Mathura News: साध्वी ऋतंभरा के वात्सल्य ग्राम की कल्पना हो रही साकार, अधिवक्ता बेटी की कराई शादी

Mathura News: साध्वी ऋतंभरा में वात्सल्य ग्राम में एक बार फिर शहनाई की धुन सुनाई दी। शहनाई की धुन पर सभी लोग जमकर थिरके और खुशी खुशी बेटी को पिया घर के लिए विदा किया।

Report :  Nitin Gautam
Published By :  Deepak Kumar
Update: 2022-02-21 09:49 GMT

 साध्वी ऋतंभरा व उनकी अधिवक्ता बेटी।

Mathura News: साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara) ने जिस मानवतावादी सामाजिक प्रकल्पों की प्रेरणा के साथ वात्सल्य ग्राम की आधारशिला रखी थी। आज वह साकार रूप में दिखाई देने लगी है। वात्सल्य ग्राम (Vatsalya Gram) में एक बार फिर शहनाई की धुन सुनाई दी। शहनाई की धुन पर सभी लोग जमकर थिरके और खुशी खुशी बेटी को पिया घर के लिए विदा किया। इस मौके पर साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara) ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आज समाज ऋतंभरा की बेटियों को स्वीकार कर रहा है।

ये तस्वीरें वृन्दावन स्थित वात्सल्य ग्राम की है। जहां दुल्हन बनी वात्सल्य ग्राम (Vatsalya Gram) की बेटी कुमारी ऋचा के रक्त के संबंधों का तो पता नहीं था, क्योंकि ऋचा को अपनों ने ही अनाथ बना दिया था और सड़कों पर छोड़ दिया था, लेकिन दीदी मां के सानिध्य में ऋचा को एक दिन बाद से ही वात्सल्य मिला और आज वह दुल्हन बन पिया के घर के लिए रवाना हो रही है। ऋचा ने वकालत की है और उसे इंजीनियर लड़का जीवनसाथी के रूप में मिला है। साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara) के वात्सल्य में मिले प्यार दुलार को ऋचा ने अपनी खुदकिस्मती बताया और कहा कि जो दीदी मां से सीखने को मिला है वह उसे जीवन भर याद रखेगी ओर उसका पालन करेगी।

वात्सल्य (Vatsalya Gram) में पली बढ़ी ऋचा को भाव संबंधों की मां सुमन परमानंद के लाढ-प्यार ने कभी किसी बात की कमी महसूस नहीं होने दी। वहीं, धर्म पिता संजय गुप्ता ने भी पढ़ा लिखा कर सुयोग बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विवाह योग्य होने पर सुमन की इंदौर के राजेंद्र चौहान के पुत्र अर्पित से रिश्ता तय हो गया। रिश्ता तय होने के साथ ही विवाह की तारीख तय हुई। मध्यप्रदेश के इंदौर से वात्सल्य ग्राम (Vatsalya Gram) वृंदावन में बारात आई।

हिंदू रीति-रिवाजों से सभी कार्य विधिवत रूप से हुए संपन्न

भारतीय संस्कृति के अनुरूप हिंदू रीति-रिवाजों से सभी कार्य विधिवत रूप से संपन्न हुए मेहंदी, हल्दी, लग्न पत्रिका लेखन के बाद दीदी मां के कृपा पात्र ननिहाल पक्ष के भाव संबंधों में सूरत से लक्ष्मी एवं नानालाल शाह नाना-नानी एवं रेखा, राजू भाई शाह ने मामी-मामा की भूमिका में भात पहनाने की रस्म अदा की बारात भी धूमधाम से चढ़ी। जय माल के बाद आचार्य विष्णुकांत ने वैदिक मंत्रों द्वारा विधि विधान से विवाह संपन्न कराया और अग्नि को साक्षी मानकर ऋचा ने अर्पित के साथ सात फेरे लिए और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। संतों आदि ने नव युगल को अपने आशीर्वाद दिए। 21 की सुबह तारों की छांव में ऋचा को दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने अपने आशीर्वाद देकर विदा किया।

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