Loksabha Election 2024: लोकसभा की हारी सीटों को जीतने के लिए भाजपा की कवायद शुरू

Loksabha Election 2024: बीजेपी यूपी की हारी सीटों पर लोकसभा प्रभारी और संयोजकों की तैनाती करेगी। अब से लेकर चुनाव तक इन सीटों पर भाजपा का खास फोकस रहेगा।

Written By :  Shreedhar Agnihotri
Update: 2022-06-18 05:22 GMT

लोकसभा सीट जीतने के लिए भाजपा की कवायद शुरू (Social media)

Loksabha Election 2024: मिशन 75 के लक्ष्य को लेकर चल रही यूपी भाजपा ने अभी से उन 16 लोकसभा सीटों पर फोकस करना शुरू कर दिया है जो पिछले 2019 के चुनाव में उसके हाथ से निकल गयी थी। पार्टी इसके लिए सांसदों और विधायकों से अभी से एक एक बूथ पर जुट जाने को कहा है। हर विधायक और सांसद को इसके लिए टारगेट दिया गया है। पार्टी की हाल ही में संपन्न हुई बैठक में हारी हुई सीटों को लेकर विशेष रणनीति बनीं। पार्टी जल्द यूपी की हारी सीटों पर लोकसभा प्रभारी और संयोजकों की तैनाती करेगी। अब से लेकर चुनाव तक इन सीटों पर भाजपा का खास फोकस रहेगा।

2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अभी से तैयारी कर रही 

उल्लेखनीय है कि 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीतकर केन्द्र में लगातार दो बार सरकार बनाने वाली भाजपा अगले चुनाव को लेकर अभी से तैयारी कर रही है। भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर अभी दो वर्ष का समय बाकी हो पर पार्टी इसे लेकर कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाह रही है। दूसरी बात यह है कि पार्टी के लिए यूपी का विशेष महत्व है जहां 80 लोकसभा सीटें हैं। पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो यूपी में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन था। पार्टी यूपी की 80 में से 78 सीटों पर लड़ी थी जबकि दो सीटें सहयोगी अपना दल (एस) को दी गई थीं। भाजपा तब 62 सीटें जीतने में सफल रही थी। सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल तब गठबंधन में लड़े थे मगर सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट गए थे। 

हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर प्रदेष में सरकार बनाने का काम किया है। पर देखा जाए तो वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 312 सीटें पाने वाली भाजपा, 2022 में 255 पर आ कर सिमट गई। इस चुनाव में भाजपा को 57 सीटों का नुकसान हुआ। जिसे लेकर भाजपा हाईकमान चिंतित है। अब इसे गणितीय फार्मूला से देखा जाए और औसतन एक लोकसभा सीट पर पांच विधानसभा सीटों को मानते हुए 57 के आंकड़े को भाग दें तो प्रदेश की 11 लोकसभा की सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा की पांच साल में पकड़ ढीली हुई है।

यही नहीं इसका मतलब साफ है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं में  अपने बूथों को लेकर निराशा पैदा हुई है। कारण साफ है कि कार्यकर्ताओं ने उस तन्मयता से इन बूथों पर मेहनत नहीं की जितनी उसे 2017 में की थी। भाजपा हाईकमान इसी बात को लेकर अभी से चिंतित है कि कार्यकर्ताओं के मन में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कैसे उत्साह और स्फूर्ति का संचालन किया जाए। 

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