सहारनपुर: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर रावण से मुलाकात की अनुमति नहीं दी जाएगी। जेल प्रशासन ने किसी भी तरह की राजनीतिक मुलाकात से इनकार कर दिया है। जेल मैनुअल का हवाला देते हुए कहा है कि इस तरह की मुलाकात का कोई प्रावधान नहीं हैं। इसके बावजूद, जिला प्रशासन इस प्रकरण पर नजर बनाए हुए है। खुफिया विभाग को भी सतर्क कर दिया गया है।
अरविंद केजरीवाल ने लिखा था पत्र
भीम आर्मी संस्थापक रावण एक बार फिर सुर्खियों में है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रावण से मुलाकात करने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने एक दिन पहले पत्र भेजकर जेल प्रशासन से अनुमति मांगी थी। सीएम केजरीवाल ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर 13 अगस्त को चंद्रशेखर रावण से मिलने का समय मांगा था। पत्र मिलने के बाद से ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मची हुई है।
इस वजह से नहीं मिली परमीशन
जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा ने बताया कि डीएम ने जेल प्रशासन, पुलिस और खुफिया विभाग से सीएम केजरीवाल को मुलाकात की अनुमति देने के लिए आख्या मांगी थी। जेल प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में जेल प्रशासन ने साफ तौर पर अनुमति देने से इंकार कर दिया। जेल प्रशासन का दावा है कि जेल मैनुअल में केवल तीन लोगों को ही बंदी से मिलने की छुट होती है। परिवार के सदस्य व करीबी रिश्तेदार, दोस्त और बंदी के अधिवक्ता को ही बंदी से मिलने दिया जा सकता है। किसी भी तरह की राजनीतिक मुलाकात का जेल मैनुअल में कोई प्रावधान नहीं है। जेल प्रशासन ने इसकी रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को भेज दी है।
प्रशासन ने सीएम केजरीवाल को अनुमति देने के संबंध आख्या मांगी थी। जेल मैनुअल में राजनीतिक मुलाकात का प्रावधान नहीं है। जिस कारण दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को रावण से मिलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। आख्या जिला प्रशासन को भेज दी गई है। आगे की कार्रवाई जिला प्रशासन स्तर से होगी।
सहारनपुर की राजनीति का केंद्र बनी भीम आर्मी
सहारनपुर हिंसा के बाद सुर्खियों में आई भीम आर्मी अब सहारनपुर की राजनीति का केंद्र बन चुकी है। बसपा और भाजपा में ही भीम आर्मी संगठन एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे थे, लेकिन अब आम आदमी पार्टी ने भीम आर्मी को लेकर राजनीति शुरू कर दी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रावण से मिलने की अनुमति मांगकर राजनीति को तेज कर दिया है।
सहारनपुर हिंसा के बाद से सहारनपुर की राजनीति भीम आर्मी के इर्द गिर्द घुमती रही है। समय समय पर भीम आर्मी अपनी ताकत का अहसास कराती रही है। नौ मई की हिंसा के बाद 21 मई को भीम आर्मी ने दिल्ली जंतरमंतर पर आंदोलन कर पहली बार अपनी ताकत दिखाई थी। उसके बाद समस समय पर दिल्ली और सहारनपुर में भीम आर्मी लगातार खुद को साबित कर चुकी है। युवाओं के बीच बढ़ती भीम आर्मी की लोकप्रियता को लेकर बसपा सुप्रीमों भी चिंतित है। बसपा सुप्रीमों मायावती ने भीम आर्मी को लेकर कोई जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। कुछ दिन पहले उन्होंने भीम आर्मी को भाजपा द्वारा तैयार किया गया संगठन बताया था। जबकि भीम आर्मी लगातार भाजपा सरकार के खिलाफ आंदोलन रकती रही है। कांग्रेस भी कई बार भीम आर्मी को अपना समर्थन देने की घोषणा कर चुकी है। इस राजनीति में अब आम आदमी पार्टी भी शामिल हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजनीति भीम आर्मी संस्थापक रावण से मुलाकात का समय मिलने का समय मांगकर खलबली मचा दी है। हालांकि जेल प्रशासन ने अरविंद केजरीवाल को रावण से मिलने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है।
उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री भी मांग चुके हैं अनुमति
भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर रावण से मिलने के लिए कई बार राजनीतिक दिग्गजों ने प्रयास किया है। सहारनपुर के राजनेताओं के साथ साथ बाहरी नेताओं ने भी रावण से मुलाकात की इच्छा जाहिर की है। उत्तराखंड़ के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी एकबार रावण से मिलने की अनुमति मांगी थी। यही नहीं दलित नेता और गुजरात की वडगाम विधानसभा से विधायक जिग्नेश मेवाणी ने भी रावण से मुलाकात की अनुमति मांग चुके हैं। हालांकि जिला प्रशासन ने हर बार अनुमति देने से इंकार कर दिया था।