UP Election Phase- 1 Voting : गन्ना, दंगा, पलायन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में करेंगे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला

उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने वोटिंग को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। आज पहले चरण के लिए मतदाता विधानसभा की 58 सीटों पर मतदान करने जा रहे हैं।

Written By :  aman
Update: 2022-02-10 03:43 GMT

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UP Election Phase- 1 Voting : उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election 2022) के लिए पहले चरण का मतदान शुरू हो गया है। चुनाव आयोग ने वोटिंग को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। आज पहले चरण के लिए मतदाता विधानसभा की 58 सीटों पर मतदान करने जा रहे हैं। सभी दलों ने चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव के पहले चरण में आज 11 जिलों की 58 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। मतदान आज सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा। कोरोना महामारी की वजह से वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने एक घंटा अतिरिक्त समय दिया है। पहले चरण में सभी दलों और निर्दलीय मिलाकर 623 कैंडिडेट मैदान में हैं। सभी 58 सीटों में से 12 सीटें संवेदनशील हैं। ये सीटें खैरागढ़, फतेहाबाद, आगरा दक्षिण, बाह, छाता, मथुरा, सरधना, मेरठ शहर, छपरौली, बड़ौत, बागपत और कैराना हैं। मतलब, पश्चिमी यूपी का वो हिस्सा जो पहले भी विभिन्न वजहों से सुर्ख़ियों में रहा है।

किसानों के गढ़ में मतदान 

आज जब मतदाता अगले पांच साल के लिए नई सरकार चुनने के लिए मतदान करने जाएगा तो उसके मन में बहुत सवाल होंगे। क्योंकि आज पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मतदान  हो रहा है तो उसके मन में गन्ना, दंगे, पलायन और न जाने कई सवाल होंगे। इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। बता दें, कि पश्चिमी यूपी को किसानों का गढ़ कहा जाता है। इस बार सभी पार्टियों ने अपने घोषणा पत्र में किसानों के आर्थिक विकास को ध्यान में रखा है। 

फिर दिलाई दंगे की याद 

मतदाता साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे और जवाहर बाग़ कांड जैसी हिंसा को कैसे भूल जाएगी। हालांकि, अगर बात करें मुजफ्फरनगर दंगे की तो उसके बाद से वोटिंग का पैटर्न काफी हद तक बदल गया है, ऐसा माना जाता है। लेकिन, इस बार के चुनाव प्रचार में बीजेपी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह साल 2016 की ही तरह यानी 2017 चुनाव से ठीक पहले के पैटर्न पर ग्राउंड जीरो तक जाकर दंगे की याद फिर लोगों को दिलाई है। जिसके बाद लगातार बीजेपी के सभी प्रचारक उसी बात को दोहराते दिख रहे हैं। जिससे एक बात तो साफ है कि इस बार मतदाता वोट डालने से पहले दंगे को एक बार याद जरूर करेगा, कि कौन सी सरकार उसके लिए उपयुक्त रहेगी। क्योंकि वो दंगा सांप्रदायिक था। इसलिए बहुत सारे फैक्टर काम करेंगे। 

गन्ने की मिठास तय करेंगे प्रत्याशी की किस्मत 

इसी तरह पश्चिमी यूपी की 'अर्थव्यवस्था' और 'राजनीति' दोनों गन्ने के इर्द-गिर्द घूमती हैं। यूपी विधानसभा चुनावों में सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिन 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान हो रहा है उनमें गन्ना उत्पादक क्षेत्र भी है। अगर गन्ने की बात करें तो गन्ने के गढ़ कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी के शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत, हापुड़, गाजियाबाद, सहारनपुर, बड़ौत, मुरादाबाद से लेकर बरेली, लखीमपुर, गोंडा तक करीब 100 सीटें ऐसी हैं जहां गन्ने का मुद्दा अहम रहता है। सरकार और किसान नेताओं की मानें तो उत्तर प्रदेश में तकरीबन 5 करोड़ किसान परिवार गन्ने की खेती या उससे जुड़े कारोबार से संबंध रखते हैं। अगर हर परिवार में औसतन 4 से 5 मतदाता भी है, तो करीब दो करोड़ मतदाता गन्ना किसान के परिवारों से होंगे। इनके लिए गन्ना एक बड़ा मुद्दा है। बिजनौर सहित पश्चिमी यूपी के गन्ना बहुल इलाकों में आज और अगले चरण मतदान होने हैं, तो ये इस क्षेत्र के लिए बड़ा मुद्दा तो है। गन्ना का भुगतान बड़ी समस्या रही है। यहां गन्ना का भुगतान और कम रेट तथा देरी से भुगतान ही मुद्दा रहा है। 

पलायन और 'घर वापसी' 

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावों की बात हो और 'कैराना में पलायन' की बात न हो, ऐसा हो नहीं सकता। पिछले कुछ चुनावों में लगातार कैराना में पलायन की बात चुनावी मुद्दा रही है। कैराना में पलायन का मुद्दा बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह के उठाने के बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना था। साल 2016 में पलायन करने वाले 346 लोगों की एक सूची भी जारी की गई थी। बाद में योगी सरकार बनने के बाद समय-समय पर यह मुद्दा गरमाता रहा। लेकिन हाल ही में जब बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनाव प्रचार शुरू किया तो उन्होंने इसके लिए कैराना को ही चुना। इसके बाद वो पलायन कर चुके लोग, जो अब फिर वापस लौटे हैं, जिन्हें बीजेपी 'घर वापसी' का नाम देती है को फिर से हवा देने में सफल रही है। हाल में दूसरे पक्ष के भी कुछ वीडियो सामने आये हैं जिसके बाद इस मुद्दे को वोट देने से पहले मतदाता जरूर ध्यान में रखेंगे।   

हालांकि, बात 2017 विधानसभा चुनाव की करें तो बीजेपी को पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारी सफलता मिली थी। पहले चरण की 58 विधानसभा सीटों की बात की जाए तो इनमें बीजेपी को 53 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। तब बीजेपी को मोदी लहर का भरपूर फायदा मिला था। वहीं, यह भी माना जा रहा है कि पहले चरण से जिस तरह की लहर बनेगी उसका असर बाकी के चरण पर भी पड़ना तय है। इसलिए बीजेपी ने दंगा, पलायन और गन्ना को अपने एजेंडे में मुख्य तौर पर रखा। बाकी राजनीतिक पार्टियां भी इसी के इर्द-गिर्द घूमती नजर आई। 

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