भोजपुरी स्टार निकला चोर, गिरोह के साथ चुराता था लग्जरी गाडियां

भोजपुरी फिल्मों का एक कलाकार अमीनाबाद निवासी नसीम खान भी शामिल है। गिरोह के तार बिहार की जेल से भी जुड़े हैं। दिल्ली के बड़े कारोबारियों के साथ कई सफेदपोश भी शामिल हैं।

Update:2020-06-22 19:51 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गाड़ियों के चोरों का गिरोह काफी अर्से से सक्रीय है। लग्जरी वाहनों के हाईप्रोफाइल चोरों का एक बड़ा गिरोह उत्तर प्रदेश पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इनमें भोजपुरी फिल्मों का एक कलाकार अमीनाबाद निवासी नसीम खान भी शामिल है। गिरोह के तार बिहार की जेल से भी जुड़े हैं। दिल्ली के बड़े कारोबारियों के साथ कई सफेदपोश भी शामिल हैं।

पुलिस ने रविवार को किया पर्दाफाश

पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय ने बताया कि, गिरोह एक्सिडेंटल लग्जरी गाड़ियों में बड़ी हेराफेरी करके बेच देता था। इसके लिए ऑन डिमांड गाड़ियों की चोरी कराता था। पांच करोड़ की 50 लग्जरी व महंगी गाड़ियां बरामद की गई हैं। इनमें बीएमडब्ल्यू, पजेरो, फॉर्च्यूनर व इनोवा सहित कई गाड़ियां हैं। गिरोह चेसिस व इंजन नंबर में फेरबदल कर करोड़ों कमा रहा था। गिरोह का नेटवर्क पूरे देश में है और नेपाल में भी गाड़ियां भेजता था।

एसीपी विभूतिखंड की टीम ने इस गिरोह का खुलासा किया

आरोपियों में अमीनाबाद के मॉडल हाउस निवासी नासिर खान उर्फ छोटी, पुराने कार बाजार का मालिक हुसैनाबाद ठाकुरगंज निवासी रिजवान, कानपुर के बर्रा का बड़ा कबाड़ कारोबारी श्यामजी जायसवाल, आलमबाग निवासी विनय तलवार और हसनगंज के शिवनगर खदरा का मोईनुद्दीन खान उर्फ पप्पू खान हैं। कमिश्नर ने बताया कि डीसीपी पूर्वी सोमेन वर्मा, एडीसीपी पूर्वी अमित कुमार और एसीपी विभूतिखंड की टीम ने इस गिरोह का खुलासा किया है।

ये भी देखें: चीनी कंपनी पर एक्शन: मिली भारतीय मजदूरों हटाने की सजा, सरकार ने दिए ये आदेश

लखनऊ के हजरतगंज नरही का रहने वाला मनीष टंडन भी पकड़ा गया

गिरोह के दस सदस्यों की तलाश की जा रही है। इसमें दिल्ली के बड़े व्यापारी और कल्याण बोर्ड का ओएसडी बताने वाला रोमी पाल सिंह, मेरठ का अबरार, अफजाल, आगरा का राजू शर्मा उर्फ राजू कोली उर्फ राहुल, मुरादाबाद का आरिफ, लखीमपुर पलिया के एसके कार सेल्स का शिबू, फजलगंज कानपुर का कबाड़ी सतपाल, दिल्ली का संदीप मारवा है। इन आरोपियों का गिरोह से सीधा ताल्लुकात है। वहीं, मछली मोहाल मॉडल हाउस का मो. कामिल और हजरतगंज नरही का रहने वाला मनीष टंडन, जिसका गैराज वाला शक्ति भवन के पास है।

सड़क दुर्घटना में क्षतिग्रस्त गाड़ियों से होता था ये खेल

गिरोह एक्सिडेंटल गाड़ियों की कीमत लगाने के बाद खेल शुरू करता था। गिरोह दुर्घटनाग्रस्त कार को इंश्योरेंस कंपनी के पास वैल्यू के लिए भेजता था। वैल्यू दो तरह से लगाई जाती है। एक पूरी तरह से निष्प्रयोज्य और दूसरी उस कार की हादसे में क्षतिग्रस्त होने के बाद कीमत। इसके बाद मालिक को एक निश्चित रकम ग्राहक से दिलाई जाती थी। वहीं, इंश्योरेंस कंपनी भी उसे डैमेज की भरपाई के लिए रुपये देती थी। इसके बाद गिरोह गाड़ी के सेल लेटर पर मालिक के दस्तखत करा लेता था। क्षतिग्रस्त गाड़ियों को गैराज में रखने के बाद उस तरह की गाड़ी चोरी करता था। इसके बाद गैराज में लाकर सप्ताहभर में क्षतिग्रस्त गाड़ी का चेसिस नंबर व इंजन नंबर चोरी की गई गाड़ी में लगा देता था।

