Raebareli News Today: यूपी से कांग्रेस का सूपड़ा साफ! क्या 2024 लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी बचा पाएंगी अपनी इकलौती सीट?
Raebareli News Today: लगभग तीन सालों के बाद 2024 में लोकसभा के लिए होने वाले चुनाव होना है, क्या कांग्रेस अपनी परंपरागत इस इकलौती सीट को बचा पाएगी? यह एक यक्ष प्रश्न बन चुका है।
Raebareli News Today: साल 2014 के लोकसभा में यूपी से दो सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी 2019 के आम लोकसभा चुनाव में एक सीट पर सिमट कर रह गई थी। कांग्रेस को सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के संसदीय क्षेत्र वाले रायबरेली जिले की ही सीट हाथ लगी थी। लगभग तीन सालों के बाद 2024 में लोकसभा के लिए होने वाले चुनाव (Loksabh Chunav 2024) होना है, क्या कांग्रेस अपनी परंपरागत इस इकलौती सीट को बचा पाएगी? यह एक यक्ष प्रश्न बन चुका है।
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती के मौके पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) तीन दिवसीय दौरे पर अमेठी पहुंची थीं। उन्होंने जनता से कहा था, 'कांग्रेस अगर प्रताड़ित करती रहेगी तो अमेठी का कार्यकर्ता सुनिश्चित करेगा कि, साल 2024 में लोकसभा के चुनाव में रायबरेली की सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलेगा।' अगर 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव के आकड़ों एवं रायबरेली के राजनैतिक भूगोल पर गौर करें और फिर स्मृति की चुनौती को देखें तो स्थित साफ होती है कि लोकसभा में यूपी से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो सकता है।
स्मृति को भरोसा साल 2024 में खिलेगा कमल
स्मृति ईरानी ने आक्रमक तेवर अपनाते हुए कहा था कि, 'जब से मैंने अमेठी की टिकट से लड़ने का दुस्साहस किया, तब से लेकर आजतक ऐसा कोई क्षण नहीं गया, जब अपमानित नहीं हुई हूं। ऐसा कोई क्षण नहीं गया है जब कांग्रेस ने प्रताड़ित करने का कोई प्रयास न किया हो।' उन्होंने मीडिया से बात में आगे कहा था कि, 'कांग्रेस अगर प्रताड़ित करती रहेगी तो अमेठी का कार्यकर्ता सुनिश्चित करेगा कि साल 2024 में लोकसभा के चुनाव में रायबरेली की सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कमल खिलेगा।'
एक दशक बाद से गिरने लगा सोनिया का वोट ग्राफ
रायबरेली सीट से साल 2004 से सोनिया गांधी निरंतर चुनाव लड़ रही हैं। रायबरेली लोकसभा सीट पर शुरुआत उन्होंने 58.75% वोटों से की। 2006 के इलेक्शन में उनके वोटों का आंकड़ा उछाल मारकर 80.49% तक गया। 2009 आया तो उनके वोटों में -8.36% कटौती हुई, जबकि हाशिये पर रही बीजेपी के वोट बैंक में +0.49% की मामूली बढ़ोतरी। हालांकि सोनिया को 72.23% उन्हें वोट मिले। वर्ष 2014 में एक बार फिर 8.43% का नुकसान हुआ इस बार सोनिया का ग्राफ गिर कर 63.80% पर आ ठहरा। जबकि 2009 में मामूली बढ़त वाली बीजेपी +17.23% वोट पाकर उभरी जो सोनिया के लिए संकेत था, जिसे कांग्रेसियों ने गंभीरता से नहीं लिया।
इसके बाद बीजेपी ने 2019 से पहले कांग्रेस में सेंधमारी की, कांग्रेस के वफादार सिपाही एमएलसी दिनेश प्रताप की अप्रैल 2018 में पार्टी में इंट्री कराई और फिर 2019 में दिनेश को भारी विरोध के बाद बीजेपी का चेहरा बना दिया। नतीजा ये हुआ कि दिनेश हारे जरूर, लेकिन सोनिया गांधी की एकतरफा जीत और बड़े अंतराल में कमी ला दी। जहां सोनिया गांधी को 55.80% वोट मिले वहीं दिनेश प्रताप सिंह को 38.36% वोट हासिल हुए।
2019 के चुनाव में मां के लिए प्रियंका को बेलने पड़े थे पापड़
