कोविड नियंत्रण की आड़ में चल रहा ऐसा खेल, खुलासे के बाद बलिया डीएम एक्शन में

जिला प्रशासन जांच में स्वास्थ्य विभाग में कोविड नियंत्रण संक्रमित मरीजों की दवा किट आदि खरीद फरोख्त में खुलासा हुआ है।

Reporter :  Anoop Hemkar
Published By :  Shraddha
Update:2021-05-19 18:53 IST

जिलाधिकारी अदिति सिंह फाइल फोटो (सौ. से सोशल मीडिया)

बलिया : आपदा में अवसर का लाभ उठाने में स्वास्थ्य विभाग (health Department) के अधिकारी जुट गए हैं। जिला प्रशासन (District administration) की जांच में स्वास्थ्य विभाग में कोविड-19 (COVID-19) नियंत्रण से सम्बन्धित आवश्यक सामग्री मास्क (Masks) , सेनेटाइजर (Sanitizer) , थ्री लेयर मास्क (Three layer mask), ग्लब्स, संक्रमित मरीजों की दवा किट आदि की खरीद फरोख्त में अनियमितता का खुलासा हुआ है। जिलाधिकारी ने इस मामले में दोषी अधिकारियों , कर्मचारियों एवं ठेकेदारों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

स्वास्थ्य विभाग में कोविड नियंत्रण की आड़ में चल रहा खेल सामने आ गया है। सूचना विभाग द्वारा आज जारी विज्ञप्ति के अनुसार जिलाधिकारी अदिति सिंह को स्वास्थ्य विभाग के भंडार गृह में निम्न गुणवत्ता की दवाएं व सामान होने की शिकायत मिली थी। शिकायत किया गया कि कोविड-19 नियंत्रण से सम्बन्धित आवश्यक सामग्री जैसे मास्क, सेनेटाइजर, थ्री लेयर मास्क, ग्लब्स, संक्रमित मरीजों की दवा किट आदि की खरीदफरोख्त के समय उच्चाधिकारियों के समक्ष अच्छे गुणवत्ता की उपरोक्त सामग्री प्रस्तुत की जाती है एवं सीएचसी-पीएचसी व अन्य स्तर पर निम्न स्तर की सामग्री भेजी जाती है।

शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए जिलाधिकारी अदिति सिंह ने मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा को जांच के आदेश दिए। मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण वर्मा ने पांच सदस्यीय टीम का गठन कर जांच कराई । जांच दल में डिप्टी कलेक्टर सीमा पांडेय, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी राजीव यादव, ड्रग इंस्पेक्टर मोहित कुमार दीप, सहायक अभियंता लघु सिंचाई श्याम सुंदर यादव व शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ सिद्धार्थमणि दूबे शामिल किये गए।

जांच कमेटी ने स्वास्थ्य केंद्र का स्थलीय निरीक्षण किया गया

विज्ञप्ति के अनुसार जांच कमेटी द्वारा गत 17 मई को प्रातः 10 बजे भंडार गृह एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का स्थलीय निरीक्षण किया गया, जिसमें यह पाया गया कि स्टाॅक रजिस्टर पर 4 मई तक ही अंकन किया गया है। निरीक्षण के दौरान स्टाॅक पंजिका पर चार प्रकार के सेनेटाइजर-वेस्ट केयर, माई बाॅडी केयर, यू-मेड कम्पनी तथा तीन प्रकार के मास्क, हैंड ग्लब्स (एक मेडीशील्ड कम्पनी का व एक बिना ब्राण्ड का) एवं तापमापी यंत्र (एम्प्रोव सिंगल प्वाइंट लेजर कम्पनी) का अंकन पाया गया , जबकि स्थलीय सत्यापन के दौरान मौके पर स्वीस हर्बल हैंड सेनेटाइजर, कोरोफे सेफ प्लस हैंड सेनेटाइजर व इची साइन कम्पनी के हैंड सेनेटाइजर 100 एमएल के पाए गए। सर्जिकल मास्क की भी गुणवत्ता ठीक नहीं पाई गई। हैंड ग्लब्स दो प्रकार के मिले, जिसमें एक मेडीशील्ड का जबकि दूसरा बिना ब्राण्ड का मिला। तापमापी यंत्र भी स्टाॅक पंजिका से इतर इन्फ्रा इंडिया, माइक्रोटेक, आईक्यूरा कम्पनी का पाया गया।


विज्ञप्ति में बताया गया है कि जेम पोर्टल से क्रय के सापेक्ष इतर सामग्री मौके पर पाए जाने पर भण्डार लिपिक द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया । जांच समिति द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , दुबहड़ का स्थलीय निरीक्षण करने पर वहां पर अत्यंत निम्न गुणवत्ता का मास्क तथा कोरोफे सेफ प्लस ब्राण्ड का सेनेटाइजर 120 एमएल का पाया गया। इस प्रकार जांच समिति द्वारा स्थलीय जांच में शिकायत प्रथमदृष्टया सही पाई गई कि जेम पोर्टल से क्रय सामग्री एवं स्थलीय जांच में पाई गई सामग्री से इतर तथा क्रय आदेश एवं भंडार पंजिका पर अंकन के विपरीत दूसरे कम्पनी की एवं निम्न गुणवत्ता की जांच सामग्री पाई गई ।

डीएम ने दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ की कार्यवाही

जिलाधिकारी ने सीएमओ को निर्देश दिया है कि जांच में दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों , कर्मचारियों एवं ठेकेदारों पर कठोर कार्यवाही करते हुए रिकवरी की कार्यवाही सुनिश्चित कराएं। जिलाधिकारी की ओर से मिले निर्देश के बाद सीएमओ डाॅ राजेंद्र प्रसाद ने स्टोर कीपर पारस नाथ राम को सीएमओ कार्यालय से सम्बद्ध करते हुए ड्रग वेयर हाउस में तैनात फार्माशिस्ट अशोक कुमार सिंह को भंडार गृह के स्टोर कीपर का चार्ज दे दिया है। इसके साथ ही स्टोर कीपर के खिलाफ कार्रवाई के लिए निदेशक (प्रशासन), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा, लखनऊ को पत्र भेज दिया गया है।

इसके पूर्व मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कल जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट सभागार में कोविड रोकथाम के प्रयासों की समीक्षा की। इस दौरान कमीशनखोरी व घटिया किस्म के सामानों की सप्लाई की जानकारी मिलने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने सप्लाई करने वाले वेंडर को ब्लैक लिस्टेड करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि जिम्मेदार एसीएमओ से इसकी रिकवरी की जाए। वहीं, तिथिवार सैम्पलिंग व रिपोर्ट के बारे में सही सटीक जानकारी नहीं दे पाने पर जिला सर्विलांस अधिकारी को फटकार लगाई। 

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