Mahant Narendra Giri: असली-नकली का विवाद, संतों में सिर फुटव्‍वल की नौबत

2017 में रतिभान त्रिपाठी द्वारा लिखी खबर जिसमें अखाड़ों की राजनीति और महंत नरेंद्र गिरी का उल्लेख था।

Report :  RB tripathi
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-09-20 21:48 IST

लखनऊ: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (akhil bharatiya akhada parishad) ने अपनी नाक ऊंची करने के चक्‍कर में एक फैसला क्‍या लिया, संत समाज में तो युद्ध ही छिड़ गया है। अखाडा़ परिषद इस मामले को अपनी प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बनाए बैठा। लेकिन शेष संत समाज इसे अनाधिकार चेष्‍टा बताकर कहने लगा है कि अगर वह सूची माफी सहित वापस न ली तो वह अखाड़ों के विवादित संतों की पोल खोलने का अभियान चला देंगे। फिर पता चलेगा कि कौन असली है और कौन नकली। हालत यहां तक पहुंच गई है कि सूची से संबंधित लोग एक दूसरे को धमकाने और देख लेने तक की धमकी देने से बाज नहीं आ रहे हैं। वरिष्‍ठ संतों, महंतों, महामंडलेश्‍वरों और शंकराचार्यों ने अगर इस पर हस्‍तक्षेप नहीं किया तो शायद वह दिन दूर नहीं जब विवादों की जद में आए कुछ संत और अखाड़ों के कुछ लोग एक दूसरे के सामने हथियार लिये खड़े मिलेंगे या फिर अदालतों के चक्‍कर काटते नजर आएंगे।

धमकी देने के मामले में कुछ संतों ने अखाड़ा परिषद (akhada parishad) के अध्‍यक्ष नरेंद्र गिरि को आरोपों के घेरे में लिया है। अखाड़ा परिषद (akhada parishad) ने जो फैसला किया है, उससे संत समाज (sant samaj) के बीच जातिवाद की बात भी उभर रही है, जो पूरे समाज के लिए घातक साबित हो सकती है। 14 संतों को फर्जी घोषित करने के बाद अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) ने अब संत महासभा को भी फर्जी करार दिया है।

दरअसल, संत महासभा ने अखाड़ा परिषद (akhada parishad) से अनुरोध किया था कि वह 14 संतों की वह सूची वापस ले ले। जब सूची वापस नहीं ली गई तो संत महासभा (sant mahasabha) दिल्‍ली के जंतर मंतर में धरने पर बैठ गई।

अखाड़ा परिषद (akhada parishad) ने इसे अपने ऊपर हमला मानते हुए संत महासभा को ही फर्जी करार दे दिया। नतीजा यह हुआ कि संत महासभा (sant mahasabha) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष स्‍वामी चक्रपाणि ने हरिद्वार में कहा कि अखाड़ा परिषद किसी को फर्जी घोषित करने से पहले अपने गिरेबां में झांककर देखे। अपने संगठन का पुलिस वैरिफिकेशन कराकर देखे तो अखाड़ा परिषद में सुपारी किलर प्रतिभानंद जैसों की कमी नहीं है।

स्‍वामी चक्रपाणि यह कहने से नहीं चूके कि संत महासभा तो रजिस्‍टर्ड है, अखाड़ा परिषद पहले अपना रजिस्‍ट्रेशन नंबर बताए तो पता चल जाएगा कि कौन असली है और कौन नकली। प्रतिभानंद नामक सुपारी किलर को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। लेकिन अखाड़ा परिषद ने उसे अपने यहां से निष्‍कासित तक नहीं किया है। जांच हो गई तो अखाड़ा परिषद में दर्जनों प्रतिभानंद मिलेंगे। दरअसल, अखाड़ा परिषद ने सूची जारी करके अराजकता फैलाई है और सनातन धर्म को कमजोर करने की कोशिश की है, जिसे संत महासभा किसी भी कीमत पर बर्दाश्‍त नहीं करेगी।

