Agra News: ताजनगरी की 35 जूता फैक्ट्रियों पर जड़े ताले, 200 का जूता 630 में खरीद रही है सरकार

Agra News: लगभग 45 में से 35 फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए हैं। 4-5 हजार जूता कारीगर बेरोजगार हो गए हैं। वहीं फैक्ट्री मालिक बैंकों की रिकवरी आने से चिंतित हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Shweta
Update: 2021-09-22 11:29 GMT

ताजनगरी की 35 जूता फैक्ट्रियों पर जड़े ताले

Agra News:  सरकारी नीतियों ने मुगल काल से 2017 तक ताजनगरी में फल फूल रहे घरेलू जूता उद्योग की कमर तोड़ दी है। सरकार द्वारा लगाए गए मानदंड के कारण फैक्ट्रियां सरकारी टेंडर में हिस्सा नहीं ले पा रहीं, जबकि दिल्ली की मुख्य तीन बिचौली फर्म सरकारी मानदंड (अधिक टर्न ओवर) को पूरे कर फैक्ट्रियों व छोटे कारीगरों से कम कीमत में प्रोडक्ट खरीद कर 75 प्रतिशत अधिक दाम में सरकार को उपलब्ध करा चूना लगा रहीं हैं।

आगरा की लगभग 45 में से 35 फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए हैं। 4-5 हजार जूता कारीगर बेरोजगार हो गए हैं। वहीं फैक्ट्री मालिक बैंकों की रिकवरी आने से चिंतित हैं। पिछले चार वर्षों में टर्न ओवर घटने और टेंडर न मिलने से न तो फैक्ट्री चलाने की स्थिति में और न ही कोई दूसरा व्यापार शुरु करने की। 2016-17 में जिन फैक्ट्रियों का टर्न ओवर 18-20 करोड़ रूपये था, आज दो करोड़ पर पहुंच गया है। 2-3 करोड़ रूपये टर्न ओवर वाली छोटी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। कानपुर की भी लगभग 22 फैक्ट्रियों में से 18 पर ताले लटक गए हैं। यही हाल कोलकाता की फैक्ट्रियों का भी है।

बाग फरजाना स्थित बूट मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के सचिव अनिल महाजन के निवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में जूता उद्यमियों ने बताया कि 4 वर्ष पूर्व तक जीडेएसएनडी (डायरेक्टर जनरल सप्लाईज एंड डिस्पोजल) से टेंडर निकलते थे। एयर फोर्स, नेवी, डीजीओएस के कुछ टेंडर मिनिस्ट्री ऑफ डिफैंस से निकलते थे। जिसमें दो से 25 करोड़ रूपये तक के टर्न ओवर वाली छोटी बड़ी सभी फैक्ट्रियां भाग लेती थीं। जूता उद्यमियों ने बताया कि कुछ ट्रेडिंग कम्पनियों ने विभागों से मिलकर अधिक टर्न ओवर और मशीनों से सम्बंधित कंडीशन लगा दी। जिससे पिछले चार वर्षों से फैक्ट्रियों के बजाय बिचौली फर्म को टेंडर मिल रहे हैं। जिससे ताज नगरी का घरेलू जूता उद्योग अंतिम सांसे गिन रहा है।

200 का जूता 630 में खरीद रही सरकार

एनसीसी के जूते पार्टी द्वारा जेम पर 200 रुपए सप्लाई किया गया। बाकी फर्मों ने क्राएटेरिया लगाकर वही चीज 650 में खरीदी। इन लोगों ने दो-दो फर्म खोल रखी हैं। एक फर्म से कम रेट पर कारीगरों से घटिया प्रोडक्ट खरीदकर और अपनी दूसरी फर्म पर अधिक बिल बनाते हैं। इसमें जीएसटी की भी चोरी होती है। ऐसे ही डीजीओएस ने एक ही पार्टी को 197000 जोड़ों का आर्डर दिया। यह आर्डर 11 माह में सप्लाई करना था। परन्तु 4 वर्ष में भी सप्लाई नहीं हो सका। इस आर्डर से अन्य पार्टियों को बाहर कर दिया गया था। आगरा में बने इस प्रोडक्ट की 550-600 रुपए में बने बिल की कॉपी संलग्न है। 13 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान और प्रदेश सरकार में 550 करोड़ रूपये का घपला, ऐसे बहुत सारे मामले हैं।

स्कूल में 15 दिन में फटे गए थे परिषदीय विद्यार्थियों के जूते

2018 में सरकार की गलत नीतियों के कारण परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों के जूते व बैग 15 दिन में ही फट गए थे। यही वजह है कि इस वर्ष सरकार ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को जूते देने के बजाय उनके अभिभावकों के खातों में पैसा डालने का फ़ैसला किया।

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