कांग्रेस महासचिव एवं वर्तमान में यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को 2019 में मां सोनिया की सीट बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ी। वरिष्ठ पत्रकार मोहन कृष्ण बताते हैं कि, सोनिया गांधी के 2004 के पहले चुनाव में तो प्रियंका ने ज्यादा समय अमेठी से राहुल के चुनाव में खर्च किया था, रायबरेली तो वो औपचारिकता में आई थीं, और मां को सम्मान जनक जीत दर्ज कराकर गई। मोहन कृष्ण बताते हैं कि, 2006 और 2009 में भी सूरते हाल यही था, चुनाव की घोषणा होने के बाद अंतिम समय में प्रियंका आतीं और जिधर से गुजरतीं उधर उनका जादू चल जाता और मां की सीट क्लियर हो जाती।
साल 2019 में कांग्रेस ने किया था एसपी से समझौता
2019 आते-आते लोगों में रोष बढ़ा, साथ ही गांधी परिवार की लोगों से दूरी भी बढ़ी। इसके अलावा दिनेश सिंह का बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़ना भी निर्णायक साबित हुआ। नतीजा यह हुआ कि चुनाव प्रचार में शुरू से आखिर तक प्रियंका को गांव-गांव और गली-गली की खाक छाननी पड़ी। समाजवादी पार्टी से पैक्ट करना पड़ा, खुद प्रियंका ने एसपी विधायक मनोज पाण्डेय जैसे कद्दावर नेताओं के साथ मंच पर जाकर कैंपेन किया, तब कहीं जाकर सोनिया गांधी को 5 लाख 34 हजार 918 वोट मिले। हालांकि बीजेपी के दिनेश सिंह भी सम्मान जनक स्थित में थे, उन्हें 3 लाख 67 हजार 740 वोट मिले थे।
पांच विधान सभा क्षेत्र में से दो पर जीती थी कांग्रेस
रायबरेली जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं। सदर (रायबरेली), बछरावां, हरचंदपुर, सरेनी और ऊंचाहार। वर्तमान में दो सीटों- बछरावां और सरेनी पर बीजेपी का कब्जा है। बछरावां से रामनरेश रावत और सरेनी से धीरेंद्र बहादुर सिंह विधायक हैं। कमोबेश हरचंदपुर सीट भी बीजेपी पाले में मानी जा रही है, वह इसलिए कि यहां से जीते राकेश सिंह एमएलसी दिनेश सिंह के भाई हैं, और दिनेश सिंह सोनिया के मुकाबले में चुनाव लड़ चुके हैं।
राकेश को कांग्रेस का बागी कहा जाता है, खुद कांग्रेस विधानसभा में उन्हें अयोग्य घोषित करने की याचिका दायर कर चुकी है। इसके अलावा उंचाहार सीट एसपी के पाले में है, जबकि सदर (रायबरेली) सीट से वर्तमान में कांग्रेस की बागी अदिति सिंह विधायक हैं। 2017 के चुनावी नतीजों के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में इन विधानसभा सीटों में जो वोट पड़े वो कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नही हैं।
2019 में जीत के बाद गांधी परिवार ने रायबरेली से बनाई दूरियां
साल 2019 का चुनाव जीतने के बाद से साल भर बीत चुके हैं। गांधी परिवार ना के बराबर ही रायबरेली आया है। सोनिया गांधी अपना चुनाव मैनेजमेंट संभालने वाली बेटी प्रियंका के संग धन्यवाद देने आई थीं। प्रियंका भी पाला चूमने के लिए कुछेक कंडोलेंस में ही रायबरेली में पहुंची हैं। इस कारण परिवारिक रिश्तों में दरारे आने लगी हैं
वहीं स्मृति ईरानी गाहे बगाहे आकर मीटिंग कर, या फिर वर्चुअल चौपाल के माध्यम से रायबरेली की जनता से संवाद कर रही हैं। दूसरी ओर प्रियंका गांधी जैसे ही चुनाव नजदीक आता है वैसे ही उनकी दौरे जारी हो जाते है। प्रियंका गांधी संभावित दो दिवसीय दौरे पर वो कल (11 सितंबर) रायबरेली पहुंचेंगी और कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर चुनावी रणनीति तय करेंगी।
काफी समय बाद प्रियंका गांधी अपनी मां के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भुए मऊगेस्ट हाउस में बैठक कर कार्यकर्ताओं व संगठन के लोगों से व जिले के बुद्धिजीवी लोगों से बैठक कर एक नई रणनीति बनाएंगी। सोनिया गांधी ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सपा मनोज कुमार पांडे के घर भी गई थी और राजनीतिक पारा गर्म हो गया था, तो कहीं ना कहीं प्रियंका गांधी को अब रायबरेली में डर सताने लगा है। 2022 का चुनाव कैसे लड़ा जाए कि कांग्रेस संगठन रायबरेली में मजबूत हो पाए, इसी को लेकर प्रियंका गांधी मंथन करने रायबरेली पहुंच रही है।