Balrampur: लव-कुश जन्मस्थली पर जले 51 हजार दीये, जय श्रीराम के नारों से गुंजायमान रहा वाल्मीकि मंदिर

Balrampur News: बलरामपुर में पूरे दिन भव्य भंडारे का आयोजन चलता रहा। देर शाम तक रामकथा और भंडारे का आयोजन होता रहा। साधु-संत को कंबल वितरित किए गए।

Update: 2024-01-22 17:30 GMT

बलरामपुर में दीपोत्सव का आयोजन (Social Media) 

Balrampur News: अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद सोमवार (22 जनवरी) की शाम को लव-कुश की जन्म स्थली लोकसभा श्रावस्ती अन्तर्गत इकौना के गांव टंडवा महंत सीताद्वार और वाल्मीकि मंदिर 51 हजार दीयों की रोशनी से जगमगा उठा। कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ श्रावस्ती विधायक रामफेरन पाण्डेय ने किया।

आज पूरे दिन भव्य भंडारे का आयोजन चलता रहा। देर शाम तक रामकथा और भंडारे का आयोजन होता रहा। साधु-संत को कंबल वितरित किए गए। दीपोत्सव का आयोजन इकौना सत्या द आर्यन स्कूल, जगतजीत इंटर कॉलेज और सुभाष इंटर कालेज के छात्र- छात्राओं द्वारा किया गया। इस दौरान जय श्रीराम के नारों से लव-कुश जन्मस्थली गुंजायमान रही।

माता सीता, लव-कुश, संत वाल्मीकि की आरती

श्रावस्ती विधायक रामफेरन पांडेय के आवास पर भी दीपोत्सव मनाया गया। विधायक ने पहले ही जनसभा के दौरान देश में लोगों से अपने घर पर आज के दिन दीपक जलाने की अपील की थी। इससे पहले, आज सुबह विधायक लव-कुश की जन्मस्थली पहुंचे और माता सीता, लव-कुश, संत वाल्मीकि की आरती की।

रामायण में उल्लेख

उल्लेखनीय है कि, रामायण तो अधिकतर लोगों ने देखी-पढ़ी या सुनी है। भगवान श्री राम और सीता के दो सुपुत्र लव और कुश के बारे में भी हर कोई जानता है। अगर, आपने रामायण देखी होगी तो आपको यह पता होगा कि जब भगवान राम ने सीता का परित्याग किया था। उस समय माता सीता गर्भवती थीं। बाद में ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में उन्होंने शरण ली। वहीं, लव-कुश का जन्म हुआ था। हालांकि, महर्षि वाल्मीकि का यह आश्रम कहां पर था और अब वर्तमान में यह स्थान कहां स्थित है, इसे लेकर अलग-अलग उल्लेख मिलते हैं।

टंडवा महंत गांव में ही वो आश्रम है

मान्यताएं हैं कि, उत्तर दिश सरयू वह पावन.. जैसे शब्दों से श्रीराम के निर्देश पर लक्ष्मण ने मां सीता का वन में त्याग इसी स्थान पर किया था। वह महर्षि वाल्मीकि आश्रम जो आज का टंडवा महंत गांव है, यही है। यहां पर माता सीता मंदिर, रामायण रचिता संत वाल्मीकि मंदिर ,अक्षय बट और सीता को प्यास लगने पर लक्ष्मण जी ने तीर से पानी की धार निकाली थी। बाद में 900 एकड़ में फैली झील में परिवर्तित हो गई। वहीं, इछक्वाकु वंश (सूर्य वंश) के भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश श्रीराम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। इसलिए दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया।

श्रावस्ती ही लव की राजधानी थी

राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोसल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती (श्रावस्ती)का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती माना जा रहा है। बताते हैं कि पहले यहां जंगल था जो हजारों किलोमीटर तक फैला था। निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और यह श्रावस्ती ही लव की राजधानी थी।

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