Adarsh Khel Gaon : जयपुरिया ग्रुप मथुरा के भदावल को बना रहा 'आदर्श खेल गांव', अब कृष्ण की नगरी से निकलेंगे 'खेल रत्न'

बिजनेस स्कूल आईएमटी, गाजियाबाद जो देश की अग्रणी बिजनेस स्कूल है, ने अपने खेल गांव के अनुभव को सेठ आनंदराम जयपुरिया, गाजियाबाद के साथ साझा किया। जिसके बाद जयपुरिया स्कूल ने भदावल गांव को 'आदर्श खेल गांव' के रूप में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।

Written By :  aman
Update: 2022-02-25 04:26 GMT

Special News :भारत में खेलों का लंबा इतिहास रहा है। आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से। हाल के सालों में भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व मंच पर अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए जहां देश को गौरवान्वित किया, वहीं मेडल जीतकर विश्व इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों से अंकित किया। लेकिन, ये खिलाड़ी यूं ही नहीं बनते। ये तमगे एक दिन की मेहनत से नहीं आ जाते। इसके पीछे होती है एक चरणबद्ध प्रक्रिया, सही व्यवस्था और अनुकूल माहौल। जब ये सब मिलते हैं तभी एक खिलाड़ी निखरता है और विश्व फलक पर जगमगाता है। ऐसे ही एक प्रशंसनीय और प्रेरित करने वाला कदम बढ़ाया है देश की अग्रणी शैक्षणिक संस्था जयपुरिया ग्रुप ने। यह ग्रुप पश्चिमी यूपी के मथुरा जिले के छाता तहसील के भदावल गांव को 'आदर्श खेल गांव' के रूप में विकसित करने जा रहा है।  

दरअसल, बिजनेस स्कूल आईएमटी, गाजियाबाद जो देश की अग्रणी बिजनेस स्कूल है, ने अपने खेल गांव के अनुभव को सेठ आनंदराम जयपुरिया, गाजियाबाद के साथ साझा किया। जिसके बाद जयपुरिया स्कूल ने भदावल गांव को 'आदर्श खेल गांव' के रूप में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। इसी के तहत गुरुवार को भदावल गांव में आदर्श खेल गांव की नींव रखी गई। जयपुरिया ग्रुप का सपना है कि इस गांव को राष्ट्रीय पटल पर उभारा जाए। 


अर्जुन अवार्डी अशोक ध्यानचंद और नवीन पुनिया ने रखी नींव  

'आदर्श खेल गांव' के लिए आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे मशहूर हॉकी खिलाड़ी और ओलंपियन तथा अर्जुन पुरस्कार अवार्डी अशोक ध्यानचंद। इंटरनेशनल हैंडबॉल खिलाड़ी नवीन कुमार पुनिया को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। इन दोनों खेल हस्तियों के आगमन से गांव के लोग गदगद दिखे। चूंकि, मौका खेल से जुड़ा था तो गांव में खेल प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया। जिसके तहत रस्साकशी के खेल में विभिन्न आयु वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। विजेता को अंत में ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर अशोक ध्यानचंद और नवीन पुनिया ने मौजूद खिलाड़ियों से किसी भी खेल के लिए निरंतर प्रयास करते रहने जैसी महत्वपूर्ण बातें बताईं। बता दें, कि अशोक ध्यानचंद मशहूर हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के पुत्र हैं। मेजर ध्यानचंद के नाम पर देश में सबसे बड़ा खेल पुरस्कार 'मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार' प्रतिवर्ष खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है। 


...ताकि बच्चे खेल में करें उत्कृष्ट प्रदर्शन- कनिष्क पांडेय  

इस मौके पर खेल अनुसंधान केंद्र, आईएमटी गाजियाबाद के हेड डॉ. कनिष्क पांडेय ने बताया, कि 'हम इस गांव को 'आदर्श खेल गांव' बनाकर राष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते हैं। जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन करेंगे उनके पढ़ने-लिखने की व्यवस्था हमारे विद्यालय की ओर से किया जाएगा। ताकि आने  समय में ये बच्चे खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन करें। यहां कनिष्क ने कहा, जल्द ही लोग भदावल गांव को देश के कोने- जाना जाएगा। यहां के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को दिखाएंगे। उन्होंने कहा, इस गांव में खेल की सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, साथ ही समय-समय पर उसे विकसित किया जाएगा।'


कनिष्क ने बताया 'विजन' 

कनिष्क पांडेय यहां एक नई और महत्वपूर्ण बात कहते हैं, 'इस गांव में हर आयु वर्ग के लोगों को किसी न किसी खेल से जोड़ा जाएगा, ताकि यहां की संस्कृति और जीवनशैली में खेल रच-बस जाएगा। इसका परिणाम आने वाले समय में देश को देखने को मिलेगा।' कनिष्क आगे बताते हैं, 'आज इस यात्रा की शुरुआत हुई है, जो अनवरत जारी रहेगी। गांव के बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए आज से ही एक प्रशिक्षक की नियुक्ति कर दी गई है।' 



जानें क्या है 'आदर्श खेल गांव' कॉन्सेप्ट?   

