एक कोठी से दो नेता: एक बीजेपी का दिग्गज तो दूसरा है कांग्रेस का धुरंधर

हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार जितेन्द्र प्रसाद की । जितेन्द्र प्रसाद की कोठी थाना सदर बाजार के कलेक्ट्रेट परिसर के पीछे स्थित है। इस कोठी में जितेन्द्र प्रसाद का परिवार रहता है। तो इसी अहाते में दूसरी कोठी में जितेन्द्र प्रसाद के छोटे भाई जयेंद्र प्रसाद अपने परिवार के साथ रहते है।

Update:2020-02-09 16:09 IST

आसिफ अली

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में अगर राजनीति की बात करें। तो सबसे पहले बड़े बाबा साहब की कोठी का जिक्र सबसे पहले आता है। जहां कई दशकों से सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस का झंडा लहराता रहा है। इस कोठी में दो चमकते और उभरते हुए नेता रहते है। जो रिश्ते में चचेरे भाई है। लेकिन दोनो के रास्ते बिल्कुल अलग है। कोठी तो एक है। लेकिन उस कोठी में राजनीति के रास्ते दो है। दोनो भाई, एक दूसरे की धुर विरोधी पार्टियों में है।

कांग्रेस पार्टी के नेता के पिता जी तो राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार तक रहे चुके हैं। वहीं छोटे बाबा साहब की बात करें तो वह भी कांग्रेसी नेता रहे थे। लेकिन उनकी मौत के बाद उनके बेटे ने भाजपा का दामन थाम लिया। उसके बाद से इस कोठी की सियासत में दो फाड़ हो गए और एक ही कोठी में सियासत के दो रास्ते बन गए।

दोनों भाई जबतक जिंदा रहे तब तक जिले में कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत थी

दरअसल हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के राजनीतिक सलाहकार जितेन्द्र प्रसाद की । जितेन्द्र प्रसाद की कोठी थाना सदर बाजार के कलेक्ट्रेट परिसर के पीछे स्थित है। इस कोठी में जितेन्द्र प्रसाद का परिवार रहता है। तो इसी अहाते में दूसरी कोठी में जितेन्द्र प्रसाद के छोटे भाई जयेंद्र प्रसाद अपने परिवार के साथ रहते है। जब तक दोनों भाई जबतक जिंदा रहे तब तक जिले में कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत थी। बताया जाता है कि जितेन्द्र प्रसाद आम जनता के बेहद करीब रहते थे। यही कारण था कि उनकी कोठी पर बड़े बाबा साहब के पास आम जनता बहुत आसानी से पहुच जाती थी। बहुत ही अदब के साथ बड़े बाबा साहब आम जनता की फरियाद सुनते थे। उसका निस्तारण भी करते थे।

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जितेन्द्र प्रसाद उर्फ बड़े बाबा साहब का जन्म 12 नंबर 1938 को हुआ था। सन 1971 में जितेन्द्र प्रसाद ने शाहजहांपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की। उसके बाद सन 1980- 1984 में फिर जितेन्द्र प्रसाद को जनता ने चुनाव जिताया। उसके बाद सन 1999-94 तक राज्यसभा मेम्बर बने। सन 1999 में फिर से लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके अलावा जितेन्द्र प्रसाद ने सन 2002 मे जितेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन वह इस चुनाव में हार गए थे। लेकिन 16 जनवरी 2001 को बिमारी के चलते जितेन्द्र प्रसाद का निधन हो गया।

धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की

जितेन्द्र प्रसाद के निधन के बाद जिले में कांग्रेस पार्टी को आगे बढ़ाने का काम जितिन प्रसाद के कंधों पर आ गया। सबसे पहले 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव पद की जिम्मेदारी संभाली। सन 2004 में पारम्परिक सीट से जितिन प्रसाद चुनाव लड़ें और जीत भी गए। सन 2008 में उन्हें केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री बनाया गया था। सन 2009 में जितिन प्रसाद ने धौरहरा सीट से चुनाव लड़ा और दो लाख वोटों से जीत हासिल की। सन 2009-11 तक वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री रहे। सन 2011-12 में जितिन प्रसाद ने पैट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। सन 2012-14 मे उनको मानव संसाधन विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया।

लेकिन पिछले कुछ वक्त से शाहजहांपुर जनपद में कांग्रेस कुछ खास कमाल करके नही दिखा पाई है। यहां 6 विधानसभा है। जिन पर पिछले कई दशक से कांग्रेस का एक भी विधायक नही बन पाया है। खास बात ये है कि पिछले विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस और सपा का गठबंधन हुआ था। जिसके बाद शाहजहांपुर मे 6 विधानसभा में तिलहर विधानसभा की सीट कांग्रेस के खाते में आई थी।

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मुद्दा था गोरा और काला

उस सीट से जितिन प्रसाद को प्रत्याशी बनाया गया था। चुनाव से पहले कयास लगाए जा रहे थे कि जितिन प्रसाद की जीत पक्की है। क्योंकि बसपा से निकाले गए विधायक रोशन लाल वर्मा को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। तब लग रहा था कि भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद के आगे कहीं नही टिकते है। लेकिन भाजपा प्रत्याशी ने सिर्फ एक मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। वह मुद्दा था गोरा और काला। क्योंकि जितिन प्रसाद गोरे है माना जाता है कि उनकी कोठी पर जाने वाले फरियादियों और नेताओं को उनसे मिलने के लिए कई कई घंटों का इंतजार करना पड़ता है। इसी मुद्दे को आधार बनाकर चुनाव लड़ा और जितिन प्रसाद की हार हुई थी। तब कांग्रेस पार्टी और जितिन प्रसाद की काफी फजीहत हुइ थी।

नीलम प्रसाद सपा से तनवीर खान से चुनाव हार गई थी

अब बात करते है जितिन प्रसाद के बड़े चचेरे भाई जयेश प्रसाद की। जयेश प्रसाद पूर्व एमएलसी रहे चुके है। वह रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भईया के बेहद करीबी है। निकाय चुनाव मे पूर्व एमएलसी जयेश प्रसाद की पत्नी नीलम प्रसाद ने भाजपा के टिकट पर नगर पालिका का चुनाव लड़ा था। उनके चुनाव में कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश कुमार खन्ना ने जमकर पसीना बहाया था। लेकिन नीलम प्रसाद सपा से तनवीर खान से चुनाव हार गई थी। हाल के दिनों में चिन्मयानंद यौन शोषण मामले में जितिन प्रसाद के भाई जयेश प्रसाद ने चिन्मयानंद की खुलकर मदद की थी। जिसके चलते उन्होंने अपनी कोठी पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला था।

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दरअसल जनपद में कांग्रेस की खराब हालत के जिम्मेदार कहीं न कहीं खुद बड़े नेता ही है। खास बात ये है कि जिले नेताओं और कार्यकर्ताओं को अगर जितिन प्रसाद से मिलना होता है। और वह उनकी कोठी पर जाते है तो उनको मिलने के लिए कई घंटे बाहर इंतजार करना पङता है। इतना ही नही आम जनता को तो कई कई दिन तक जितिन प्रसाद दिखते ही नही है। और जब मिलते है तो ठीक से बात नही करते है।

बस यही कारण है कि शाहजहांपुर की जनता कांग्रेस से दूर चली गई। खास बात ये है कि कांग्रेसी नेताओं कार्यकताओं और जनता की बात छोड़ भी दें। अगर मीडिया को भी जितिन प्रसाद से मिलना होता है तो वह भी कई घंटे इंतजार करते है और फिर जवाब मिलता है कि साहब अभी मिल नही सकते है।

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