Lucknow News: KGMU के डॉ.कमलेश्वर सिंह व पूरन चन्द्र ने किया कमाल, अब तुरंत होगी दांतों की सर्जरी

Lucknow News: केजीएमयू के प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के प्रधान अन्वेषक डॉ. कमलेश्वर ने 'न्यूज़ट्रैक' संग बातचीत में बताया कि "पहले दांतों का प्रत्यारोपण करने में 3 से 6 महीने लगते थे, लेकिन अब यह सर्जरी तुरंत हो जाएगी।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Monika
Update:2021-12-24 09:45 IST

KGMU के डॉ. कमलेश्वर सिंह व पूरन चन्द्र (photo : social media )

Lucknow News: राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्विद्यालय (KGMU) के प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के प्रधान अन्वेषक डॉ. कमलेश्वर सिंह (Dr. Kamleshwar Singh) और डॉ. पूरन चन्द्र (Dr. Puran Chandra)  की 'रोगियों के तत्काल प्रत्यारोपण' (Immediate Implant Patients) की रिसर्च को 'इंडियन प्रोस्थोडोंटिक्स सोसाइटी' के जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसके लिये उन्होंने दूसरा पुरस्कार जीता। बता दें कि, इस शोध के होने से 3 से 6 महीनों में होने वाली सर्जरी (surgery) तुरंत हो जाएगी।

दो बार करनी पड़ती थी सर्जरी

केजीएमयू के प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग के प्रधान अन्वेषक डॉ. कमलेश्वर ने 'न्यूज़ट्रैक' संग बातचीत में बताया कि "पहले दांतों का प्रत्यारोपण करने में 3 से 6 महीने लगते थे। दो बार सर्जरी करनी पड़ती थी। लागत ज़्यादा आती थी। नीचे वाले जबड़े में तीन महीने और ऊपर वाले जबड़े में छः महीने का समय लगता था। अब इस विधि से हम तुरंत सर्जरी कर सकते हैं। इससे मरीज़ों को बहुत आसानी होगी। साथ ही, उसके फंक्शन्स और एस्थेटिक्स भी तुरंत शुरू हो जाते हैं।"

उन्होंने बताया कि इस रिसर्च को करने का ख़्याल उस वक़्त मेरे जेहन में आया, जब मैं एक पेशेंट की सर्जरी कर रहा था। पेशेंट ने मुझसे कहा कि सर इसमें बड़ा समय लग जाता है। कई बार अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है। उसके बाद सर्जरी होती है। तब ही यह ख़्याल आया और हमने इस पर काम करना शुरू किया।

डॉ. कमलेश्वर सिंह (फोटो : सोशल मीडिया ) 

7 लाख 80 हज़ार रुपये की मिली ग्रांट

डॉ. कमलेश्वर ने बताया कि इस रिसर्च को करने के लिये 'काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी' से 7 लाख 80 हजार ग्रांट दी गई थी। साथ ही, सरकार द्वारा हमें एक लैब भी दी गई थी।

इन लोगों का शोध में रहा अहम हाथ

इस अध्ययन को पबमेड इंडेक्सिंग के साथ इंडियन प्रोस्थोडॉन्टिक्स सोसाइटी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है। जिसके लेखक कमलेश्वर सिंह, पूरन चंद, अखिलानंद चौरसिया, नीति सोलंकी और अनुपमा पाठक हैं। इसके लिए कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) डॉ. बिपिन पुरी ने भी अनुसंधान में अनुकरणीय कार्य करने के लिए विभाग की सराहना की।

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