Mathura News: मथुरा में कंश के पुतले को लाठियों से पीटा जाता है, दीपावली के दस दिन बाद होता है ऐसा माहौल

Mathura News: दीपावली के दस दिन बाद कृष्ण की नगरी मथुरा में अत्याचारी कंश के पुतले को लाठियों से पीटा जाता है,और अन्याय पर न्याय की जीत का जश्न मनाया जाता है।

Report :  Nitin Gautam
Published By :  Shweta
Update:2021-11-13 22:42 IST

Mathura News: पूरे देश में जहां दीपावली से पहले अन्याय पर विजय का प्रतीक विजय दशमी के दिन रावन के पुतले का दहन किया जाता है। वहीं दीपावली के दस दिन बाद कृष्ण की नगरी मथुरा (Mathura ki parampara) में अत्याचारी कंश के पुतले को लाठियों से पीटा जाता है,और फिर मनाया जाता है। अन्याय पर न्याय की जीत का जश्न । हाथों में लाठियां लेकर 'छज्जू लाये खाट के पाये, मार-मार लट्ठन झूर कर आये' गाते ये लोग मथुरा के चतुर्वेदी समाज से है और ये कंस का वध करने के बाद अपनी ख़ुशी का इजहार कर रहे हैं, मौका है  मथुरा में आयोजित किये गए कंस-वध मेले का। कृष्ण नगरी मथुरा में हर साल कार्तिक-शुक्ल दशमी के  दिन चतुर्वेदी समाज के कंस-वध मेले का आयोजन किया जाता है। परंपरा है कि इसी दिन कृष्ण ने अपने अत्याचारी  मामा कंस का वध किया था।

इसी परंपरा का पालन करते हुए चतुर्वेदी समाज के लोग इस दिन मथुरा (Mathura Fair) में विश्राम घाट से लेकर कंस टीले तक एक शोभायात्रा निकालते है, जिसमे हाथी पर सवार हुए कृष्ण-बलराम  के स्वरुप और हाथ में लाठियां लिए हुए चतुर्वेदी समाज के लोग शामिल होते हैं। जब ये शोभायात्रा कंस टीले पर पहुंचती है तो कृष्ण-बलराम के स्वरुप यहाँ स्थापित किये गए कंस के विशालकाय पुतले को युद्ध के लिए ललकारते है और कृष्ण-बलराम द्वारा युद्ध की विधिवत शुरुआत करने के बाद चतुर्वेदी समाज के लोग अपनी लाठियों से कंस को ढेर कर देते हैं।

कंस का वध करने के बाद सभी चतुर्वेदी समाज के लोग कंस के पुतले  को घसीटते हुए और सामूहिक गायन  करते हुए विश्राम-घाट तक एक विजय-जुलूस निकालते है,और अपना परम्परागत गीत गाते है .छज्जू जी आये खाट का पाया लाये और इस गीत के साथ निकालते है शोभायात्रा। इस अनोखे मेले मै शामिल होने के लिये देश -विदेश मै रहने वाले कृष्ण के सखा रुपी चतुर्वेदी समाज के लोग मथुरा आते है और कंश के पुतले पर चलाते है लाठियां। 

चतुर्वेदी समाज के लोग महीने भर पहले से कंस बध की तैयारी शुरू कर देते हैं और इसके लिए विशेष तरह की लाठियों का प्रयोग किया जाता है जो की राजस्थान के अलवर,कोसी और मिर्जापुर से मंगाई गयी। दरअसल में कंस का वध यहां बड़े ही अलग अंदाज में किया जाता है जिस तरह रावण के पुतले को आग लगाकर दहन किया जाता है वहीं मथुरा में कंस के विशाल काय पुतले को चतुर्वेदी समाज के लोग लाठियों से पीट पीट कर छलनी करते है, और उसे पूरे सहर में ले कर घुमते हैं इस दौरान वो लगातार उस पर लाठियों की वारिश करते रहते हैं कंस-वध मेले को लेकर चतुर्वेदी समाज के लोगों में खासा उत्साह रहता है/ इस दिन ना सिर्फ सभी लोग नए कपडे पहनते है, बल्कि घरों में भी विशेष पकवान तैयार किये जाते हैं।

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