कनिष्क आगे बताते हैं, ''आदर्श खेल गांव' का कॉन्सेप्ट जनवरी 2020 को शुरू की थी। वो बताते हैं मुजफ्फरनगर के गांव में उनका ये प्रोजेक्ट सफल रहा था, जिसके बाद आज भदावल गांव में इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा, ओलंपिक शुरू हुए करीब 120 साल हो चुके हैं और आज भारत के खाते में महज 35 मेडल हैं। आखिर क्या वजह है, कि इस 135 करोड़ आबादी वाले देश में 35 मेडल ही हैं? इसका कारण ढूंढने पर पता चलता है कि हमारे देश में खेल संस्कृति ही नहीं है। हमारा प्रयास उसी खेल संस्कृति को विकसित करना है, जिसके लिए हमने भदावल गांव को चुना है। खेल के साथ बच्चे की पढ़ाई और स्वास्थ्य आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा। ताकि, बच्चे का सांस्कृतिक और चारित्रिक विकास हो सके।' 


क्या कहा अशोक ध्यानचंद ने? 

इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व हॉकी खिलाड़ी और ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने कनिष्क के इस मिशन को जुनूनी बताया। उन्होंने कहा, 'हमें अब विश्वास हो चुका है कि जिस मुहिम का बिगुल कनिष्क ने बजाया है, उसकी आवाज देश के कोने-कोने तक जाएगी।'   


श्रीकृष्ण की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे 

वहीं, नवीन पुनिया ने जयपुरिया ग्रुप और डॉ. कनिष्क पांडेय की इस बात के लिए सराहना की, 'वो देश का दूसरा आदर्श खेल गांव ऐसी जगह विकसित कर रहे हैं जहां से खेलों का पुराना नाता रहा है। उन्होंने कहा, ये (मथुरा) कृष्ण की भूमि है और श्रीकृष्ण को खेलों से लगाव था। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में इस गांव के बच्चे श्रीकृष्ण की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।'   

'मतभेद और मनभेद की अब कोई जगह नहीं'  

गांव के पूर्व प्रधान ने कहा, जीत और हार जीवन का हिस्सा है। खेल के दौरान ये बात और बेहतर तरीके से सीखने को मिलती है। इसलिए हम कृष्णनगरी के दोनों प्रधानों ने यह तय किया है कि आदर्श खेल गांव में मतभेदों और मनभेदों की कोई जगह नहीं होगी। वहीं, वर्तमान प्रधान ने कहा, जिस तरह से किसी खेल में जीता हुआ खिलाड़ी और हारा हुआ खिलाड़ी एक ही होटल में ठहरते हैं, एक साथ खाते हैं में बिना बैर भाव के रहते हैं, उसी तरह हमलोग भी गांव के विकास में एक साथ काम करेंगे।   


जयपुरिया स्कूल की डायरेक्टर ने ये कहा 

सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद की डायरेक्टर डॉ. मंजू राणा ने कहा, 'हम बच्चों के लिए एक स्वस्थ माहौल की उम्मीद करते हैं। यह तभी साकार होगा जब सभी आयु वर्ग के बच्चे शुरुआत से ही एक साथ खेलें। बस, इसी बात को ध्यान रखकर 'आदर्श खेल गांव' को राष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते हैं। जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन करेंगे उनके पढ़ने और खेलने का प्रदर्शन हमारे स्कूल की ओर से किया जाएगा।'  


कैसा होगा आदर्श खेल गांव? 

-गांव में 'क' से कबूतर की तर्ज पर 'क' से कबड्डी भी सीखेंगे बच्चे 

-शाम 4 से 6 बजे तक नहीं चलेंगे कंप्यूटर और टीवी। सिर्फ खेल को मिलेगी प्राथमिकता। 

-गांव में खुलेगी खेलों से जुड़े सामान की दुकान। 

-टीवी पर केवल स्पोर्ट्स चैनल देखने के लिए लगाया जाएगा। 

-गांव में गोगा मोटिवेटर 

-खेल मैदान तक खेलने वाले को दिया जाएगा मेडल। 

-ओलंपिक खेलों के प्रमोशन और प्रशिक्षण पर रहेगा जोर। 

-इस आदर्श खेल गांव की सफलता को धीरे-धीरे देश के कई और गांवों तक दोहराने के प्रयास होंगे। 

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