लखनऊ: पीएम मोदी से नाराज चल रहे योग गुरु रामदेव को अखिलेश यादव की सरकार ने उनकी नाराजगी दूर कर अपने पाले में खड़ा कर लिया है। बीते दो साल से नरेंद्र मोदी रामदेव के वैदिक शिक्षा बोर्ड के जिस प्रस्ताव पर चुप्पी साधे बैठे हैं, उस प्रस्ताव को समाजवादी सरकार ने हरी झंडी दे दी है।
क्यों नाराज हैं बाबा रामदेव
बीते लोकसभा चुनाव के दौरान रामदेव नरेंद्र मोदी से जुड़े तो यह अंदाजा लोगों को आसानी से हो रहा था कि बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने की जुगत में लगे रामदेव का मोदी से प्रेम महज राष्ट्रवाद के लिए नहीं है। हालांकि उस समय की कांग्रेस सरकार जिस तरह बाबा रामदेव की पीछे पड़ी थी, उसे देखते हुए उनके पास 'मोदी शरणम् गच्छामि' के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
इसके बावजूद सरकार बनते ही रामदेव ने वैदिक शिक्षा बोर्ड का प्रस्ताव नरेंद्र मोदी सरकार के सामने रख दिया। बाबा रामदेव इस बोर्ड का गठन मदरसा बोर्ड की तरह ही करना चाहते हैं, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ने उस तरह तवज्जो नहीं दी जैसी कि रामदेव को उम्मीद थी। लंबे इंतजार के बाद रामदेव ने अपने इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार से संपर्क साधा।
क्या था प्रस्ताव, अब यूपी की टीम अखिलेश के साथ
रामदेव ने जो प्रस्ताव नरेंद्र मोदी को दिया था उसके मुताबिक, उनके द्वारा खोले जाने आचार्यकुलम् के 10वीं एवं 12वीं कक्षा को हाईस्कूल और इंटर के समकक्ष मान्यता दी जानी थी। शिक्षा चूंकि समवर्ती सूची का विषय है लिहाजा अखिलेश यादव सरकार ने रामदेव के इन मंसूबों को पूरा करने के लिए हामी भर दी है। जल्दी ही रामदेव उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पतंजलि आचार्य गुरुकुलम् की शुरुआत करेंगे। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने उनके 10वीं और 12 वीं के छात्रों को हाईस्कूल और इंटर के समकक्ष मान्यता देने की तैयारी कर ली है।
क्या मिला यूपी सरकार को ?
सरकार और रामदेव के बीच हुए इस समझौते में राज्य सरकार के भी हाथ बड़ी उपलब्धि लगी है। भरोसेमंद सूत्रों की माने तो रामदेव ने संकटग्रस्त बुंदेलखंड में व्यापक स्तर पर गोशालाएं खोलकर यहां का अर्थशास्त्र बदलने की तैयारी कर ली है। इन इलाकों में बाबा रामदेव औषधीय पौधों जैसे एलोवेरा की खेती भी करेंगे।