UP Election 2022: आगरा की बाह सीट पर रहा है राजघराने का वर्चस्व, इस बार रानी पक्षालिका की घेराबंदी में जुटी है सपा

UP Election 2022 : 2007 में बाह सीट पर राजघराने के सियासी वर्चस्व को तोड़ने वाले मधुसूदन शर्मा सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में रानी पक्षालिका सिंह की मजबूत घेराबंदी करने में जुटे हुए हैं।

Report :  Anshuman Tiwari
Published By :  Ragini Sinha
Update:2022-02-03 11:24 IST

Up Election 2022 (Social Media)

UP Election 2022 : आगरा जिले की बाह विधानसभा सीट (Bah Assembly seat) पर लंबे समय से भदावर राजघराने का सियासी वर्चस्व रहा है। अभी तक इस विधानसभा सीट (Up Election 2022) पर हुए 17 चुनावों में 11 बार भदावर राजघराने का सदस्य ही जीतने में कामयाब रहा है। इस राजघराने ने 1957 के चुनाव में पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की थी और 2022 के चुनाव में एक बार फिर राजघराने की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पिछले चुनाव में सीट पर जीत हासिल करने वाली रानी पक्षालिका सिंह (Rani Pakshalika) को भाजपा (Bjp) ने एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है। 

2007 में बाह सीट पर राजघराने के सियासी वर्चस्व को तोड़ने वाले मधुसूदन शर्मा सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में रानी पक्षालिका सिंह की मजबूत घेराबंदी करने में जुटे हुए हैं। 2007 में मधुसूदन शर्मा ने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की थी मगर इस बार सपा-रालोद के मजबूत गठबंधन से चुनाव मैदान में उतरने के कारण इस सीट पर अब मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है।

राजघराने ने 11 बार जीता चुनाव 

भदावर राजघराने के राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह ने 4 बार इस सीट पर चुनाव जीता। उन्होंने पहली बार इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। उनके बाद उनके बेटे राजा महेंद्र अरिदमन सिंह 6 बार इस सीट से विधायक चुने गए। उन्होंने 1989 में पहला चुनाव जनता दल के टिकट पर जीता था। वे लगातार तीन बार जनता दल के टिकट पर विजयी होते रहे। 1996 और 2002 का चुनाव उन्होंने भाजपा के टिकट पर जीता था। 2007 के चुनाव में पहली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा जब बसपा के टिकट पर उतरे मधुसूदन शर्मा ने 4623 मतों से उन्हें हरा दिया था। 

रानी पक्षालिका सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की

इसके बाद वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे और 2012 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर जीता था। 2017 के चुनाव से पहले उन्होंने एक बार फिर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में अरिदमन सिंह की पत्नी रानी पक्षालिका सिंह ने इस सीट पर जीत हासिल की थी और भाजपा ने एक बार फिर रानी पर ही दांव खेला है। इस तरह कुल 11 बार विधानसभा सीट पर भदावर राजघराने का सियासी वर्चस्व रहा है मगर इस बार इस वर्चस्व को कड़ी चुनौती मिलती दिख रही है।

2017 के चुनावी नतीजे 

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर उतनी पक्षालिका सिंह ने बसपा के टिकट पर उतरे मधुसूदन शर्मा को हराया था। पक्षालिका सिंह को 80,570 वोट हासिल हुए थे। मधुसूदन शर्मा दूसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें 57,427 वोट मिले थे। सपा के टिकट पर उतरी अंजू रानी निषाद तीसरे स्थान पर रही थीं और उन्हें 46,885 मत हासिल हुए थे। 

पिछले बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मधुसूदन शर्मा ने इस बार पाला बदल लिया है और वे सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे हैं। बसपा की ओर से निषाद समाज के नए चेहरे नितिन वर्मा को टिकट दिया गया है जबकि कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी मनोज दीक्षित को चुनाव मैदान में उतारा है।

बाह क्षेत्र का जातीय समीकरण 

बाह विधानसभा क्षेत्र को ब्राह्मण और क्षत्रिय बहुल माना जाता है। इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण और क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या 80-80 हजार है। निषाद और जाटव समाज भी यहां प्रमुख भूमिका निभाते रहा है और दोनों बिरादरी के वोटों की संख्या 40-40 हजार है। क्षेत्र में मुस्लिमों के साथ ही कुम्हार,धोबी, नाई, लोधी, यादव और वैश्य मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। चुनावी माहौल में सभी दलों के प्रत्याशियों की ओर से जातीय समीकरण सेट करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप 

भाजपा के टिकट पर उतरी पक्षालिका सिंह 2017 में जीत के बाद क्षेत्र में तमाम विकास कार्य कराने का दावा कर रही हैं। उनका कहना है कि उनके घराने ने इस क्षेत्र में काफी काम कराए हैं और 2017 में जीत के बाद वे खुद के भी विकास के लिए सक्रिय रहने का दावा कर रही हैं। दूसरी ओर सपा प्रत्याशी मधुसूदन शर्मा का कहना है कि क्षेत्रीय लोग तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं मगर उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। 

उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान सपा की सरकार बनने पर बाह को नया जिला बनाने का जुमला भी छेड़ रखा है। वे क्षेत्र में रोजगार के अवसर मुहैया कराने का भी दावा कर रहे हैं। भदावर राजघराने की विधानसभा क्षेत्र पर मजबूत पकड़ जरूर मानी जाती है मगर इस बार विपक्ष की ओर से रानी पक्षालिका सिंह की मजबूत घेराबंदी की जा रही है और इसीलिए क्षेत्र में दिलचस्प सियासी जंग की उम्मीद जताई जा रही है।

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