इंश्योरेंस कंपनी व आरटीओ की मिलीभगत से होता था ये काम

पुलिस कमिश्नर ने यह भी बताया कि गिरोह को बढ़ावा देने में निजी इंश्योरेंस कंपनियों व आरटीओ कर्मचारियों की भूमिका रही है। ऐसे संदिग्धों की सूची तैयार कर जांच शुरू कर दी गई है। बरामद गाड़ियों को असली मालिक को सुपुर्द किया जाएगा।

ये भी देखें: लॉकडाउन के दौरान बंदियों ने कर डाला ये बड़ा काम, पेश की मिसाल

क्षतिग्रस्त वाहनों को कागज सहित खरीदकर गाड़ी पर चेचिस व इंजन नंबर बदल देते थे

एडीसीपी पूर्वी अमित कुमार के मुताबिक, यह गिरोह क्षतिग्रस्त वाहनों को कागज सहित खरीदते थे। इसके बाद उसी मॉडल की गाड़ी ऑन डिमांड चोरी करते थे। गिरोह के सदस्य इतने शातिर हैं कि वह चेसिस व इंजन नंबर को आसानी से खरीदकर बदल देते थे। वाहनों के ईसीएम व आइडेंटिफिकेशन चिप भी बदल देते थे।

एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया

एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र कुमार सिंह के मुताबिक, 12 से अधिक स्थानों पर पुलिस टीम दबिश दे रही है। कुछ गाड़ियां बरामद हुई हैं। इसमें सीतापुर, जयपुर, मुरादाबाद, वाराणसी व दिल्ली से कई गाड़ियां बरामद हुई हैं। इसके अलावा पुलिस टीम बिहार, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के लिए भी गई हैं।

कार छोड़कर कुछ लोग भागे

डीसीपी पूर्वी सोमेन वर्मा के मुताबिक, 15 जून को चिनहट पुलिस चेकिंग कर रही थी। इस दौरान आई-20 कार छोड़कर कुछ लोग भाग निकले। कार को लावारिस में दाखिल कर मालिक की तलाश शुरू की। ऑनलाइन चेक किया तो गाड़ी का मालिक कैसरबाग के सुंदरबाग निवासी नासिर खान निकला।

पुलिस के मुताबिक, एप पर कार का मॉडल 2013 दिखा रहा था जबकि कार 2019 की लग रही थी। विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की टीम भी शुरूआती जांच में फेल हो गई। दोबारा तीन घंटे तक जांच करने के बाद एफएसएल के अधिकारियों ने चेसिस नंबर व इंजन नंबर के बदलने की पुष्टि की।

पुलिस ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक से पत्राचार कर रिपोर्ट हासिल की। डीसीपी पूर्वी के मुताबिक, जब सही चेसिस व इंजन नंबर की जांच की तो असली मालिक का पता चला। यह गाड़ी पांच जून को गोमतीनगर से चोरी हुई थी। इसका मुकदमा भी दर्ज था।

ये भी देखें: दिग्गज नेता ने दिया इस्तीफा, इस पार्टी को लगा तगड़ा झटका

लॉकडाउन में फंस गई थीं गाड़ियां

डीसीपी ने बताया, आरोपियों ने कुबूला कि लॉकडाउन के कारण गाड़ियों को गैर प्रदेशों व नेपाल भेजने में असफल रहे। यह गिरोह नेपाल, बिहार, उत्तराखंड, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, नार्थ ईस्ट के प्रदेशों में ऑन डिमांड वाहन सप्लाई करता था। कमिश्नर ने गिरोह का खुलासा करने वाली टीम को 50 हजार रुपये का इनाम दिया है।

कश्मीर व नॉर्थ ईस्ट निशाने पर

एसीपी विभूतिखंड स्वतंत्र कुमार सिंह के मुताबिक, गिरोह कश्मीर व नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से आसानी से गाड़ी चोरी कर लेते थे। बताया, एक दो दिन के अंदर 50 से अधिक लग्जरी कारें और बरामद होंगी।

ये भी देखें: मानसून ने दी दस्तक: मिली गर्मी से राहत, दिल्ली-एनसीआर में हो सकती है बारिश

पहले मालिक से सीधे तीसरे को बेचते थे

एडीसीपी पूर्वी अमित कुमार के मुताबिक, गिरोह वाहन पहले मालिक से सीधे तीसरे को बेचता था। दुर्घटनाग्रस्त गाड़ियों के मालिक को इंश्योरेंस की रकम दिलाने के बाद वाहन को कबाड़ घोषित कर देते थे। रकम देते समय वाहन मालिक से सेल लेटर पर दस्तखत करवा लेते थे। इसके बाद चोरी की गाड़ी पर उसका चेसिस व इंजन नंबर सेट कर बेचते थे। इसमें एक बीच का भी ग्राहक होता था। जिससे गाड़ी की क्षतिग्रस्त होने के बाद कीमत लगवाई जाती थी। वाहन उसे नहीं बेचा जाता था। वह गिरोह का ही सदस्य होता था। रकम देने के बाद गाड़ी को एक सप्ताह में नए कलेवर में तैयार कर तीसरे ग्राहक को बेचा जाता था।

Tags:    

Similar News