World Heart Day: 'एकाएक छाती में दर्द और सांस फूलने को न करें नजरअंदाज', यहां जाने उपाय

World Heart Day: जीवन शैली में परिवर्तन कर हम हृदय रोगों से बच सकते हैं। 'लैंसेट' में छपे हुए आंकड़ों के अनुसार 1990 में हृदय रोगों से 13,00000 मौतें हुई थी, जबकि 2016 में लगभग 28,00000 मौतें हुई थी।

Report :  Shashwat Mishra
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-09-29 23:11 IST

विश्व हृदय दिवस (फोटो - सोशल मीडिया)

World Heart Day : बुधवार को राजधानी में विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) के अवसर पर 'फार्मेसिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश' द्वारा हृदय रोगों से बचाव, उपचार व जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न देशों के साथ, देश के अलग-अलग हिस्सों से भी लोगों ने भागीदारी की।

फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि 'आज मुख्य वक्ता के रूप में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी चिकित्सालय सिविल अस्पताल (SPM Civil Hospital) के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष यादव (Dr. Santosh Yadav) ने वेबीनार में हृदय रोगों के बारे में पूरी जानकारियां दी। साथ ही आंकड़ों के माध्यम से लोगों को अवगत कराया कि हृदय रोगों के बारे में जागरूकता रखना बहुत ही आवश्यक है।'

हृदय रोगियों के मौतों का आंकड़ा

डॉक्टर संतोष यादव ने बताया कि 'जीवन शैली में परिवर्तन कर हम हृदय रोगों से बच सकते हैं। 'लैंसेट' में छपे हुए आंकड़ों के अनुसार 1990 में हृदय रोगों से 13,00000 मौतें हुई थी, जबकि 2016 में लगभग 28,00000 मौतें हुई थी। इसका मतलब यह है कि लोग जागरुक नहीं है, जागरूकता की बहुत आवश्यकता है।'

मधुमेह रोगी क्या करें?

उन्होंने कहा कि ''मधुमेह के रोगी जिनका वजन ज्यादा है, जिनको हृदय धमनियों में रुकावट रह चुका है, जिनकी एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी हो चुकी है, यह सभी लोग 'रिस्क फैक्टर' में आते हैं। इन्हें अपने हृदय का विशेष ध्यान रखना चाहिए।"

इन व्यक्तियों को हृदय रोगों का ख़तरा ज़्यादा

डॉ संतोष यादव ने कहा कि 'कोविड-19 के हल्के लक्षणों, मध्यम लक्षण के मरीजों को हृदय रोगों का कम खतरा है। लेकिन गंभीर लक्षणों के रोगियों, चिकित्सालयों के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती होकर इलाज करा चुके रोगियों को हृदय रोगों का ज्यादा खतरा हो सकता है। इसलिए उन्हें ज्यादा सावधानी की आवश्यकता है।

कोविड-19 से ठीक हुए लोगों को ज्यादा एक्सरसाइज करने के पहले डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है । किसी भी एक्सरसाइज को धीरे-धीरे ही बढ़ाया जा सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति को कमजोरी थकान लग रही है या चलने पर सांस फूलती है, तो उनको इको और ईसीजी कराना चाहिए।

यदि चलते-चलते कोई गिर जाए?

सिविल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि 'अगर एकाएक किसी का शुगर बढ़ गया है, तो भी इसमें हृदय रोगों के लक्षण हो सकते हैं। यदि सीआरपी बढ़ा हुआ आ रहा है, तो उस मरीज को भी ईसीजी, इकोकार्डियोग्राफी कराया जाना आवश्यक है।

अगर कोई व्यक्ति चलते-चलते एकाएक गिरने लगता है और उसका पल्स रेट नहीं पता चल रहा है, तो उसे तुरंत लिटा कर 1 मिनट में 100 से 120 बार कार्डियक मसाज दिया जाये तो उसकी जान बच सकती है। सीपीआर की जानकारी चिकित्सा व्यवसाय से जुड़े लोगों के साथ ही आम व्यक्तियों को भी होनी आवश्यक है।'

साल में एक बार 'इकोकार्डियोग्राम' कराना ज़रूरी

डॉ संतोष ने कहा कि '45 साल से नीचे की उम्र में अगर किसी के परिजनों (दादा-दादी, नाना-नानी) की मौत हो गई है, अथवा वह व्यक्ति स्मोकिंग करता है, शराब का सेवन करता है या उसका ब्लड शुगर ज्यादा रहता है, उसका वजन ज्यादा है या उसका थायराइड कम-ज्यादा है, तो उसे तुरंत इकोकार्डियोग्राम कराना चाहिए। हर व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष में एक बार इकोकार्डियोग्राम और ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना आवश्यक है।

क्या खाएं, क्या न खाएं?

