औरैया: आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रारंभ हुई गर्भवतियों की गोद भराई रस्म, दी गयी जानकारी

इस दौरान हैंडवाशिग, स्वच्छता, खानपान में विविधता, खाने में हरी साग सब्जी का महत्व तथा पोषण के क्षेत्र में सहजन की भूमिका आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।

Update: 2021-02-09 09:31 GMT
औरैया: आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रारंभ हुई गर्भवतियों की गोद भराई रस्म, दी गयी जानकारी (PC: social media)

औरैया: आंगनबाड़ी केंद्रों पर कोरोना काल के दौरान स्थगित हुई गतिविधियां एक बार फ़िर से शुरू हो गयी। बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों पर गर्भवतियों की गोद भराई रस्म मंगलवार से शुरू हुई। ग्राम पंचायत औरतों के आंगनबाड़ी केंद्र में गोद भराई का कार्यक्रम उत्सव के रूप में मनाया गया।

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गर्भावस्था की जानकारी दी गयी

इस दौरान हैंडवाशिग, स्वच्छता, खानपान में विविधता, खाने में हरी साग सब्जी का महत्व तथा पोषण के क्षेत्र में सहजन की भूमिका आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। गर्भावस्था के दौरान होने वाले खतरे से बचाव के अलावे जच्चा-बच्चा की समुचित देखभाल व अन्य आवश्यक जानकारी भी दी गयी।

गर्भवती लक्ष्मी देवी को लाल चुनरी ओढाकर एवं माथे पर लाल टीका लगा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुमन चतुर्वेदी ने सहायिका माधुरी अवस्थी के साथ मिलकर गर्भवती की गोद भराई की। महिलाओं को विभिन्न व्यंजनों में शामिल सतरंगी फल, गुड़ चना का वितरण हुआ। साथ ही गर्भावस्था के दौरान पोषक आहार सेवन के विषय में गर्भवतियों को जागरूक भी किया गया। इस दौरान मात्र समिति अध्यक्ष प्रियंका व सदस्य गुड्डी देवी, स्कूल अध्यापिका विनीता भी उपस्तिथ रहीं।

आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुमन चतुर्वेदी ने बताया

आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुमन चतुर्वेदी ने बताया कि गोदभराई का मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था के आखिरी दिनों में बेहतर पोषण की जरूरत के विषय में गर्भवतियों को अवगत कराना है। माता एवं गर्भस्थ शिशु के बेहतर स्वास्थ्य एवं प्रसव के दौरान होने वाली संभावित जटिलताओं में कमी लाने के लिए गर्भवती के साथ परिवार के लोगों को भी अच्छे पोषण पर ध्यान देना चाहिए। बेहतर पोषण एक स्वस्थ बच्चे के जन्म में सहायक होने के साथ गर्भवती महिलाओं में मातृ मृत्यु दर में कमी भी लाता है। मात्र समिति अध्यक्ष प्रियंका ने बताया कि सभी महिलाओं को अपने दैनिक जीवन में स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषण की जरूरत होती है। पोषण की कमी होने से महिला में खून कम हो जाता है। जिससे कुपोषण का शिकार हो जाती है।

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आखिरी महीनों में जरूरी है बेहतर पोषण

गर्भ के आखिरी महीनों में शरीर को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस दौरान आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा की भी मात्रा होना जरूरी होता है। इसके लिए समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं को साप्ताहिक पुष्टाहार भी वितरित किया जाता है। इसके साथ महिलाएं अपने घर में आसानी से उपलब्ध भोज्य पदार्थों के सेवन से भी अपने पोषण का ख्याल आसानी से रख सकती हैं। हरी साग-सब्जी, सतरंगी फल, दाल, सूखे मेवे एवं दूध के सेवन से आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति आसानी से की जा सकती है।

रिपोर्ट-प्रवेश चतुर्वेदी

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