापस पर काम पर लौटें। नहीं तो उन पर विभाग द्वारा कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश में लागू है 'एस्मा'

डीजी वेद ब्रत सिंह ने अपने पत्र में कहा है कि इस वक़्त प्रदेश में आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (एस्मा) लागू है, जिसके अंतर्गत यदि कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है, तो वह अवैध एवं दंडनीय है। उन्होंने अपने लेटर में कोरोना वायरस के नये वैरिएंट का भी ज़िक्र करते हुए कहा है कि "देश व प्रदेश में कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट का प्रसार रोकने हेतु व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जा रही है।

इसके दृष्टिगत प्रदेश की चिकित्सा इकाइयों में कोई भी हड़ताल व आंदोलन कोरोना वायरस से बचाव व रोकथाम में बाधा उत्पन्न कर सकता है। वेद ब्रत सिंह ने जारी किये गए पत्र में कहा कि फार्मेसिस्टों की 20 सूत्रीय मांगों पर विचार किया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने चेताया है कि सभी फार्मेसिस्ट अपने काम पर वापस लौट आएं। अन्यथा की स्थिति में शासन या महानिदेशालय आवश्यक विभागीय कार्रवाई कर सकता है।

'आंदोलन जारी है और आगे भी जारी रहेगा'

इस संबंध में डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि "महानिदेशक ने एस्मा का भय दिखाया है, इससे अच्छा था कि आप बात करते, शासन स्तर पर वार्ता करते, जिन फ़ाइलो पर निर्णय हो चुके हैं उन पर शासनादेश जारी करते, तो हड़ताल जैसे अप्रिय निर्णय लेने की नौबत ही क्यों आती।

वास्तव में इस आंदोलन की सारी जिम्मेदारी आप जैसे अधिकारियों की ही है, जो लोकतंत्र में तानाशाही रवैया अपनाने को श्रेष्ठ समझते हैं । आंदोलन जारी है और आगे भी जारी रहेगा। शासनादेश दीजिये, भय मत दिखाइए।"

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