लखनऊः कभी आजम खान को पार्टी से इस्तीफा देने की सलाह देने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव दिल्ली में आजम खान से ऐसे मिले मानों दोनों के बीच किसी तरह की कोई तल्खी ही न रही हो। ऐसा होना लाजिमी भी था, इसके पीछे सिद्धांत भी जग जाहिर है। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, कुछ इसी अंदाज में सपा के दो विपरीत ध्रुव शुक्रवार को दिल्ली में गले मिलते दिखाई पड़े।
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घंटे भर की मुलाक़ात में लिखी गई ‘अमर कथा’ पर विराम की स्क्रिप्ट
इससे पहले कभी भी आजम खान को इस तरह रामगोपाल से मिलने पहुंचते नहीं देखा गया है। आजम के साथ पार्टी के राज्यसभा सांसद मुनव्वर सलीम भी थे। अटकलों का बाजार गर्म है कि कि अमर सिंह की सपा में वापसी और उन्हें राज्यसभा जाने से रोकने के लिए रामगोपाल और आजम ने एक दूसरे के प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई है।
आजम और रामगोपाल की मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इन दोनों नेताओं के बीच रिश्ते कभी इतने अच्छे नहीं रहे हैं, लेकिन दोनों ही अमर सिंह को रोकने के लिए एक हो चुके हैं।
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4 जुलाई को खाली होनी है यूपी से राज्यसभा की 11 सीट्स
यह सारी कवायद आने वाली 4 जुलाई को यूपी कोटे की 11 राज्यसभा सीटों के खाली होने को लेकर है। सियासी गलियारों में है कि इनमे से सपा की 6 सीटों में से एक सीट पर अमर सिंह का नाम सपा सुप्रीमो तय कर चुके हैं। अगर सपा सुप्रीमो को पार्टी में ज्यादा अंदरूनी दबाव का सामना नहीं करना पड़ता तो जयाप्रदा भी इसी झटके में राज्यसभा पहुंच सकती हैं।
ऐसे में अमर सिंह के धुर विरोधी माने जाने वाले रामगोपाल यादव और आजम खान के लिए ये एक बड़ा झटका होगा। शुक्रवार को हुई दोनों की मुलाकात अमर सिंह के राज्यसभा जाने की इन्हीं संभावनाओं को रोकने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
शादी में पहुंचे अमर को मिला था ‘गिफ्ट’
- हाल ही में अमर सिंह और जयाप्रदा की वापसी की भूमिका शिवपाल सिंह यादव के बेटे आदित्य की शादी के दिन ही तय हो गई थी।
- विवाह समारोह में जयाप्रदा और अमर सिंह ने जिस तरह हिस्सा लिया और मुलायम के आसपास ही रहे उससे कुछ कयास लगने लगे थे।
- जयाप्रदा ने तो मुलायम का पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
- सूत्रों के अनुसार सपा अध्यक्ष ने दोनों की वापसी पर हामी भर दी है।
आजम के आगरा न पहुंचने पर तल्ख हुए थे रामगोपाल
- साल 2013 आजम के सपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में न पहुँचने के चलते रामगोपाल ने खुलकर अपनी तल्खी जाहिर की थी।
- बतौर पार्टी के महासचिव उन्होंने कहा था कि आजम खान को या तो बैठक में भाग लेना चाहिए था या वे इस्तीफा दे देते।
- उन्होंने यह भी कहा कि उनके न आने से कोई फर्क नहीं पड़ा। वे पद की गरिमा को समझें और यदि उन्हें कोई परेशानी है तो वह पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
सपा में नहीं बढ़ा किसी और नेता का इतना कद
- सपा में शामिल होने के बाद किसी एक नेता का इतना कद नहीं बढ़ा होगा जितना कि अमर सिंह का।
- अमर सिंह ने सपा को फ़िल्मी सितारों के जरिये एक फाइव-स्टार चेहरा देने की कोशिश की थी।
- अमर सिंह फैसले ले लेते थे और मुलायम सिंह उन फैसलों को स्वीकार कर लेते थे।
- अमर सिंह की फाइव स्टार और टेबल पॉलिटिक्स समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं जिनमे दिवंगत मोहन सिंह भी शामिल थे, कभी रास नहीं आई।
- एक वक़्त तो वह भी आया जब मुलायम के बेहद करीबी आजम खान के लिए भी अमर सिंह नाकाबिले-बर्दाश्त हो गए।
- आजम अमर सिंह के खिलाफ खुलकर बयान देने के चलते आजम खान को पार्टी से निकाल भी दिया गया।
मुलायम करते रहे हैं बीच बचाव
- अमर सिंह के उस वक़्त के रसूख को इसी बात से समझा जा सकता है कि मुलायम सिंह के
- अपने चचेरे भाई प्रो रामगोपाल यादव से उनके मतभेद की बात सामने आने पर मुलायम को बीच में आना पड़ा।
- यही नहीं उसके बाद रामगोपाल ने मीडिया के सामने माफ़ी अंदाज में अमर सिंह से मतभेद होने की बात को नकारा। -
-अमर सिंह के पार्टी में बढ़ते प्रभाव का नतीजा यह हुआ कि पार्टी के संस्थापक रहे नेता धीरे-धीरे पार्टी से दूर होने लगे।
- नेताओं का यह आरोप था कि पार्टी अमर सिंह के चलते अपने ट्रेडिशनल वोट बैंक पिछड़े और मुस्लिमों की बीच अपनी साख खोती जा रही है और केवल फिल स्टार्स और इंडस्ट्रियलिस्ट की पार्टी बनती जा रही है।
मुलायम भी मजबूर हुए अमर को नजरंदाज करने पर
- आखिरकार वह वक़्त भी आ गया जब मुलायम सिंह को अमर सिंह को नजरअंदाज करना पड़ा।
- हालात यहां तक बिगड़े कि अमर सिंह जब सिंगापुर के अस्पताल में ईलाज करने के बाद भारत लौटे तो उन्होंने बयान दिया कि मुलायम सिंह और उनके परिवार ने उनकी इस गंभीर बीमारी के दौरान उनसे कोई सहानुभूति नहीं रखी।
- इसके फरवरी बाद अमर सिंह को उनकी करीबी जया प्रदा और चार अन्य विधायकों के साथ पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।