Mathura: कर्नल बैंसला का अस्थि कलश पहुंचा मथुरा, शुभचिंतकों ने दी श्रद्धांजलि

Mathura News Today: कर्नल बैंसला का अस्थि कलश कान्हा की नगरी मथुरा पहुंचा, जहां शुभचिंतकों द्वारा अस्थि कलश के दर्शन कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update: 2022-04-04 10:21 GMT

अस्थि कलश यात्रा (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Mathura News Today: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण आंदोलन (Gurjar Reservation Movement) के अगुवा कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला (Colonel Kirori Singh Bainsla) की अस्थि कलश यात्रा (Asthi Kalash Yatra) कान्हा की नगरी मथुरा (Mathura) पहुंची। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि कलश पर फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। जिस समय बैंसला परिवार (Bainsla) कर्नल बैंसला के अस्थि कलश को सोरों घाट लेकर जा रहा था। इसी दौरान कर्नल बैंसला का अस्थि कलश कान्हा की नगरी मथुरा पहुंचा, जहां रास्ते में जगह-जगह कर्नल बैंसला के शुभचिंतकों द्वारा अस्थि कलश के दर्शन कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

कर्नल बैंसला काफी समय से बीमार चल रहे थे जिसके चलते उनका निधन 31 मार्च को हो गया था। उनके पैतृक गांव मूंडिया (Mundiya) में दाह संस्कार (Cremation) किया गया। वहीं, आज कर्नल बैंसला का अस्थि कलश कई जगह होते हुए मथुरा पहुंचा, जहां जगह-जगह लोगों ने अस्थि कलश पर फूल अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

कर्नल बैंसला की पुत्री ने दी जानकारी

जानकारी देते हुए कर्नल बैंसला की पुत्री सुनीता बैंसला जोकि आयकर विभाग में डायरेक्टर जनरल ऑफ इनकम टैक्स हैं, ने बताया कि पिता का स्वर्गवास हो गया है और हम उनकी अस्थियों को सोंरों जी ले जा रहे हैं। हमारा वह पैतृक स्थान है, वहां गंगा में अतिथियों का विसर्जन होगा। बैंसला परिवार की तरफ से मूंडिया ग्राम वासियों की तरफ से और समस्त गुर्जर समाज राजस्थान की तरफ से मैं मथुरा सरदारी को धन्यवाद और आभार प्रकट करना चाहती हूं, क्योंकि आपने कर्नल साहब की अस्थियों को मान सम्मान दिया और रास्ते में उनकी अस्थियों को तिलक किया और सम्मान पूर्वक यहां से आप लोग विदा कर रहे हैं।

कर्नल साहब के लिए मथुरा बहुत प्रिय जगह थी। वह भरतपुर में पढ़े और जब वह विद्यार्थी थे तो वह मथुरा आते थे। मथुरा की भाषा उन्हें बहुत प्यारी लगती थी और वह बहुत प्रेम से कोई अगर मथुरा निवासी उनके पास आता था तो मथुरा की भाषा में ही वह उनसे बात करते थे। आंदोलन के समय मथुरा निवासियों ने कर्नल साहब का बहुत सहयोग किया। आंदोलन के बाद समय-समय पर कर्नल साहब यहां आए और उन्होंने बैठकें की, आपने उन्हें बुलाया आपने उन्हें सुना।

अभी 2 साल पूर्व ही यहां गांव अडूकीं में कर्नल साहब आए थे। कर्नल साहब हमारे बीच में नहीं रहे हैं पर उन्होंने हमें अपने पांव पर खड़ा कर दिया है। समाज को एक पहचान दे दी है। समाज को एक विश्वास दे दिया है और समाज को प्रोग्रेस के रास्ते पर चला दिया है। हम सबको संकल्प करना है कि उनके दिए हुए आदेशों पर उद्देश्यों पर हम चलें। हम मजबूत बने रहें अपने बाल बच्चों को अच्छा पढ़ाएं उनको अच्छा स्वास्थ्य दे। समाज को पढ़ी-लिखी मांय दें और इस समाज को कर्ज मुक्त करें।

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