LU शताब्दी वर्ष: एक्टर अनुपम खेर के साथ वर्चुअल इंटरफेस, कही ऐसी बात

बॉलीवुड के प्रख्यात व चर्चित अभिनेता अनुपम खेर ने रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में आयोजित साहित्य समारोह में कहा कि बीते कुछ दशक में समाज में तेजी से बदलाव आया है। आज के दौर में हम लोग प्रशंसा व आलोचना से अपने व्यक्तित्व का निर्धारण करने लगे हैं।

Update:2020-11-22 20:29 IST
प्रशंसा व आलोचना से इंसान तय करने लगा है अपना किरदार: अनुपम खेर

लखनऊ: बॉलीवुड के प्रख्यात व चर्चित अभिनेता अनुपम खेर ने रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में आयोजित साहित्य समारोह में कहा कि बीते कुछ दशक में समाज में तेजी से बदलाव आया है। आज के दौर में हम लोग प्रशंसा व आलोचना से अपने व्यक्तित्व का निर्धारण करने लगे हैं। फिल्मों और टीवी शो में फूहड़ हास्य के बारे में भी कहा कि पहले लोगों में ज्यादा मासूमियत थी और वह छोटी-छोटी भूल व विसंगति पर हंस लेते थे लेकिन आज वह मासूमियत गायब है।

अनुपम खेर के साथ वर्चुअल इंटरफ़ेस का आयोजन

विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष कार्यक्रमों की श्रंखला में रविवार को दोपहर में अनुपम खेर के साथ वर्चुअल इंटरफ़ेस का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने अभिनेता अनुपम खेर का स्वागत किया और कहा कि यद्यपि विश्वविद्यालय परिवार को खेर जी का सानिध्य नहीं प्राप्त हो पाया पर वर्चुअल माध्यम से जुडक़र उनके सम्मुख लैपटॉप की एक स्क्रीन पर दिखाई देना भी अपने आप में उपलब्धि समान है। उन्होंने विश्वविद्यालय की हाल ही में हुई उपलब्धियों से और इस शताब्दी वर्ष के दौरान उठाए गए नवोन्मेषी कदमों के बारे में अनुपम खेर को जानकारी दी। इस आभासी इंटरफ़ेस कार्यक्रम का संचालन साहत्यिकार डॉ यतींद्र मिश्र ने किया।

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आज के दौर का इंसान पहले जैसा मासूम नहीं

बॉलीवुड की कई फिल्मों में अपने हास्य अभिनय से लोगों की तारीफ जुटाने वाले अनुपम से जब पूछा गया कि आज के दौर में कॉमेडी शो और फिल्मों के फूूहड़ हास्य की वह क्या वजह मानते हैं तो उन्होंने कहा कि आज के दौर का इंसान पहले जैसा मासूम नहीं रहा। पहले वह लोगों की भूल व गलतियों को हंस कर टाल देता था। इसलिए तब हास्य भी ऐसा देखने को मिल रहा था लेकिन आज का समाज जटिल है।

उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि पहले के दौर में लोग अपना व्यक्तित्व अपने सिद्धांत व विचार से तय करते थे लेकिन आज लोगों को दूसरों से मिलने वाली प्रशंसा व आलोचना का इंतजार रहता है। अपनी फोटो भी वह सोशल मीडिया पर साझा कर यह इंतजार करते हैं कि कितने लोगों ने इसे लाइक किया। अच्छे लाइक मिलने पर वह खुद को अच्छा समझते हैं और नहीं मिलने पर अपने अंदर ही कमी तलाशने लगते हैं, हीन भावना का शिकार हो जाते हैं।

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लखनऊ विश्वविद्यालय से रखते हैं लगाव

अनुपम खेर ने बताया कि हालाँकि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नहीं थे, लेकिन जब से वे निराला नगर (विश्वविद्यालय कैंपस के निकट एक क्षेत्र) में रह रहे थे, वे ज्यादातर लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने से गुजरते थे और यही कारण था कि वे लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ बहुत लगाव महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने लखनऊ में अपना पहला एटलस साइकिल खरीदा। उन्होंने अभिनय और भारतीय सिनेमा के बारे में अपने विचारों के बारे में भी बताया और अपनी कला फिल्म “सारांश” और "एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर" के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि "अभिनय सोच के बारे में नहीं करने के बारे में है"।

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उन्होंने अपने पिता के बारे में बताया जो उनके सबसे अच्छे दोस्त थे और उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता से कई चीजें सीखीं, जो कहते हैं कि "असफलता एक घटना है"। अंत में उन्होंने कहा कि उनकी पसंदीदा पुस्तकें "चार्ली चैपलिन की जीवनी" "लस्ट फॉर लाइफ" और "हाउ दी स्टील वास् टेम्पर्ड" हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के विभिन्न पहलुओं और उनकी व्यावसायिकता के बारे में भी बात की। अंत में प्रो निशि पांडे ने छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुपम खेर और डॉ यतींद्र मिश्रा को धन्यवाद दिया। डॉ केया पाण्डेय सत्र का सञ्चालन कर रही थीं।

अखिलेश तिवारी

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