Balrampur News: स्त्री शक्ति दिवस पर अभाविप की संगोष्ठी, बालिकाओं से झांसी की रानी से प्रेरणा लेने को कहा
Balrampur News: झाँसी की रानी के जीवन से हम युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए कि आज़ादी स्वयं में एक मूल्यवान वस्तु है। इसको बनाए रखने के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए।
Balrampur News: बलरामपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर पायनियर पब्लिक स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में आरएसएस के जिला सह बौद्धिक प्रमुख सुधीर सिंह, आर एस एस के नगर प्रचारक रणवीर, अभाविप जिला संगठन मंत्री रितेश सिंह ने मां सरस्वती और स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्पांजलि कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि सुधीर सिंह ने कहा रानी लक्ष्मी बाई की विपरीत परिस्थितियों में भी निडरता, स्वतंत्रता के प्रति उनके जुनून और अपने लोगों के प्रति प्रेम ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया। उनके एक जीवन ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज छात्राओं को भी रानी लक्ष्मीबाई की तरह संकल्पित साहसी होने की आवश्यकता है।
सुधीर सिंह ने कहा कि झांसी की रानी ने तो अपनी अंतिम सांस गंगा दास के मठ में ली थी और यहीं पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। साथ ही झांसी की रानी ने अपनी अंतिम लड़ाई 18 जून 1858 को ग्वालियर में फूलबाग नामक स्थान पर लड़ी। इसी स्थान पर आज उनका स्मारक भी है। मुख्य अतिथि ने बताया कि उनके धार्मिक गुरु ने उनका सिर अपनी गोदी में रखकर गंगाजल पिलाया। रानी को जब आभास हो गया कि उनका अंतिम क्षण अब बहुत निकट है तो उन्होंने महंत गंगा दास से निवेदन किया कि ये अंग्रेज मेरे मृत शरीर को भी हाथ ना लगा पाएं। सैकड़ों हथियारबंद बैरागी साधुओं ने रानी के लिए सुरक्षा कवच बना लिया और दोनों तरफ से घंटों गोलियां चलती रही। जब रानी ने प्राण त्याग दिए तो बाबा गंगादास की कुटिया तोड़कर शीघ्र चिता बनाई गई और बाबा जी ने वैदिक रीति से उनका अंतिम संस्कार कर दिया।
इतिहास में उल्लेख है कि मठ के अंदर से दो बंदूकों से तो गोलियां तब तक आती रहीं जब तक चिता जलकर पूरी तरह शांत नहीं हो गई। इस युद्ध में 745 बैरागी साधुओं ने अपने प्राणों की आहुति दी। अंग्रेजी सेना के कमांडर जब चिता तक पहुंचे तो उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। जिला संगठन मंत्री मंत्री रितेश सिंह ने बताया कि झाँसी की रानी के जीवन से हम युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए कि आज़ादी स्वयं में एक मूल्यवान वस्तु है। इसको बनाए रखने के लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1857 में जब झांसी में संग्राम शुरू हुआ तो रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
मंच संचालन पूर्व जिला संयोजक अम्बुज भार्गव ने किया। इस दौरान बताया कि इसका उद्देश्य बेटियों का आत्मविश्वास बढ़ाकर मिशन साहसी के तहत सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देना है। उन्होंने सभी अतिथियों और सहभागियों का आभार भी व्यक्त किया। इस दौरान आनंद , पंकज आदि अभाविप कार्यकर्त्ता और विद्यार्थी उपस्थित रहे।