लखनऊ: डेंगू अब पहले से ज्यादा संक्रमित हो रहा है और इससे घातक जटिलताएं सामने आ रही हैं। यही नहीं, डेंगू वायरस मस्तिष्क को भी प्रभावित करने लगा है। डेंगू से होने वाली ज्यादातर मौतों में हेमोरेजिक फीवर यानी रक्तस्राव (डीएचएफ) और तीव्र शॉक (डीएसएस)की स्थिति हो रही है। एक ताजा स्टडी में पता चला है कि डीएसएस की हालत में मृत्यु दर १०० फीसदी है जबकि डीएचएफ में ये ४४ फीसदी है। लेकिन सामान्य डेेंगू संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर लगभग न के बराबर है।
हाल के दिनों में डेंगू के कारण मौतों की संख्या में वृद्धि का कारण डीएसएस और डीएचएफ के मामलों का तेजी से बढऩा है। ये एक बड़ी चिंता की स्थिति बन रही है। डीएचएफ सबसे पहले १९५० के दशक में फिलीपींस और थाईलैंड में व्यापक रूप से फैला था लेकिन अब ये अधिकांश एशियायी और लैटिन अमेरिकी देशों में फैल चुके हैं।
शोकधर्ताओं के अनुसार, डेंगू वायरस के चरित्र में अब बदलाव दिख रहा है। जिसके कारण न्यूरोलॉजिकल समस्याओं से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसके चलते स्ट्रोक, इन्सेफेलाइटिस, मेनेंजाइटिस, पैरालिसिस का प्रकोप होता है। डेंगू वायरस एडिस एजिप्टी तथा एई अल्बोपिक्टस प्रजाति के मादा मच्छर से फैलता है और यही मच्छर चिकनगुनिया, ज़ीका और यलो फीवर संक्रमण फैलाता है।
चार तरह के वायरस
डेंगू कारक चार तरह के वायरस होते हैं - डीईएन १, २,३ व ४। इनमें से किसी भी के संक्रमण से रिकवरी होने के बाद जीवनपर्यंत उस प्रकार के वायरस के प्रति शरीर में इम्यूनिटी बन जाती है। डेंगू के प्रसार की वजह बारिश व जलभराव, तापमान और बेतरतीब शहरीकरण हैं। दुनिया में प्रतिवर्ष डेंगू के ३९ करोड़ से ज्यादा मामले होते हैं।
बचाव ही है इलाज
- डेंगू जैसी बेहद खतरनाक बीमारी का इलाज बचाव में ही छिपा है। इस बीमारी का कोई टीका नहीं है और इसकी कोई स्टैंडर्ड दवा नहीं है सो मच्छरों से बचना ही सबसे उत्तम उपाय है।
- डेंगू के मच्छरों के शरीर पर धारियां होती हैं। इसलिए इन्हें टाइगर मोस्क्विटो भी कहते है। ये मच्छर दिन में, खास कर सुबह व शाम को काटते हैं।
- जहां तक संभव हो, शरीर को ढंक कर रखें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें।
- मच्छरदानी का इस्तेमाल करें क्योंकि डेंगू मच्छर तमाम मच्छरमार दवाओं के प्रति इम्यून हो चुके हैं
- घर के भीतर व आसपास कहीं पानी जमा न होने दें। पुराने टायर, कूलर, गमले आदि में पानी कतई जमा नहीं हो
डेंगू के लक्षण
- मच्छर के काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। इसके लक्षण बीमारी के आधार पर अलग अलग होते हैं।
- ठंग लग कर अचानक तेज बुखार
- आंखों के पिछले हिस्से, सिर व जोड़ों में दर्द
- स्किन पर गुलाबी चकत्ते
- जी मिचलाना व उल्टी
डेंगू में प्लेटलेट्स की भूमिका
सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डेढ़ से तीन लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स शरीर में ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती।