भाजपा पिछड़ो को लुभाने के लिए सम्मेलनों का करेगी आयोजन
विपक्षी दल हमेशा भारतीय जनता पार्टी पर सवर्णो की पार्टी होने का ठप्पा लगाते रहे हैं। पर पार्टी धीरे धीरे इस छवि से अलग होने का प्रयास करती रही है।
Lucknow : विपक्षी दल हमेशा भारतीय जनता पार्टी पर सवर्णो की पार्टी होने का ठप्पा लगाते रहे हैं। पर पार्टी धीरे धीरे इस छवि से अलग होने का प्रयास करती रही है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा एक बार फिर इस बडे़ वोट बैंक का विश्वास जीतने की कोशिश में है। इसके लिए उसने ओबीसी सम्मेलनों को कराने का फैसला लिया है। यह सम्मेलन 'मोदी समर्थन सम्मेलन' कहे जाएगें।
सम्मेलनों में पार्टी के पिछडे़ वर्ग के नेताओं को आगे लाकर पूरे प्रदेश में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा जिसमें डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और स्वामी प्रसाद मौर्य को भी आगे लाया जाएगा। इन सम्मेलनों में मोदी सरकार और योगी सरकार की तरफ से इस वर्ग के लिए किए गए कामों का लेखा-जोखा रखा जाएगा।
ओबीसी संशोधन बिल को हरी झंडी
यह बताना भी जरूरी है कि पूर्वांचल की छोटी पार्टियों का समर्थन भाजपा के पास नहीं है। यह जाति आधारित पार्टियां सत्ताधारी दल भाजपा की लगातार खिलाफत कर रही हैं। जबकि पूर्वांचल क्षेत्र ओबीसी समुदाय का कब्जा है। यहां पर लगभग 100 सीटें ऐसी हैं जिसे लेकर समाजवादी पार्टी कांग्रेस और बसपा की पैनी निगाह लगी हुई है।
उधर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पार्लियामेंट में पास हुए ओबीसी संशोधन बिल को हरी झंडी दे दी है। अब यह बिल ऐसा कानून बन गया है। जिससे राज्य ओबीसी जातियों की सूची तैयार कर सकेंगे। गत 11 अगस्त को संसद में ओबीसी संशोधन बिल पास किया गया था। लोक सभा में अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित 127वां संविधान संशोधन बिल दो तिहाई बहुमत से पारित होने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की लिस्ट तैयार करने का अधिकार राज्यों को मिल गया है। अभी तक यह अधिकार केंद्र सरकार के पास ही था।
भाजपा पिछड़ो अतिपिछडों के इन सम्मेलनों के माध्यम से उन्हे यह बताने का प्रयास करेगी कि भाजपा ही उनकी सबसे हितैषी पार्टी है। साथ ही केन्द्र सरकार पर बढ़ते जा रहे जातीय जनगणना के दबाव को भी कम कर सकेगी।