Lucknow News: IPSEF, कर्मचारियों ने मांगा PM मोदी से मिलने का समय, पुरानी पेंशन की बहाली सहित ये हैं मांगें

समस्याओं को लेकर इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन ने मांगा पीएम मोदी से मिलने का समय

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-10-06 13:26 GMT

इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन का लोगो (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Lucknow News: इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (IPSEF) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ मुद्दों पर विस्तृत बातचीत के लिए समय मांगा है। ताकि कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान हो सके। साथ ही इप्सेफ के पदाधिकारियों का कहना है कि अगर सुनवाई नहीं होगी, तो इप्सेफ बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगा, जिसका उत्तरदायित्व भारत सरकार का होगा।

इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने बताया कि "इप्सेफ के द्वारा विगत दिनों प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए छोटे-छोटे आंदोलन करने का आग्रह किया गया। 4 साल में कर्मचारियों ने जान पर खेलकर अपनी सेवाएं देकर मरीजों एवं उनके परिवार की रक्षा की। जिसकी तारीफ जनता द्वारा की गई। बहुत से साथियों ने अपनी जान गंवा दी। परंतु खेद है कि सरकार द्वारा उन्हें सम्मानित एवं उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। सरकार जब आर्थिक संकट में थी, तब कर्मचारियों ने 1 दिन का वेतन दिया। अब कर्मचारी आर्थिक संकट में है, तो फ्रीज किये गए महंगाई भत्ते का भुगतान कर देना चाहिए।"

इप्सेफ की ये है मांगें

इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्र ने मांग की है कि "रिक्त पदों पर नियमित भर्ती, पदोन्नति या कॉडर पुनर्गठन, आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की सेवा सुरक्षा के लिए नीति बनाने, नियमित करने, कैशलेस इलाज, स्थानीय निकायों में राजकीय निगम, स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारियों को भी सातवें वेतन आयोग का लाभ एवं बोनस मिलना चाहिए।" उन्होंने कहा कि "तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण नहीं हो पाया है। वर्तमान हालात में पुरानी पेंशन की बहाली भी अत्यावश्यक है। क्योंकि सेवानिवृत्त के बाद उनकी रोटी का सहारा पेंशन ही होती है।"

निजी संस्थाओं की हो जाएगी मोनोपोली

बता दें कि इप्सेफ का मत है कि पब्लिक सेक्टर को समाप्त करके निजीकरण को बढ़ावा देने से निजी संस्थाओं की मोनोपोली हो जाएगी। इससे मनमाने तरीके से कीमतें बढ़ेंगी। जिससे गरीब आदमी का जीना दूभर हो जाएगा। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र को सुदृढ़ करना जनहित में है। सभी क्षेत्रों में निजीकरण होने से सरकारी कर्मचारियों एवं उनके परिवार के भविष्य का क्या होगा? क्या उनकी सेवाएं सुरक्षित रहेंगी? भविष्य में युवाओं की पीढ़ी को क्या नौकरी एवं वाजिब वेतन मिल पाएगा? लॉकडाउन में लाखों श्रमिकों की नौकरी चली गई थी और वे बेरोजगार हो गए।

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