लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा ट्रिपल तलाक को भुनाने की कवायद में जुटी है। यही वजह कि पहली बार पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा का जिला स्तर तक विस्तार जारी है। वैसे भी राज्य में तलाक पर खूब हल्ला मच चुका है। प्रदेश में ही तलाक के सबसे ज्यादा मामले भी सामने आए। 2017 में ऐसे मामलों की संख्या करीबन 120 थी। मोर्चा मुस्लिम महिलाओं की इसी पीड़ा को साझा करने की कोशिश करेगा। पार्टी को इसी मुददे पर मुस्लिम महिलाओं का वोट पाने की उम्मीद जगी है। इसके इतर मोर्चा के समक्ष मुस्लिम समुदाय और पार्टी के बीच सेतु का दायित्व निभाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। इन्हीं मुद्दों पर मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैदर अब्बास चांद से प्रमुख संवाददाता राजकुमार उपाध्याय ने बातचीत की। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश।
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अल्पसंख्यक मोर्चा की प्राथमिकताए क्या हैं?
अल्पसंख्यक समाज के सभी वर्गों के बीच पार्टी की नीतियों का प्रचार किया जाए। जिन लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिला है। वह उसे आगे बताएंगे। उनको सम्मानित भी किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ सबका विकास के नारे के आधार पर मोर्चा अलपसंख्यक समुदाय के सभी वर्गों के बीच जा रहा है। बीते महीने राजधानी में हुई कार्यसमिति की बैठक में सभी जिलाध्यक्षों और पदाधिकारियों को बुलाया गया था। मोर्चा अल्पसंख्यक समुदाय को पार्टी से जोडऩे की दिशा में पूरी तरह सक्रिय है।
अल्पसंख्यकों को किस तरह लामबंद करेंगे?
पार्टी में काफी अल्पसंख्यक कार्यकर्ता जुड़े हैं। उन्हें केंद्र सरकार की उज्जवला, आवास आदि योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। यही कारण है कि पहली बार देवबंद सीट से भाजपा जीती। अन्य दलों ने मुस्लिम समाज को सिर्फ वोट लेने के लिए ही इस्तेमाल किया। ट्रिपल तलाक का लाभ भी भाजपा को मिलेगा। जिन माताओं, बहनों का तलाक हुआ है। वह जरूर इसकी अहमियत समझ रही होंगी। वह चुनाव में अवश्य भाजपा को वोट करेंगी।
मोर्चा की चुनाव में क्या भूमिका होगी?
अल्पसंख्यक मोर्चा की 2019 के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका होगी। प्रदेश में ऐसे तमाम बूथ हैं। जहां अल्पसंख्यकों की आबादी ज्यादा है। वहां मोर्चा बूथ का गठन करेगा। बूथ प्रमुख बनाए जाएंगे। उनका परिवार पार्टी को वोट करेगा और उनके रिश्तेदार भी पार्टी प्रत्याशी को वोट करेंगे। पार्टी को इसका फायदा मिलेगा। जहां भाजपा का कोई कार्यकर्ता नहीं बैठता था। वहां अब बैठेगा। यह बड़ी उपलब्धि है। सभी जिलों से ऐसे बूथ की लिस्ट मंगाई गई है। जिस पर अल्पसंख्यक मोर्चो के सिपाही खड़े होंगे। जैसे बनारस में मदनपुर एक बूथ है। वहां आज तक कोई बूथ प्रमुख नहीं बन पाया था। पिछले नगर निकाय चुनाव में बूथ प्रमुख बनाया गया। मोर्चा ऐसे हर बूथ का गठन करेगा। जहां अल्पसंख्यक बहुल इलाके हैं, वहां बूथ अध्यक्ष भी अल्पसंख्यक बनाएंगे।
मोर्चा को मजबूत करने के लिए क्या किया जा रहा है?
मोर्चा का पहली बार मंडल और जिलों तक गठन हुआ है। मैं 22 साल से भाजपा में हूं। पर अब तक मंडल और जिलों तक मोर्चों का गठन नहीं हो पाया था। क्षेत्र में काम करने की वजह से और कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने की वजह से मोर्चा का विस्तार हो रहा है। मोर्चा में कार्यकर्ता संतुष्ट हैं। बीते दिनों हमारी ऐतिहासिक कार्य समिति हुई है।
राम मंदिर पर मोर्चा का क्या स्टैंड है?
राम मंदिर आपसी सहमति से बने तो काफी अच्छा रहेगा। जिससे देश में आगे शांति और सद्भाव बना रहे। वैसे भी इस्लाम कहता है कि विवादित जमीन पर पूजा वगैरह नहीं होनी चाहिए। अगर जरूरत पड़ी तो मुस्लिम धर्मगुरूओं से भी बात करेंगे। उन्हें समझाएंगे।
मुस्लिम समुदाय और पार्टी के बीच सेतु का दायित्व निभाने में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
पहले चुनौती थी। अब चुनौती नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काम करने का बहुत मौका दिया है। पहले जब हम किसी के यहां जाते थे तो वह भड़क जाते थे। अब ऐसा कुछ नहीं होता है। मोबाइल से मिस्ड काल करके सदस्य बन रहे हैं। हर जिलों से दो हजार सदस्य बनाने का लक्ष्य है। पर जिलों में इससे ज्यादा सदस्य बन गए हैं। जिलों में पांच हजार से 3500 तक सदस्य बने हैं। उन्हें सम्मानित भी किया जा रहा है।