Lucknow News: पाकिस्तानी सेना के इरादों पर पानी फेरने वाले सैनिक का नाम वीरता पुरस्कार के लिए नहीं किया गया नामित
उत्तर-प्रदेश के अकबरपुर जनपद के निवासी सेना में लांस हवलदार मनोज पाण्डेय की शूरवीरता और जांबाजी से सेना के महत्वपूर्ण सुरक्षा..
Lucknow News: उत्तर-प्रदेश के अकबरपुर जनपद के निवासी सेना में लांस हवलदार मनोज पाण्डेय की शूरवीरता और जांबाजी से सेना के महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण और अपने साथी घायल सैनिक को बचाने का असंभव कार्य पाकिस्तानी गोलाबारी के बीच किया गया, लेकिन उनकी इस वीरता और दिलेरी को सेना द्वारा वीरता पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया गया। मामला यह था मनोज पाण्डेय फरवरी,2020 में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान से सटी लगभग दस हजार फीट की ऊँचाई पर बलवीर पोस्ट पर स्पेशल ड्यूटी में आपरेशन रक्षक के तहत बी०एफ०एस०आर० राडार पर पोस्ट कमांडर के रूप में तैनात थें।
दुश्मन देश पाकिस्तान ने सीज फायर तोड़ते हुए 22.02.2020 को लगभग शाम साढ़े पांच बजे बलवीर पोस्ट को तोप के गोलों से उड़ा दिया, जिसमें लांस हवलदार मनोज पाण्डेय और उसके साथी सैनिक सुनील यादव बुरी तरह जख्मी हो गए। हमला इतना भयानक था कि उनका राडार और रेडियों सिस्टम बर्बाद हो गया और उनका संपर्क अपनी सेना से कट गया उनकी दाहिनी आँख बाहर निकल आई, बांयी आँख में धूल और पत्थर के छोटे टुकड़े घुसने लगें और पूरा शरीर तोप के गोले के स्पलिंटर से बुरी तरह जख्मी होने से खून की धारा फूट पड़ी और साथी सैनिक सुनील यादव चोट के कारण बेहोश हो चुका था।
बाहर निकल आई आँख को कपड़े से लपेटकर बाँधा
लेकिन मनोज पाण्डेय ने बिना समय गँवाए फैसला किया कि कि मेरे जीवित रहते दुश्मन देश हमारी पोस्ट पर कब्जा नहीं कर सकता, बाहर निकल आई आँख को कपड़े से लपेटकर बाँधा और अपनी रायफल लेकर एक पत्थर की ओट में मुकाबले के इरादे से पोजीशन लेते हुए दुश्मन को ललकार लगाई लेकिन जब उधर से कोई हरकत नहीं हुई तो उसे विश्वास हो गया कि हमला दूर से हुआ है, उसके बाद साथी सुनील यादव के बहते खून और घाव को कपड़े से बाँधा और कंधे पर लेकर ग्यारह हजार फीट ऊँचाई पर स्थित यूनिट हेडक्वार्टर पर जल्दी से जल्दी सूचना पहुंचाने के लिए चल पड़ा।
पाकिस्तानी सेना की भीषण गोलाबारी जारी थी, रात का अँधेरा, करीब आठ फीट बर्फ और भीषण बर्फबारी के बावजूद सुनील कुमार को कंधे पर उठाकर करीब एक हजार फीट सीधी चढाई के बावजूद बेखौफ आगे बढ़ता रहा और आधे घंटे के अंदर यूनिट हेडक्वार्टर पहुँचकर उन्हें पूरी सूचना दे दी, तब तक उसकी बेहोशी की हालत हो गई थी। उसकी स्थिति बेहद नाजुक होने के बावजूद भीषण गोलाबारी के कारण हेक्टर नहीं बुला जा सका। उसे स्ट्रेचर से अगली सुबह करीब साढ़े नौ बजे श्रीनगर बेस हास्पिटल लाया गया, उसकी दाहिनी आँख हमेशा के लिए समाप्त हो गई।
पत्थर की आँख लगाई मनोज पांडे ने
उसकी जगह पत्थर की आँख लगाई गई, कान लगभग बहरा हो गया और पूरा शरीर जख्मों का शिकार हो गया, इसके बावजूद सेना द्वारा उसका नाम वीरता पुरस्कार के लिए नामित नहीं किया गया। जांबाज सैनिक की जांबाज पत्नी श्रीमती स्मृति पाण्डेय ने कहा कि मेरे पति शारीरिक रूप से अब इतने सक्षम नहीं हैं कि वह अपनी लड़ाई लड़ सके इसलिए, उनकी इस शौर्यगाथा को न्यायिक हक़ दिलाने के लिए सेना कोर्ट लखनऊ में मुकदमा अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से दायर कर रही हूँ।
उन्होंने कहा कि अधिवक्ता विजय पाण्डेय ने यह कहते हुए फीस लेने से भी इंकार कर दिया कि आपके पति यदि हमारी सुरक्षा में अपनी जान दांव पर लगा सकते हैं तो क्या हमारा यह दायित्व नहीं बनता कि उनके साथ खड़े हों। और उन्होंने किसी प्रकार की फीस लेने से इंकार कर दिया और मुकदमा दायर किया। अधिवक्ता विजय पाण्डेय ने कहा कि यदि याची शौर्य का परिचय न देता तो विदेशों से आयातित कम्युनिकेशन सिस्टम पर दुश्मन देश कब्जा कर सकता था और देश की तमाम गोपनीय जानकारियाँ दुश्मन के हाथ लग सकती थी, लेकिन निर्णय अदालत करेगी ।