संत महासभा ने अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष नरेंद्र गिरि (Narendra Giri) से एक सवाल भी पूछा है कि शराब कारोबारी सचिन दत्‍ता को महामंडलेश्‍वर किसने बनाया। राधे मां को रातोरात महामंडलेश्‍वर की पदवी किसने दी। प्रतिभानंद को अखाड़े की सदस्‍यता किसने दिलाई। मतलब संतत्‍व की जांच पड़ताल किए बगैर अखाड़ा परिषद पहले किसी को महत्‍वपूर्ण बनाता है फिर उसे फर्जी घोषित करता है। तो सवाल यह भी उठता है कि फर्जी कौन हुआ। कान खोलकर सुन लीजिए नरेंद्र गिरि! जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों के घरों पर पत्‍थर नहीं फेंकते।

विवादों को लेकर सर्वाधिक चर्चा में आए प्रयाग के अखिल भारतीय दंडी संन्‍यासी प्रबंधन समिति के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता आचार्य कुशमुनि स्‍वरूप ने कहा है कि महंत नरेंद्र गिरि अब धमकी पर उतर आए हैं। आचार्य कुशमुनि ने दावा किया है कि 15/16 सितंबर की रात नरेंद्र गिरि ने 14-15 बदमाशों को भेजकर धमकी दिलाई है कि अगर तुम नरेंद्र गिरि के खिलाफ बयानबाजी करोगे या उन पर अदालत में मानहानि का मुकदमा करोगे तो तुम्‍हारी हत्‍या कर दी जाएगी। आचार्य ने कहा कि इस मामले की पूरी सूचना उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लिखित रूप में भेजी है। भविष्‍य में यदि उनके साथ किसी तरह की घटना होती है तो इसके लिए तथाकथित अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष नरेंद्र गिरि और उनके सहयोगियों को जिम्‍मेदार माना जाए। आचार्य कुशमुनि ने नरेंद्र गिरि से जान का खतरा बताते हुए खुद के लिए सुरक्षा भी मांगी है।

कड़वे बोलों और विवादों के बीच संतों के सभी समुदायों के बीच प्रतिष्‍ठित संत स्‍वामी हरिचैतन्‍य ब्रह्मचारी ने समन्‍वयवादी भाषा का इस्‍तेमाल किया है। स्‍वामी हरिचैतन्‍य जी ने कहा है कि संतों को इस तरह के वाद-विवाद से अलग होकर ईश्‍वर भजन और जनसेवा का कार्य करना चाहिए। समाज को सही दिशा में ले जाना चाहिए। इस तरह के विवादों और बयानों से संतों की तो बदनामी होती ही है, हमारे सनातन धर्म पर भी आघात पहुंचता है।

इसी प्रकार कल्‍कि पीठाधीश्‍वर आचार्य प्रमोद कृष्‍णन ने कहा है कि संत महासभा के अध्‍यक्ष स्‍वामी चक्रपाणि और अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि दोनों सम्‍मान के योग्‍य हैं। वैसे किसी संस्‍था या संत को फर्जी कहना उचित नहीं। कोई संत किसी के फर्जी होने का प्रमाणपत्र नहीं दे सकता क्‍योंकि साधु होने वैराग्‍य, स्‍वभाव और साधना का विषय है। उन्‍होंने कहा कि चाहे नरेंद्र गिरि हों, स्‍वामी चक्रपाणि हों या फिर आचार्य कुशमुनि, गलत और अशोभनीय बयानों से बचें। इससे सनातन धर्म कमजोर होगा और यह करने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती है।  

खराब चल रहे बाबाओं के दिन

सत्‍ता से लेकर समाज तक अपना विस्‍तार किए हुए कुछ बाबाओं के दिन आजकल खराब ही चलते दिख रहे हैं। संतों पर चारों ओर से आरोपों की बौछार हो चली है। कई गिरफ्तार करके जेल भेज दिए गए तो कई समाज में आरोपों का सामना कर रहे हैं।

- सत्‍ता पर बैठे गोरखनाथ पीठ के महंत योगी आदित्‍यनाथ पर इल्‍जाम आ रहा है कि उनकी पुलिस ने बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय परिसर में कन्‍याओं पर लाठियां बरसा दी, जबकि नवरात्र के इस मौके पर वह ऐसी ही कन्‍याओं के पांव पखारते हैं, उनका पूजन करते हैं। इस मसले पर देश-दुनिया में उनकी बदनामी हो रही है।

