UP Election 2022: हॉट सीट अतरौली पर सबकी नजरें, कल्याण के गढ़ में होगी BJP की अग्निपरीक्षा
Up Election 2022 : अतरौली विधानसभा क्षेत्र को कल्याण सिंह का गढ़ माना जाता रहा है। कल्याण सिंह ने 1967 में जनसंघ के टिकट पर पहली बार इस क्षेत्र में जीत हासिल की थी।
Up Election 2022 : राम मंदिर आंदोलन (Ram mandir Andolan) के नायक माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former CM Kalyan Singh) के गढ़ अतरौली (atrauli assembly elections) में पहले चरण में ही मतदान होना है। कल्याण सिंह (Kalyan Singh Wikipedia) के निधन के बाद होने वाले इस पहले चुनाव पर सबकी नजरें लगी हुई हैं।
भाजपा ने इस विधानसभा सीट (Vidhansabha seat) पर एक बार फिर कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह (Kalyan Singh grandson Sandeep Singh) पर भरोसा जताया है। कल्याण सिंह ने 1967 में पहली बार भारतीय जनसंघ (Bhartiye jan sangh) के टिकट पर इस चुनाव क्षेत्र में जीत हासिल की थी और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यहीं से निकलकर वे प्रदेश और देश की सियासत में छा गए।
संदीप ने 2017 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की
कल्याण सिंह का नाम जुड़ा होने के कारण पहले चरण की सीटों में अतरौली को भी हॉट सीट माना जा रहा है। कल्याण के पुत्र संदीप ने 2017 के चुनाव में इस सीट पर पहली जीत हासिल की थी। अब उन्हें एक बार फिर इस सीट पर अपनी पकड़ साबित करनी है। सभी राजनीतिक दलों की ओर से इस सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की जा चुकी है। सभी दलों ने कल्याण सिंह का किला माने जाने वाले इस क्षेत्र में जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है।
कल्याण के पौत्र को घेरने की कोशिश
अलीगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाली अतरौली विधानसभा सीट पर 2017 में भाजपा प्रत्याशी संदीप सिंह को भारी जीत हासिल हुई थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी वीरेश यादव को 50,967 मतों से हराया था। समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर वीरेश यादव को ही संदीप सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने डॉ धर्मवीर लोधी और बसपा ने ओमवीर सिंह को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।
सपा प्रत्याशी वीरेश यादव तीसरी बार इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पुत्रवधू प्रेमलता को हराने में कामयाबी हासिल की थी। पूरे प्रदेश में इस जीत की काफी चर्चा हुई थी मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फिर पार्टी ने उन्हीं पर भरोसा जताया है और वे कल्याण के पौत्र संदीप सिंह की मजबूत घेराबंदी में जुटे हुए हैं। वीरेश यादव के पिता बाबू सिंह भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं और उन्होंने 1962 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर जनसंघ के उम्मीदवार कल्याण सिंह को चुनाव में हराया था।
कल्याण सिंह का गढ़ रहा है यह क्षेत्र
अतरौली विधानसभा क्षेत्र को कल्याण सिंह का गढ़ माना जाता रहा है। कल्याण सिंह ने 1967 में जनसंघ के टिकट पर पहली बार इस क्षेत्र में जीत हासिल की थी। इसके बाद कल्याण सिंह इसी सीट से 1969,1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993, 1996 और 2002 में विधायक निर्वाचित हुए। इसी सीट से चुनाव जीतने के बाद कल्याण सिंह ने प्रदेश और देश की सियासत में अहम मुकाम बनाने में कामयाबी हासिल की। वे दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और बाद में राजस्थान के राज्यपाल भी बने।
पुत्रवधू ने भी दो बार जीता चुनाव
कल्याण सिंह की पुत्रवधू प्रेमलता वर्मा ने भी दो बार इस विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। 2012 में सपा के वीरेश यादव ने कल्याण परिवार के दबदबे को खत्म करते हुए इस सीट पर जीत हासिल की थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह के पुत्र संदीप सिंह को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी।
एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू भैया के पुत्र संदीप सिंह एक बार फिर इससे सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। 2017 में यहां से जीत हासिल करने के बाद संदीप सिंह योगी सरकार में राज्यमंत्री भी बने थे। कल्याण सिंह के निधन के बाद हो रहा यह पहला चुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यहां से निकलने वाला जय-पराजय का संदेश काफी दूर तक जाता है और इसी कारण सभी राजनीतिक दलों ने इस विधानसभा सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है।
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