UP News: बदायूं सदर एसडीएम ने राज्यपाल को जारी कर दिया समन, मामला राजभवन पहुंचा तो मच गया हड़कंप

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Update: 2023-10-27 05:55 GMT

Badaun Sadar SDM issued summons to Governor (Photo: Social Media)

UP News: उत्तर प्रदेश में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिससे प्रशासनिक हलके में हड़कंप मच गया है। बदायूं में सदर तहसील के एसडीएम ने महामहिम राज्यपाल को नोटिस जारी कर 18 अक्टूबर को एसडीएम कोर्ट में पेश होने का आदेश दे दिया। समन जब राजभवन पहुंचा तो हड़कंप मच गया। राज्यपाल के विशेष सचिव ने इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए बदायूं डीएम को खत लिखकर SDM के विरूद्ध कार्रवाई करने को कहा है।

जमीन विवाद से जुड़ा है मामला

यूपी में इन दिनों जमीन विवाद का मामला सुर्खियों में रखता है। लेकिन अबकी बार इसके लपेटे में प्रदेश की संवैधानिक मुखिया ही आ गईं। जिस मामले को लेकर एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार की कोर्ट ने राज्यपाल को समन जारी कर दिया, वो मामला लौड़ा बहेड़ी गांव में जमीन विवाद से जुड़ा हुआ है। गांव के निवासी चंद्रहास ने एसडीएम की अदालत में विपक्षी पक्षकार लेखराज, लोक निर्माण विभाग के संबंधित अधिकारी और राज्यपाल को पक्षकार बनाते हुए वाद दायर किया था।

याचिका के मुताबिक आरोप है कि उसकी चाची कटोरी देवी की संपत्ति उनके एक रिश्तेदार ने अपने नाम कर ली। इसके बाद उसको लेखराज के नाम बेच दी। कुछ दिन बाढ़ ढ़ाई बीघा जमीन में से एक बीघा बाईपास के लिए अधिग्रहण किया गया। जिसके लिए लेखराज को 15 लाख रूपया मुआवजा मिला। जिसकी जानकारी होने के बाद कटोरी देवी के भतीजे चंद्रहास ने सदर तहसील के न्यायिक एसडीएम कोर्ट में याचिका दायर की। इसी मामले में एसडीएम ने राज्यपाल को पक्ष रखने का समन जारी कर 18 अक्टूबर को पेश होने का आदेश जारी कर दिया था।

डीएम ने एसडीएम को चेतावनी देते हुए रिपोर्ट मांगी

एसडीएम कोर्ट का समन जब राजभवन पहुंचा तो हड़कंप मच गया। राज्यपाल के विशेष सचिव बद्रीनाथ सिंह ने बदायूं डीएम मनोज कुमार को खत लिखकर इसे घोर आपत्तिजनक बताते हुए मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया है। उन्होंने एसडीएम के नोटिस को संविधान के अनुच्छेद 361 का घोर उल्लंघन बताते हुए कहा कि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। वहीं, डीएम मनोज कुमार ने मामले का संज्ञान लेते हुए एसडीएम न्यायिक विनीत कुमार को चेतावनी देते हुए रिपोर्ट मांगी है।

राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्राप्त है विशेष छूट

संविधान ने देश के राष्ट्रपति और राज्यपाल को विशेष छूट दे रखी है। इन पदों पर विराजमान व्यक्तियों के खिलाफ कार्यकाल के दौरान किसी प्रकार की कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती है। संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत उन्हें छूट प्राप्त है। उन्हें न तो हिरासत में लिया जा सकता है और न ही गिरफ्तार किया जा सकता है। यहां तक की देश की कोई अदालत भी उनके खिलाफ कोई आदेश जारी नहीं कर सकती। इन्हें सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह के मामलों से छूट प्राप्त है। पद से हटने के बाद उनकी गिरफ्तारी संभव है। दिवंगत नेता कल्याण सिंह का मामला इसका उदाहरण है। राजस्थान के राज्यपाल के पद से हटते ही सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें बाबरी विध्वंस मामले में समन जारी कर दिया था। 

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