BHU: मुस्लिम प्रोफेसर की नियुक्ति पर बवाल, छात्रों ने खोला मोर्चा
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में एक गैर हिंदू असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति पर बवाल मचा हुआ है। छात्रों का एक गुट इस नियुक्ति के विरोध में पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठा हुआ है।
वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में एक गैर हिंदू असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति पर बवाल मचा हुआ है। छात्रों का एक गुट इस नियुक्ति के विरोध में पिछले कुछ दिनों से धरने पर बैठा हुआ है। छात्रों के मुताबिक फिरोज खान की नियुक्ति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अधिनियम 1915 के खिलाफ है। ऐसे में फिरोज खान की नियुक्ति को रद्द किया जाए।
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विश्वविद्यालय ने आरोपों को नकारा
दूसरी तरफ बीएचयू प्रशासन ने लेटर जारी करके साफ कर दिया है कि फिरोज खान की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के तहत हुई है। यूनिवर्सिटी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए साफ कहा है, ‘काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना इस उद्देश्य से की गई थी कि यह विश्वविद्यालय जाति, धर्म, लिंग और संप्रदाय आदि के भेदभाव से ऊपर उठकर राष्ट्रनिर्माण हेतु सभी को अध्ययन व अध्यापन के समान अवसर देगा'।
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क्या है छात्रों की आपत्ति और क्या है अधिनियम?
धरने पर बैठे शोध छात्र चक्रपाणि ओझा कहते हैं कि हम किसी मजहब या जाति के खिलाफ नहीं है। हमारे विरोध सिर्फ इस बात को लेकर है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियमों की अनदेखी कर एक ऐसी नियुक्ति की है, जो विश्वविद्यालय अधिनियम 1915 के खिलाफ है।
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चक्रपाणि के मुताबिक ये नियुक्ति मालवीय जी के मूल्यों के भी खिलाफ है। धरने पर बैठे एक अन्य छात्र शुभम कहते हैं कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में अनार्यो (गैर हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध और जैन) की नियुक्ति नहीं हो सकती है। बावजूद इसके साजिश और भ्रष्टाचार करके फिरोज खान की नियुक्ति की गई। आरोप ये भी है कि जब बीएचयू के शिलालेख पर लिखा है कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में गैर हिंदू ना ही अध्ययन कर सकता है और ना ही अध्यापन तो एक मुस्लिम की नियुक्ति क्यों की गई?