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ ने बताया कि 'खान-पान में परहेज सभी को रखना चाहिए। तेल मसाला कम खाना चाहिए। मोटे अनाज का सेवन करें। नमक और मैदा कम खाएं। जमीन के अंदर की चीजें कम खाएं। छिलके वाली दाल खा सकते हैं। रिफाइंड हृदय रोगों के लिए घातक है। फल का सेवन शरीर के लिए अच्छा होता है। कम कैलोरी का भोजन करें। अखरोट, बादाम, अलसी और सोयाबीन खा सकते हैं।'

लगातार एक तेल का इस्तेमाल न करें

डॉ. संतोष यादव ने कहा कि ''खाने वाले तेल में बदलाव करते रहना चाहिए। लगातार एक ही तेल का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। मेथी खाने से ह्रदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। मांसाहारी लोगों के लिए अंडा खाते समय उसका पीला पदार्थ निकाल देना चाहिए।

वहीं, मछली में सेल्फिश खाया जा सकता है। चिकन खाना तो ठीक है। लेकिन मटन खाना ह्रदय रोगियों के लिए ठीक नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति को 30 से 45 मिनट कम से कम, 3 से 4 किलोमीटर, 10000 कदम रोज पैदल चलना चाहिए।''

दुबई से प्रतिभागी संतोष के ब्लड प्रेशर के संबंध में पूछे गए सवाल पर डॉक्टर संतोष द्वारा अवगत कराया गया कि ब्लड प्रेशर चेक करते समय यह ध्यान रखें कि आधे घंटे पहले चाय या काफी ना पिया हो। तुरंत चलकर ना आए हों। थोड़ा आराम करने के बाद, शाम या सुबह ब्लड प्रेशर चेक करना उचित होता है। वहीं, बीपी मशीन हृदय के सीध में ऊपर रखी रहे, तो उसकी रीडिंग सही आती है। अगर ब्लड प्रेशर 140 से ऊपर लगातार आ रहा है, तो चिकित्सक की सलाह लिया जाना चाहिए।

पंकज प्रसाद के सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि यदि कुछ भी समझ नहीं आ रहा है और मरीज को चेस्ट पेन हो रहा है, तो इग्नोर नहीं करना है। बल्कि उसे आवश्यक दवाएं दी जानी चाहिए। उसका बीपी चेक करने के बाद यदि ब्लड प्रेशर 150 से कम है, तो उसे इकोस्प्रिन आवश्यक रूप से दे दिया जाना चाहिए। तत्पश्चात उसे चिकित्सक के पास भेजा जाना चाहिए।

किसी भी मरीज की सांस फूल रही तो

नीरज द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अगर एकाएक ब्लड शुगर कम होता है, तो मुंह में चीनी का घोल तभी दें, जब वह गटक सकता हो, अर्थात मरीज होश में हो। रसगुल्ला दिया जाना उचित होता है। लेकिन यदि मरीज होश में नहीं है, तो उसे मुंह से कुछ भी दिया जाना खतरनाक हो सकता है।

फेडरेशन के महासचिव अशोक कुमार के प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि कोविड के बाद यदि किसी भी मरीज की सांस फूल रही है, तो फिर 3 से 4 मिनट बाद चलाकर देखा जाना चाहिए और डॉक्टर की सलाह दिया जाना आवश्यक है।

प्रयागराज के वासु कुशवाहा के सवाल पर उन्होंने कहा कि खांसी के साथ सीने में दर्द होना सामान्यतया हृदय का दर्द नहीं होता है।

बिजनौर से अजय मेहरोत्रा के प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की औषधियां लेते समय भी नियमित रूप से ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच करते रहना चाहिए।

वेबिनार के आखिरी में फेडरेशन के वैज्ञानिक कमेटी के चेयरमैन डॉ हरलोकेश नारायण ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। फेडरेशन के महामंत्री अशोक कुमार, उपाध्यक्ष राजेश सिंह, राजीव अग्रवाल, सुभाष श्रीवास्तव सहित अनेक पदाधिकारी भी जुड़े रहे।

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