Madrasa In UP: बलरामपुर के 34 मदरसा संचालकों पर कार्रवाई निश्चित, संचालकों में हड़कंप
Balrampur News: उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने एसआईटी की जांच में मदरसा संचालकों द्वारा सहयोग न करने पर कार्रवाई किए जाने का बयान दिया है।
CM Yogi Action On Madrasa: शनिवार को देवीपाटन मंडल के बहराइच जनपद में एकदिवसीय दौरे पर पहुंचे उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने एसआईटी की जांच में मदरसा संचालकों द्वारा सहयोग न करने पर कार्रवाई किए जाने का बयान दिया है। इस बयान से साफ हो गया है कि बलरामपुर के 34 मदरसों का संचालन बंद होना निश्चित है। धर्मपाल सिंह ने साफ कहा कि अवैध मदरसे में शिक्षा के नाम पर छोटे -छोटे बच्चों में आतंकवाद का जहर फैलाया जाता है। खासकर भारत की सीमा पर चल रहे मदरसों में। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को इस बात की ज्यादा चिंता है।
389 मदरसों को पाया गया अवैध
बता दें कि बलरामपुर प्रशासन ने एसआईटी की संस्तुति के बाद अब तक नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में संचालित हो रहे 389 मदरसों को अवैध पाया है। इनमें से 34 ऐसे मदरसे भी शामिल हैं जिन्होंने सत्यापन के दौरान सूचना भी छिपा लिए थे। जबकि जिला प्रशासन लगातार चेतावनी देता रहा है कि संचालक वास्तविक सत्यापन करा लें। इसके बाद भी 34 मदरसा संचालकों ने अपनी सूचना को विभागीय साइट पर अपलोड नहीं किया है। प्रशासन अब संबंधित विभागों के साथ मिलकर जांच में दागी मिले मदरसों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।मालूम हो कि जनपद के बलरामपुर सदर, तुलसीपुर और गैंसड़ी ब्लॉक में बिना मान्यता के बड़ी संख्या में मदरसों का संचालन हो रहा है। अब तक की हुई सत्यापन जांच में बलरामपुर सदर ब्लॉक में 56, तुलसीपुर ब्लॉक में 56, गैसड़ी ब्लॉक में 121,हरैया सतघरवा में 19, श्रीदत्तगंज ब्लॉक में 12, पचपेड़वा ब्लॉक में 19, गैंडास बुजुर्ग ब्लॉक में 26, सादुल्लाह नगर/रेहरा बाजार ब्लॉक में 36 और उतरौला में 34 सहित जिले में 389 अवैध मदरसों का संचालन होता मिला है। इनमें से सर्वाधिक 121 मदरसे नेपाल सीमा से सटे गैसड़ी ब्लॉक में मिले हैं। सरकार को अंदेशा है कि इन मदरसों में देश के प्रति नफ़रत का जहर बच्चों में भरने का काम किया जा रहा है। साथ ही इन मदरसों के माध्यम से आगामी चुनाव में भी निष्पक्षता पर दुष्प्रभाव का बीज बोने का काम होने की आशंकाएं हैं।
बंद होंगे अवैध मदरसे
जांच के दौरान पाया गया है कि कई मदरसे तो बिना मान्यता के अवैध तरह से कब्जा की गई ग्राम समाज की जमीन पर संचालित हो रहे हैं। कई मदरसा संचालकों ने ग्राम समाज में स्थापित मस्जिद की जमीन का प्रयोग किया। इनमें से सुदूर बघेलखंड इलाके में एक ऐसा ही मदरसा अभी भी संचालित हो रहा है। गांव वालों ने बताया कि यह मदरसा एक मस्जिद के भवन में संचालित है। प्रशासन ने छानबीन के दौरान पाया था कि नेपाल सीमा से सटे 22 मदरसे ऐसे हैं जो नेपाल सीमा से सटे विकास खंडों में संचालित हैं। उल्लेखनीय है कि जिले में 464 मदरसे हैं जिसमें 25 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। वहीं 284 मदरसा आधुनिक है और 155 मदरसा मान्यता प्राप्त हैं। बीते वर्ष इन मदरसों की हुई प्रशासनिक जांच काफी संकुचित दायरे में हुई। इसके बाद शासन ने यू-डायस पोर्टल पर मदरसों के छात्रों, शिक्षकाें व संसाधनों का ब्योरा अपडेट करने के निर्देश दिए। काफी लंबी जद्दोजहद और कार्रवाई की चेतावनी के बाद मदरसों ने डाटा तो अपलोड़ किया लेकिन पूर्ण डाटा नहीं अपलोड किया। वही 34 मदरसे ऐसे भी रहे जिन्होंने इस बाबत कोई भी सूचना देना मुनासिब तक नहीं समझा है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी यशवंत मौर्य ने कहा कि एसआईटी की ओर से की गई जांच व संस्तुति शासन को भेजी जा चुकी है। जैसे ही शासन लिखित निर्देश देगा, वैसे ही जांच के दौरान गड़बड़ी के घेरे में आए मदरसों पर कार्रवाई कर दी जाएगी और गड़बड़ी वाले मदरसों का संचालन बंद कर दिया जायेगा।