विवादित आजम ! जिनकी साख गिर रही और मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं

जिले के सांसद आजम खां के खिलाफ चैतरफा कार्यवाही के मददेनजर आजम खां की साख गिरती और मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। कभी दिन बड़े तो कभी रातें बड़ी होती हैं। कहते हैं कमाल को भी जवाल होता है, लेकिन अपने दौर ए इक्तेदार में आजम खां शायद यह भूल गये थे या उनकी आंखों पर एवान ए शाही के रूतबे का चश्मा चढ़ गया था।

Update:2019-07-26 14:40 IST

शन्नू खान

रामपुर: जिले के सांसद आजम खां के खिलाफ चैतरफा कार्यवाही के मददेनजर आजम खां की साख गिरती और मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। कभी दिन बड़े तो कभी रातें बड़ी होती हैं। कहते हैं कमाल को भी जवाल होता है, लेकिन अपने दौर ए इक्तेदार में आजम खां शायद यह भूल गये थे या उनकी आंखों पर एवान ए शाही के रूतबे का चश्मा चढ़ गया था। आंखों पर चढ़े इस मुलम्मे के सबब आजम खां ने लोगों के दिल हिला दिये। दरअसल यह हम नहीं बल्कि परिवार के सामने आकर आजम खां के जुल्मों की कहानी बयां कर रहे हैं। इतना ही नहीं आजम खां के जुल्मों के खिलाफ बड़े पैमाने पर परेशानजदा लोग कानूनी कार्यवाही को अंजाम दे रहे हैं।

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आजम खां पर पहला आरोप है कि उन्हें अपनी सत्ता के दबाव में किसानों की जमीनें जबरदस्ती खरीद लीं और जिन लोगों ने इसका विरोध किया उन्हें पूर्व सीओ सिटी और आजम खां के पिछलग्गू आले हसन खां और तत्कालीन थाना अजीमनगर प्रभारी कुशलवीर सिंह रातों लोगों के घरों पर दबिशें देकर उठा लिया गया। कई-कई दिनों तक थाने में रखकर उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें चरस गांजा वगैहरा में जेल में ठूंस दिया गया। कई लोगों ने आजम खां के दबाव में अपनी जमीनें फरोख्त कर दी लेकिन कुछ ने अपनी जमीनें बेचने से इंकार कर दिया तो उन्हें पर जुल्म की इंतेहा की गई। अब करीब 26 पीड़ित किसान सामने आये हैं जिन्हेांने इल्जाम लगाया कि तत्कालीन सपा सरकार में किये गये जुल्मों की शिकायत की गई लेकिन सूबाई सरकार के मंत्री से मामला जुड़ा होने की वजह से उनकी एक नहीं सुनी गई।

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आजम खां के दौर ए इक्तेदार में पूर्व सीओ सिटी आले हसन खां ने कांग्रेस नेता के कार्यालय में रात में घुसकर प्राण घातक हमला किया जिसमें वह किसी प्रकार बच निकले। इसी प्रकार कांग्रेस नेता फैसल खंा लाला के साथ पूर्व सांसद बेगम नूर बानो एंव उनके बेटे और पूर्व मंत्री नवेद मियां सहित कई कांग्रेसियों को घेरकर प्राणघातक हमला किया गया। जिसके तहत कांग्रेसियों ने थाना गंज में इसकी शिकायत दर्ज करा मुकदमा किया। आजम खां के जुल्मों का शिकार हुए फैसल लाला ने लगातार उनके खिलाफ उनकी ही सरकार में जददोजहद की। लगातार परिवार सहित आजम खां के जुल्मों के बरअक्स मजबूती से खड़े रहे या यूं कहें कि आजम खां की आंख की किरकिरी बने रहे। इस दौरान राष्ष्ट्रीय लोकदल के नेता और कभी आजम खां के करीबी और शाना ब शाना गामजन रहने वाले आसिम खां को आजम खां के जुल्मों का शिकार होना पड़ा। आसिम खां द्वारा आजम खां का दामन छोड़ दिये जाने के बाद आजम खां ने उन्हें भी जेल की सख्त दीवारों में कैद करवा दिया। कांग्रेस नेता फैसल लाला को जेल के अन्दर छिपकली और कीड़े मकौड़े छोड़कर पूरी तरह तोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन फैसल लाला टूटे नहीं बल्कि और मजबूत होते चले गये और वक्त ने करवट ली और आजम खां सत्ता के सिरमौर नहीं रहे।

