UP Election 2022: बिहार के चुनाव प्रभारी रहे धर्मेन्द्र प्रधान को पूर्वांचल में भाजपा को जिताने की होगी चुनौती

यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा अपनी रणनीति बनाने में जुट गई है।

Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-09-22 14:16 GMT

प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान (फोटो-आशुतोष त्रिपाठी)

लखनऊ: यूपी के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा हाईकमान की तरफ से प्रदेश चुनाव प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की युवा टीम आज से अपनी चुनावी कवायद शुरू करेगी। पार्टी की रणनीति यूपी के अन्य क्षेत्रों के अलावा बिहार से सटे यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर भाजपा अपना कब्जा करने की है। इसलिए धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) के लिए इस क्षेत्र में अधिक से अधिक सीटे जीतने की बडी चुनौती होगी। खास बात यह है कि केन्द्रीय हाईकमान ने पड़ोसी राज्य बिहार में अपनी सांगठनिक क्षमता का प्रभाव दिखा चुके केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द प्रधान (Dharmendra Pradhan) के सहयोग के लिए जो सात सह प्रभारी दिए हैं, उनमे से अधिकतर युवा हैं, जिन्हें लेकर पार्टी को बडी उम्मीदें हैं।

उल्लेखनीय है कि उड़ीसा के रहने वाले धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ओबीसी समुदाय से आते हैं। उनके पिता देवेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) भी भाजपा के सांसद रह चुके हैं। धर्मेन्द्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) की पूरी टीम जिसमें अनुराग ठाकुर, सरोज पांडे अर्जुन राम मेघवाल, शोभा करंदलाजे, कैप्टन अभिमन्यु, अन्नपूर्णा देवी और विवेक ठाकुर आज से अपनी चुनावी रणनीति तय करेंगे।

(फोटो- न्यूजट्रैक आशुतोष त्रिपाठी)

यहां यह बताना जरूरी है कि पूर्वांचल में छोटे छोटे कई दल भाजपा को नुकसान पहुंचाने की तैयारी में हैं। इसलिए भाजपा इन दलों से मोर्चा लेने के लिए पूर्वांचल पर अपना फोकस कर रही है। यहां 26 जिलों में कुछ 156 सीटें आती हैं। यदि पिछले विधानसभा चुनाव पर गौर करे तो इस चुनाव में भाजपा ने बेहतरीन सफलता हासिल करते हुए ने 106 सीटे पाई थी। वहीं समाजवादी पार्टी को 18, बसपा को 12, अपना दल को 8, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। लेकिन अब राजनीतिक माहौल पूरी तरह से बदल चुका है।

(फोटो- न्यूजट्रैक आशुतोष त्रिपाठी)

पिछली बार भाजपा विपक्ष में थी, इस बार सत्ता में है। चुनाव में उसकी जवाबदेही है। जहां तक लोकसभा की बात है तो पूर्वांचल की 29 सीटों में लोकसभा चुनाव में भाजपा को 22 सीटे मिली थी। जबकि समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन को 6 सीटों पर जीत मिली थी। इसी तरह कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी।

(फोटो- न्यूजट्रैक आशुतोष त्रिपाठी)

यहां की कुछ सीटों पर बसपा का भी असर है। पूर्वांचल ही यूपी की छोटी पार्टियों की भी प्रयोगशाला है और इनमें अपना दल (एस), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी शामिल हैं। फिलहाल निषाद पार्टी और अपना दल (एस) भाजपा  के साथ गठबंधन में हैं। वहीं जनवादी पार्टी का सपा से गठबंधन है तो सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का असर है। यह सब मिलकर भाजपा को हराना चाह रहे हैं।

(फोटो- न्यूजट्रैक आशुतोष त्रिपाठी)

पर  कुछ महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में भाजपा का पूर्वांचल में लचर प्रदर्शन रहा है। जिसके बाद से हाईकमान के माथे पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा रही हैं। वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, गोंडा, देवरिया आदि में अपेक्षा के अनुकूल प्रदर्शन नहीं रहा।


(फोटो- न्यूजट्रैक आशुतोष त्रिपाठी)


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