Balrampur News: गौरवशाली है बलरामपुर दशहरे का इतिहास, 19वीं सदी में शुरू हुई परंपरा

Balrampur News: महाराजा दिग्विजय सिंह ने 19वीं सदी में स्थानीय परेड ग्राउंड पर विजयदशमी महोत्सव एवं दशहरा मेला मनाने की परंपरा की थी शुरू।

Update: 2023-10-23 15:43 GMT

History of Balrampur Dussehra

Balrampur News: बलरामपुर नगर में दशहरा मेले का इतिहास बहुत ही गौरवशाली है। बड़े परेड ग्राउंड पर आजादी के पहले से मनाए जा रहे दशहरा मेले में कई जनपदों के लोग शामिल होते हैं। इस वर्ष भी मंगलवार को बड़े परेड ग्राउंड में रावण के साथ कुंभकरण व मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाएगा। प्रशासन व आयोजक रावण दहन व दशहरा मेले की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।

19वीं सदी में शुरू हुई परंपरा

झारखंडी मंदिर के पुजारी बुद्धि सागर तिवारी ने कहा कि ऐसा बताया जाता है, कि तत्कालीन महाराजा दिग्विजय सिंह ने 19वीं सदी में नगर के स्थानीय परेड ग्राउंड पर विजयदशमी महोत्सव एवं दशहरा मेला मनाने की परंपरा शुरू की थी। उन्होंने बताया कि जुलूस में हाथी व घोड़े पर सवार होकर भगवान राम की सेना रावण का संहार करने के लिए यहां पहुंचती थी। इसमें राम और रावण की सेना में घनघोर युद्ध होता था और बाद में रावण के पुतले का दहन किया जाता था। उन्होंने बताया कि राजशाही खत्म होने के बाद सन 1950 में मेले के आयोजन की जिम्मेदारी श्री सनातन धर्म सभा बलरामपुर ने संभाल ली। इस बार राज परिवार एवं नगरवासियों के सहयोग से सनातन धर्म सभा की ओर से धूमधाम से विजयदशमी महोत्सव मनाया जा रहा है।


सनातन धर्म सभा के मंत्री संजय शर्मा ने बताया कि दशहरा मेले की तैयारी अंतिम चरण में है। दशहरा मेले का जुलूस 24 अक्तूबर को शाम 4.30 बजे सिटी पैलेस से निकाला जाएगा। जुलूस पुरानी चौक, वीर विनय चौराहा व पीपल तिराहा होते हुए माया होटल पहुंचेगा। यहां राज परिवार के सदस्य भगवान श्रीराम की आरती उतारेंगे और फिर भगवान श्रीराम व रावण की सेना शाम करीब 6.30 बजे बड़ा परेड ग्राउंड पहुंचेगी। यहीं पर भगवान श्रीराम व रावण की सेनाओं के बीच युद्ध के बाद रावण,कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतलों का जलाया जायेगा । बताया जाता है कि बलरामपुर रावण दहन को देखने के लिए आस पास के कई जिलों के गणमान्य आते रहे हैं और इस बार भी अभी से पहुंचने लगे हैं।

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