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लेकिन इसके बावजूद भी वह लगातार विधायक और सांसद के ओहदों पर जबरदस्त जीत के साथ काबिज हुए। जिससे उनकी साख के आगे उनके मुखालेफीन के हौंसलों को हवा नहीं मिल पाई। जिले के नामीगिरामी डाक्टर बंधुओं को सियासी रंजिशन बड़ी जिल्लत पुलिस के जरिए दिलवाते हुए जेल में ठूंस दिया गया। साबिक जिला पंचायत सदर हाफिज अब्दुल सलाम को भी आजम खां के नजले का शिकार होना पड़ा। आलियागंज के लोगों की जमीनों को अधिग्रहीत जबरदस्ती करने और स्पोट्र्स काॅम्पलेक्स के लिए आलियागंज से सड़क निकालने की मुखालफत में भूख हड़ताल पर बैठ गये। सत्ताधारी मंत्री आजम खां का विरोध उन्हें काफी भारी पड़ा और रातों रात हाफिज अब्दुल सलाम को धरने से उठाकर जेल में कैद कर दिया गया। विरोध में आलियागंज के लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद आजम खां की पुलिस का कहर आलियागंज के लोगों पर बरपा। पुलिस ने घरों के दरवाजे, सामान तोड़ दिये और लोगों को घरों से निकालकर मारापीटा और उन्हें मुकदमों में मुलव्विज कर दिया।

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आजम खां ने अरबों रूपये की लागत से स्पोट्र्स काॅम्पलेक्स की तामीर अपने जौहर विश्वविद्यालय को फायदा पहुंचाने के लिए यूनिवर्सिटी की बगल में बनवाया जो शहर की रिहाइश से कोसो दूर है। आलिया गंज और सींगनखेड़ा सहित कई अन्य गांवों का सम्पर्क सड़क से काटने के लिए सड़क किनारे उंची दीवार बनवा दी गई जिनका आज भी सीध्ेा सड़क पर आना उंची दीवार की वजह से मुहाल है। साथ ही सड़क निर्माण कराने के लिए ग्रामीणों के घरों पर बड़े पैमाने पर बुल्डोजर और जेसीबी चलाये गये। सत्तापलट होने के बाद भाजपानीत सरकार पूरे देश में आने पर आजम खां का कच्चा चिटठा खुलने लगा है। पहले जिला प्रशासन ने लो हाइट गेट को जमींदोज कर दिया। दरअसल काफी नीचे बने गेट को जौहर यूनिवर्सिटी की ओर जाने वाले रास्ते पर बनवाया गया था ताकि भारी वाहनों को रोका जा सके। नियमविरूद्ध तरीके से बनाये गये उर्दू गेट पर मुस्तकबिल में कोई विवाद न खड़ा हो इसलिए बड़ी पैनी राजनैतिक समझ के तहत इसका नाम उर्दू गेट दिया गया ताकि इसे अगर नुकसान पहुंचाया गया तो उर्दू और मुसलमान के नाम पर लामबंदी की जा सके। कांग्रेस नेता फैसल खां लाला की यदि माने तो लो हाइट गेट सत्ता का दुरूपयोग करते हुए लाखों रूपये इसमें बर्बाद किये गये।

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जिला कलक्टर आन्जनेय कुमार सिंह ने जांच पड़ताल के बाद इस उर्दू गेट को ध्वस्त करवा दिया। इसके फौरन बाद लोकसभा चुनाव होने थे जिसमें आजम खां ने उर्दू गेट और मुसलमानों के साथ की जा रही ज्यादतियों का जिक्र करते हुए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चुनाव प्रचार के दौरान उन्हेंाने कहा कि इन तनखईयों से मायावती के जूते साफ करवाऊंगा। आजम खां बड़े फर्क से लोकसभा का चुनाव जीते। आजम खां के चुनाव जीतने के बाद भी परेशानियों का ग्राफ कम होता नजर नहीं आया और धीरे धीरे उनके खिलाफ लगाये गये इल्जाम पुख्ता होते चले गये। जिलाधिकारी द्वारा सीडीओ की अध्यक्षता में बनाई गई नौ अफसरान की टीम और एक अन्य एसआईटी टीम से आजम खां के खिलाफ आ रही लेागों की शिकायतों पर जान पड़ताड़ शुरू हो गयी।

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इस दौरान देश दुनिया में मशहूर कदीमी मदरसा आलिया के नाम से बना राजकीय ओरिएंटल काॅलेज के भवन में यूनानी अस्पताल के कमरों पर आजम खां के जौहर ट्रस्ट के द्वारा कब्जा करने की जांच पड़ताल करने पर कमरों को स्कूल से कब्जा मुक्त करवाया गया और स्कूल का बैनर भवन पर से हटवाया गया। दारूल अवाम और मदरसा आलिया की लीज डीड कैंसिल की संस्तुति की गई है।

शन्नू खान, रामपुर।

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