Balrampur News: रामभक्ति में रंगी भगवान श्रीराम के पुत्र लव की राजधानी श्रावस्ती, जगह-जगह बिक रहे रामनामी ध्वज

Balrampur News: प्रधानमंत्री के 22 जनवरी को दीपावली मनाने के आह्वान का असर ऐसा है कि भगवान श्रीराम के ज्येष्ठ पुत्र लव की राजधानी कहे जाने वाले श्रावस्ती में जगह-जगह जय श्रीराम नामी ध्वजों की दुकानें सज गई हैं। इसके अलावा गली-चौराहों और स्ट्रीट लाइट पर श्रीराम नामी ध्वज लहरा रहे हैं।

Update: 2024-01-21 14:20 GMT

Balrampur News (Pic:Newstrack)

Balrampur News: भगवान राम के ज्येष्ठ पुत्र लव नगरी श्रावस्ती इस समय पूरी तरह से राममय हो गई है। 22 जनवरी देश के लिए ऐतिहासिक दिन साबित होने वाला है। ऐसे में श्रीराम नामी धवज हर ओर लहरा रहे हैं। इस समय श्रावस्ती-बलरामपुर के गांव से लेकर बाजारों में हर ओर भगवा रंग के कपड़े में श्रीराम नाम लिखे हुए ध्वज बिक रहे हैं। मंदिरों में जगह जगह पूजा पाठ चल रहा है। रामभक्त बड़ी ही शिद्दत और आस्था से ध्वज खरीद कर अपने घरों और गाड़ियों में लगा रहे हैं। बलरामपुर शहर, उतरौला, तुलसीपुर समेत श्रावस्ती का इकौना कस्बा, भिनगा नगर, गिलौला गांव समेत सभी जनपद के अधिकतर चौराहों पर ध्वज लहरा रहे हैं। स्ट्रीट लाइट के खंभों पर भी ध्वज लगाए गए हैं। शहर की हर गली में छोटी-छोटी दुकानों में भगवा रंग के कपड़े पर बने श्रीराम, बजरंगबली और अयोध्या मंदिर की छवि वाले ध्वज बिक रहे हैं।

न्यूज़ ट्रैक से बातचीत के दौरान दुकानदारों ने बताया कि इस समय भगवान श्रीराम के ज्येष्ठ पुत्र लव नगरी का मिजाज बदला हुआ नजर आ रहा है। चारों ओर जय श्रीराम की गुंज सुनाई दी रही है। हर जगह श्रीराम गीत बज रहे हैं। भगवान श्रीराम नाम वाले ध्वज खूब बिक रहे हैं। बहुत से लोग अपनी गाड़ियों पर ध्वज लग रहे हैं। इस समय ध्वज की बिक्री काफी हो रही है। रोजाना कम से कम 200 से 300 ध्वज बिक जा रहे हैं। भिनगा दुकानदारों राम सूरत गुप्ता के मुताबिक बाजारों में इस समय भगवा रंग के कपड़ों की अधिक डिमांड हो रही है।पीले रंग के कपड़े भी लोग इस समय काफी अधिक खरीद रहे हैं। भगवान श्रीराम के नाम और तस्वीरों की डिमांड अधिक हो रही है।

22 जनवरी कल को अयोध्या में प्रभु श्रीराम विराजमान होंगे। 26 जनवरी को 75 वां गणतंत्र दिवस भी मनाया जाएगा। इसको लेकर भी बाजारों में भगवा ध्वज व भारतीय ध्वज की डिमांड अधिक बढ़ गई है। इसके अलावा भारतीय ध्वज के रंग का बैलून की भी डिमांड बढ़ी हुई है। कुल मिलाकर यह कह लीजिए कि इस समय लवकुश पूरी हर तरह से राममय हो गई है। हर एक गली, नुक्कड़ और चौराहों पर राम भक्ति के गीत बज रहे है।आलम यह है कि हर कोई राममय गीत सुनकर गुनगुनाते हुए निकल रहे हैं। गांव से लेकर शहर में हर जगह श्रीराम का ध्वज लहरा रहा है।

मान्यता है कि जब श्रीराम ने मां सीता का वन में त्याग किया था तो लक्ष्मण जी यहीं स्थित महर्षि बाल्मीकि आश्रम के करीब छोड़े थे। बौद्ध परिपथ टंडवा महंत गांव अन्तर्गत माता सीता मंदिर, रामायण रचिता संत बाल्मिकी मंदिर ,अक्षय बट और सीता को प्यास लगने पर लक्ष्मण जी ने तीर से पानी की धार निकाली थी जो बाद में 900 एकड़ में फैली झील में परिवर्तित हो गई यही पर स्थित है। इसके साथ पर लव कुश का जन्म तथा पालन पोषण भी यही बताया जाता है।

उल्लेखनीय है कि भरत के दो पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वां बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। इसलिए दक्षिण कोसल प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक किया गया।

राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोसल में विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था।

उल्लेख है कि भगवान श्रीराम ने जब अश्वमेघ यज्ञ कराया था, तो कोई भी राजा उस समय उनके घोड़े को पकड़ने की हिम्मत नहीं कर पाया था। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि जब वह घोडा टंडवा महंत गांव स्थित जंगल पहुंचा तो लव-कुश ने उसे बांध लिया था। इसके बाद राम भक्त हनुमान यहां घोड़ा छुडाने के लिए आये थे। लव-कुश से युद्ध में वह परास्त हो गए और उन्हें यहीं पर बंधक बना लिया गया था। आज भी यहां पर वह स्थल बना हुआ है, जहां पर हनुमान जी को कैद किया गया था। इसके बाद घोड़ा छुड़ाने पहुंचे लक्ष्मण जी को भी यहीं पर बंधक बना लिया गया था।

श्रावस्ती विधायक रामफेरन पाण्डेय ने की आरती

रविवार को सीताद्वार मंदिर पहुंचकर श्रावस्ती विधायक पंडित रामफेरन पाण्डेय ने इकौना ब्लाक प्रमुख अपनी पत्नी मिथलेश पांडेय के साथ माता सीता, लवकुश और संत बाल्मीकी की पूजा अर्चना की और श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह सकुशल होने की मां से आशीर्वाद प्राप्त किया।इस मौके पर अवधेश पाण्डेय, आशुतोष पाण्डेय, अजीत तिवारी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।

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