Basti News: अस्पताल में चूहों का आतंक, PICU वार्ड बना कबाड़खाना, बच्चों पर मंडराया खतरा

Basti News: वार्ड में करोड़ों रुपए की कीमत की ऑटोमैटिक आईसीयू मशीन, ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम और मेडिकल उपकरण चूहों की वजह से खराब हो चुके हैं, जो प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।;

Report :  Amril Lal
Update:2025-01-10 17:08 IST

बस्ती जिले के जिला अस्पताल में मेडिकल उपकरणों और दवाओं को नष्ट कर रहे चूहे- (Photo- Newstrack)

Basti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के जिला अस्पताल में स्वास्थ्य महकमे की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां चूहों का आतंक इतना बढ़ गया है कि अस्पताल का एक महत्वपूर्ण वार्ड, पीआईसीयू (पेडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट), बर्बाद हो चुका है। चूहे न केवल मेडिकल उपकरणों और दवाओं को नष्ट कर रहे हैं, बल्कि नवजात बच्चों के इलाज के लिए बने इस वार्ड में गंभीर स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। इस वार्ड में करोड़ों रुपए की कीमत की ऑटोमैटिक आईसीयू मशीन, ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम और मेडिकल उपकरण चूहों की वजह से खराब हो चुके हैं, जो प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।

बच्चों की जान को खतरा

इस घटना ने बस्ती अस्पताल में झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई आग की त्रासदी की याद दिला दी है, जिसमें दर्जनों बच्चों की जान चली गई थी। जब उस घटना के बाद सुधार के दावे किए गए थे, तो बस्ती में अब वही स्थिति दोबारा उभर रही है। पीआईसीयू वार्ड को चूहों ने अपनी चपेट में ले लिया है, जिससे नवजात बच्चों की जान पर संकट मंडरा रहा है। यहां जो वॉर्ड पहले गंभीर हालत में नवजातों का इलाज करता था, अब वह एक कबाड़खाने में तब्दील हो चुका है।

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल

बस्ती जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स ने खुलासा किया कि चूहे केवल सामान नष्ट नहीं कर रहे, बल्कि मरीजों पर भी हमला कर रहे हैं। उनका कहना था कि चूहे नवजातों को काटने का खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। जब इस मुद्दे पर जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विकास सोनकर से पूछा गया, तो उन्होंने मामले को हल्के में लेते हुए कहा कि यह पीआईसीयू नहीं है, बल्कि जब ज्यादा मरीज होते हैं तो इस वॉर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल यह गोदाम बन चुका है और जब आवश्यकता होगी, तब इसे फिर से सक्रिय किया जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही

यह पूरी स्थिति बस्ती के स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही और खराब प्रबंधन का नतीजा है। अस्पताल प्रशासन ने पीआईसीयू वार्ड को एक सामान्य गोदाम की तरह छोड़ दिया है, जहां न तो मरीजों के लिए पर्याप्त इलाज की व्यवस्था है, और न ही सही देखभाल की जा रही है। यह एक उदाहरण है कि कैसे सरकारी अस्पतालों में आवश्यक सुधार की कमी और लापरवाही के कारण नागरिकों की जान खतरे में पड़ जाती है। जब जिम्मेदारों से इस बारे में पूछा गया, तो उनकी प्रतिक्रिया में कोई गंभीरता नजर नहीं आई, जो और भी अधिक चिंता का कारण है।

हो रहा हादसे का इंतजार?

यह घटना साफ तौर पर दिखाती है कि बस्ती में स्वास्थ्य महकमे की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया है। यदि जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो यहां भी झांसी जैसे कांड की पुनरावृत्ति हो सकती है। अब सवाल उठता है कि जब जिम्मेदार अधिकारी इस गंभीर मामले पर ध्यान नहीं दे रहे, तो क्या किसी दिन बस्ती में भी कोई बड़ी दुर्घटना हो जाएगी?

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