- इस बीच सोमवार को इलाहाबाद से खबर आई है कि एक युवक से विवाद में जटाधारी बाबा तुलसी गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। सिविल लांइस में हनुमान मंदिर के सामने एक छोटे से मंदिर के बगल में रहने वाले इन बाबा पर इल्‍जाम है कि उन्‍होने सुनील पाल नामक युवक पर हथौड़े से प्रहार करके उसका सिर फोड़ दिया है।

- उधर वाराणसी के नाटी इमली इलाके में हनुमान मंदिर परिसर में रहने वाले बाबा उमेश दास पर एक बालक से कुकर्म का आरोप है। बालक के परिवार वालों की शिकायत पर चेतगंज पुलिस ने मंगलवार को बाबा उमेश दास को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस बाबा पर पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं।

- उदासीन अखाड़े के महंत सियाराम दास को सीतापुर जिले के मिश्रिख थाने की पुलिस ने मंलवार को गिरफ्तार कर लिया। सियाराम दास पर आरोप है कि अपने विद्यालय में नौकरी देने के नाम पर उसने एक दलित युवती से दुराचार किया है।

- यही नहीं, राजस्‍थान के अलवर में आश्रम बनाकर रहने वाले फलाहारी बाबा पर भी एक महिला से दुराचार का आरोप लगा है। पुलिस ने बाबा को पकड़ तो लिया है लेकिन बताया जा रहा है कि उत्‍तर प्रदेश के कौशाम्‍बी जिले के डकसरीरा निवासी इस बाबा के मठ की संपत्‍ति पर कुछ लोगों की निगाह थी, शायद इसीलिए उस पर आरोप लगाया गया है।

शंकराचार्यों के बीच मुकदमेबाजी से भी गरमाया माहौल

ज्योतिष्‍पीठ के शंकराचार्य पद को लेकर सन् 1973 से चल रही मुकदमेबाजी पर हाईकोर्ट के एक फैसले ने भी इसी बीच शंकराचार्यों और फर्जी संतों को लेकर सवाल उठा दिए हैं। फैसला जिस तरह से आया है, उससे मामले के सुप्रीम कोर्ट चले जाने के आसार बढ़ते दिख रहे हैं। पुरी पीठाधीश्‍वर शंकराचार्य स्‍वामी निश्‍चलानंद सरस्‍वती ने स्‍वयं मामले के इस दिशा में बढ़ने के संकेत दिए हैं। हालांकि मौजूदा समय में इस पद पर विराजमान शंकराचार्य स्‍वामी वासुदेवानंद सरस्‍वती और इस पीठ के शंकराचार्य होने का दावा कर रहे शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती हाई कोर्ट के फैसले को अपने अपने तरीके से परिभाषित कर इसे अपने अपने पक्ष में बता रहे हैं। इसीलिए कहा जाने लगा है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट जरूर जाएगा। शंकराचार्य स्‍वामी निश्‍चलानंद सरस्‍वती ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि तीन शंकराचार्य मिलकर चौथे शंकराचार्य का चयन करें। मगर इन तीन में से एक शंकराचार्य तो स्‍वयं वह हैं जिन पर निर्णय लागू होता है। ऐसे में हो सकता है कि दोनो शंकराचार्य इसके बाद सुप्रीम कोर्ट चले जाएं। हालाकि स्‍वामी निश्‍चलांनद चाहते हैं कि दोनो शंकराचार्य आपसी सामंजस्‍य से विवाद को समाप्‍त कर दें।

शंकराचार्य स्‍वामी वासुदेवानंद सरस्‍वती के प्रवक्‍ता के तौर पर ओंकारनाथ त्रिपाठी का कहना है कि हाई कोर्ट का फैसला बिलकुल स्‍पष्‍ट है। यह फैसला हमारे पक्ष में है। अब हमें तय करना है कि हम आगे क्‍या और कैसे करेंगे। इस बारे में जानने के लिए शंकराचार्य स्‍वामी स्‍वरूपानंद सरस्‍वती के प्रतिनिधि और प्रमुख शिष्‍य स्‍वामी अविमुक्‍तेश्‍वरानंद से संपर्क का प्रयास किया गया लेकिन उनकी टिप्‍पणी नहीं प्राप्‍त हो सकी।

(यह मूल रूप में 27 सितंबर, 2017 को प्रकाशित हुआ था)

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