UP Election 2022 : दयाशंकर सिंह को टिकट मिलने के बाद चर्चा में है ये बड़ी बात, क्या आपको यकीन है

UP Election 2022 : दयाशंकर सिंह को टिकट मिलने के बाद अब इसे लम्बे समय तक किए संघर्ष का परिणाम कहा जा रहा है।

Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-07 13:20 IST

Dayashankar Singh (Social Media)

UP Election 2022 : यूपी के राजनीतिक इतिहास में पहली बार विधानसभा चुनाव के टिकट को लेकर हुए आपसी टकराव के बाद आखिरकार पति दयाशंकर सिंह को जीत हासिल हुई है। उन्हे बलिया नगर से टिकट दिया गया है। पहले वह अपनी पत्नी स्वाती सिंह के विधानसभा क्षेत्र सरोजनी नगर से सीट चाह रहे थें। पर हाईकमान ने न तो उनकी पत्नी स्वाती सिंह को टिकट दिया और न ही पति दयाशंकर सिंह को। इसके बदले कल देर रात उन्हे उनके गृह नगर बलिया से टिकट दिया गया। दयाशंकर सिंह को टिकट मिलने के बाद अब इसे लम्बे समय तक किए संघर्ष का परिणाम कहा जा रहा है। 

भाजपा की राजनीति में सक्रिय 

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दयाशंकर सिंह 1999 में पहली बार लखनऊ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद भाजपा की राजनीति में सक्रिय हुए। इसके बाद उन्हे पार्टी की तरफ से जिम्मेदारियां दी जाती रही जिसमें वह अपनी भूमिका बखूबी निभाते रहे हैैं। इस बीच उन्होंने विधानपरिषद का चुनाव भी लडा जिसमें वह हार गए। 

कल्याण सिंह से लेकर राजनाथ सिंह तक उनको अपना संरक्षण देते रहे। इसी के चलते दयाशंकर सिंह युवा मोर्चा की कार्यसमिति में आ गए। बाद में उन्होंने राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह के खिलाफ भी मोर्चा खोलने का काम किया। इसके बाद जब यूपी भाजपा की कमान जब केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी गयी तो तेज तर्रार दयाशंकर सिंह को उपाध्यक्ष बनाया गया। 

2016 में आए चर्चा में

दयाशंकर सिंह चर्चा मे तब आए जब साल 2016 में उन्होंने बसपा सुप्रीमों मायावती पर कांशीराम के सपनों को तोडने के आरोपों के साथ उन्हे अशब्द कहें। जिसके बाद बसपाइयों ने दयाशंकर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सडकों पर बडा आंदोलन किया। दयाशंकर के खिलाफ एफाआईआर भी हुई। इसके बाद भाजपा ने उन्हे छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया। 

इस दौरान तत्कालीन पार्टी महासचिव नसीमुद्दीन ने उनकी बेटी के बारे में अशांभनीय टिप्पणी कर दी । इस घटना ने दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाती सिंह को लाइमलाइट में ला दिया। उन्हे भाजपा महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। बाद में सरोजनीनगर विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया और वह चुनाव जीतकर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनी। हांलाकि प्रदेश में सरकार बनने के बाद उनका निष्कासन खत्म कर दिया गया और राज्य कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी गयी। 

दयाशंकर सिंह ने अपनी पत्नी के विधानसभा क्षेत्र में सेंधमारी करते हुए टिकट की दावेदारी की

कुछ दिनों पहले भाजपा ने जब ज्वाइंनिग कमेटी का गठन किया तो उन्हे डा र्लक्ष्मीकांत वाजपेयी की कमेटी में सदस्य चुना गया। इस बीच जब यूपी विधानसभा के चुनाव घोषित हुए तो दयाशंकर सिंह ने अपनी पत्नी के विधानसभा क्षेत्र में सेंधमारी करते हुए टिकट की दावेदारी की। इस पर पति पत्नी के बीच मतभेद उभरे और जिसका परिणाम यह रहा कि दोनों ने एक दूसरे पर राजनीतिक हमले किए। इस दौरान खूब पौस्टर बाजी भी हुई। जिसे देखते हुए हाईकमान ने पति पत्नी को टिकट न देकर वीआरएस लेकर राजनीति में उतरे राजेश्वर सिंह को यहां से टिकट दे दिया। लेकिन दयाशंकर सिंह के संगठन केप्रति निष्ठावान होने और लम्बी राजनीतिक सेवा को देखते हुए उन्हे अब बलिया सदर से टिकट दिया गया है। 

बता दें कि दयाशंकर सिंह मूल रूप से बक्सर बिहार के रहने वाले है जो बलिया से सटा जिला है।  उनकी पढ़ाई लिखाई और शुरुआती राजनीति बलिया की ही रही है. इसीलिए ये कयास लगाये जा रहे हैं कि उन्हें बलिया से उतारा गया है। जबकि यहां से पूर्व में संसदीय कार्य राज्यमंत्री आनन्द स्वरूप की यह सिटिंग सीट थी। पिछली दफे भाजपा के आनंद स्वरूप शुक्ला को 92889 वोट मिले थे।  सपा के लक्ष्मण गुप्ता को 52878 और बसपा से लड़े नारद राय को 31515 मत प्राप्त हुए थे।  3.70 लाख मतदाताओं वाली बलिया सदर विधानसभा सीट पर वैश्य वोटर 51 हजार, ब्राह्मण 46 हजार, यादव 42 हजार, क्षत्रिय 36 हजार, मुस्लिम 35 हजार और भूमिहार वोटर करीब 12 हजार हैं।

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