क्या हुआ Pink Booth का: अब कैसे होगी यूपी में महिलाओं की सुरक्षा, जब पिंक बूथ पर लटक रहे ताले, न्यूजट्रैक ने खोली पोल

महिला अपराध को लेकर सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं, जिसकी वजह से महिला अपराध तो कम हुआ है लेकिन करोड़ों की लागत से बने कई पिंक बूथ पर महिला पुलिसकर्मियों की कमी के कारण ताले लटके दिखाई देते हैं।

Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-12-16 09:43 IST

पिंक बूथ लखनऊ (फोटो- सोशल मीडिया)

Lucknow: राजधानी में कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद आधी आबादी की सुरक्षा के लिए योगी सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए महिलाओं की सुरक्षा को और सुदृढ़ बनाने के लिए मुख्य मार्गों और चौराहों पर पिंक बूथ की स्थापना कराई थी। लेकिन जिस मकसद से ये पिंक बूथ(Pink Booth Lucknow) खोले गए थे वह पूरी तरह से धरातल पर उतर नहीं पाया है।

महिला अपराध को लेकर सरकार ने कई कड़े कदम उठाए हैं, जिसकी वजह से महिला अपराध तो कम हुआ है लेकिन करोड़ों की लागत से बने कई पिंक बूथ पर महिला पुलिसकर्मियों की कमी के कारण ताले लटके दिखाई देते हैं। जिससे महिला फरियादियों को अपनी शिकायत लेकर थाने या चौकी जाना पड़ता है।

पिंक बूथ चार में से तीन बंद पड़े

Newstrack.com की टीम ने बुधवार दोपहर पिंक बूथ की हकीकत जाने के लिए गोमती नगर इलाके और जनेश्वर मिश्र पार्क के सामने बने पिंक बूथ पहुंची तो चार में से तीन बंद पड़े मिले। सिर्फ गोमती नगर सेक्टर-6 में मलेसेमऊ पुलिस चौकी के बगल में बना पिंक बूथ पर महिला सुरक्षाकर्मी बैठी मिली।

बाकि तीन पिंक बूथ (Pink Booth Gomti Nagar Lucknow) गोमती नगर विस्तार के मलेशिया हॉस्टिपल के बगल, गंगा-यमुना अपार्टमेंट के बगल और जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर-2 के सामने बने पिंक बूथ बंद मिले। जहां एक भी महिला पुलिसकर्मी मौजूद नहीं थीं।

पिंक बूथ का मकसद?

डीसीपी महिला क्राइम रुचिता चौधरी बताती हैं कि पिंक बूथ को खोलने का मकदस महिला अपराध की शिकायत पर तुरंत एक्शन लेना है। 100 पिंक बूथ में से राजधानी में 87 पिंक बूथ पुलिस को हैंडओवर हो चुके हैं। दो मंजिला बनाए गए इस बूथ में बैठने की व्यवस्था के साथ, टॉयलेट की सुविधा भी दी गई है। इस बूथ पर महिला पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है।

इसके आस-पास महिलाओं से जुड़ा कोई अपराध होता है तो वह तुरंत अपनी शिकायत लेकर बूथ पर जा सकती है। वहां मौजूद महिला पुलिसकर्मी को उनकी मदद करनी होती है। इसके साथ ही अगर बारिश या फिर किसी बस या कार में सफर के दौरान उन्हें कोई असुविधा होती है तो वह इस पिंक बूथ पर पहुंच अपनी शिकायत दर्जकर समाधान पा सकती हैं। इसी मकसद से सरकार ने इसे सड़क के किनारे और चौराहों पर बनवाएं हैं। लेकिन यह योजना अभी पूरी तरह से धरातल पर नहीं उतर पाई है।

पिंक बूथ (फोटो- सोशल मीडिया)

महिला पुलिसकर्मियों की कमी

पिंक बूथ के खोलने का मकसद भले ही महिलाओं की मदद करना हो, लेकिन अभी यह महिला पुलिसकर्मियों की कमही से जूझ रहा है। डीसीसी महिला क्राइम रुचिता चौधरी ने बताया कि जल्द ही 400-500 महिला पुलिसकर्मी शामिल होने वाली हैं। इनके आने से इस पिंक बूथ को सुचारु ढंग से संचालित किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अभी जो महिला स्टॉफ उनके पास है उनकी ड्यूटी अलग-अलग जगहों पर लगी होती है। इस कारण वह यहां नहीं पहुंच पाती हैं। डीसीसी ने बताया कि महिला पुलिसकर्मियों को कभी वीआईपी ड्यूटी, कभी महिला अपराध में उन्हें अस्पताल से लेकर कोर्ट तक लाने ले जाने के तमाम कार्य होते हैं। इस वजह से कुछ पिंक बूथ बंद होते हैं। इसके लिए कार्य तेजी से चल रहा है कि इसे पूरी तरह से सही ढंग से संचालित किया जाएगा।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2013 से सितंबर 2020 तक महिला उत्पीड़न, एसिड अटैक, बलात्कार, हत्या, लूट, डकैती और अपहरण जैसी जघन्य वारदातों का आंकड़ा देखें तो उत्तर प्रदेश में क्राइम रेट में आई दिखाई देती है। हत्या की घटनाओं में 25 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

4 साल में यूपी में दर्ज रेप के केस
Rape cases in UP 

साल दर्ज मामले

2017-           4246

2018-           3964

2019-           3065

सितंबर 2020-           2769

4 साल में महिलाओं की हत्या में दर्ज केस
Murder Case of Women registered in UP

साल दर्ज मामले

2017-            4324

2018-            4018

2019-            3806

सितंबर 2020-     3779

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