पूँजी बाजार में आइये, अपनी एसएमई या स्टार्टअप्स के लिए पूँजी जुटाइये 

Update:2020-01-15 15:57 IST

आज जबकि देश भर में उद्यमिता के विषय में तरह तरह से बातें हो रही हैं। सरकार इनको प्रोत्साहित करने में जुटी हुई है। कैसे उद्यमिता के लिए माहौल को सुलभ किया जाय। ज्यादा से ज्यादा स्टार्टअप कैसे स्थापित हों। लघु एवं मध्यम उद्यम कैसे आगे कैसे बढ़ें। इन सब बातों पर चर्चा हो रही है। क्योंकि उद्यमिता ही देश के आर्थिक विकास को आगे बढ़ायेगी और उद्यमिता ही इस देश की युवा पीढ़ी के लिए अधिकतम रोजगार मुहैया कराएगी।

पूँजी बाजार एवं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज

उद्यमिता की स्थापना और उसके विकास के लिए पूँजी सर्वाधिक महत्वपूर्ण यंत्र होता है। उद्यमिता के लिए उद्यमी विभिन्न माध्यमों से पूँजी एकत्र करते हैं, जिनमें स्वयं की जमा पूँजी, दोस्तों रिश्तेदारों से लिया गया ऋण, बैंकों से लिया जाने वाला ऋण इत्यादि। इन परम्परागत माध्यमों के अतिरिक्त शेयर बाजार अथवा पूँजी बाजार उद्यमिता के लिए पूँजी एकत्रण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत में "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज" पूँजी बाजार के माध्यम से उद्यमिता के लिए धन मुहैया कराने वाली सबसे पुरानी संस्था है।

पूँजी बाजार में प्रवेश के लिए सबसे पहले कोई भी कम्पनी अपना आईपीओ लाती है। इस आईपीओ अथवा प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश के माध्यम से कम्पनी अपना दस रूपये का एक शेयर बाजार भाव पर जन सामान्य को बेचने का प्रस्ताव प्रदान करती है। पूँजी बाजार में उस कम्पनी के प्रस्ताव की माँग के अनुरूप यह दस रूपये का शेयर बाजार भाव पर बिकता है। सामान्य भाषा में इसी प्रकार पूँजी बाजार से कम्पनी अपने विकास के लिए पूँजी इकठ्ठा करती है। इस आईपीओ लिस्टिंग के बाद कम्पनी के शेयर सम्बंधित एक्सचेंज पर रोजाना की मांग के अनुरूप खरीदे और बेचे भी जाते हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एवं नैशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज भारत ही नहीं, वरन एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना 1875 में की गई थी।

आज हम "Newstrack" में बात कर रहे हैं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की। वर्तमान दशक, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा है। इस दौरान बीएसई ने बड़ी कम्पनियों के आलावा लघु एवं मध्यम इकाइयों एवं स्टार्टअप्स को भी पूँजी बाजार में प्रवेश करने का मौका देने की पहल की। मार्च, 2012 में बीएसई ने लघु एवं मध्यम उद्यमों को पूँजी बाजार प्रवेश में दिया। जबकि दिसंबर, 2018 में बीएसई ने स्टार्टअप्स को भी पूँजी बाजार में प्रवेश देने की पहल की। इन्हीं सब संदर्भों को समझने के लिए "Newstrack" ने बात की बीएसई एसएमई एवं स्टार्टअप एक्सचेंज के प्रमुख "अजय ठाकुर" से।

बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म

अजय ठाकुर बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म के सन्दर्भ में बताते हुए कहते हैं, बीएसई लिमिटेड ने सेबी द्वारा निर्धारित नियमों एवं प्रावधानों के तहत बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म की स्थापना की है। बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म उद्यमिता के संवर्धन हेतु एक उद्यम तथा निवेशक सहायक वातावरण उपलब्ध करवाता है। यह प्लेटफॉर्म देश भर में फैली छोटी एवं मध्यम आकार की असंगठित कंपनियों (एसएमई) को एक नियामित एवं संगठित सेक्टर के तौर पर शेयर बाजार में सूचीबद्ध अथवा लिस्टेड होने का मौका उपलब्ध करवाता है।

बीएसई एसएमई प्रमुख आगे बताते हैं कि सूचीबद्ध एसएमई कंपनियां बीएसई एसएमई प्लेटफार्म के माध्यम से अपने विकास के लिए वित्त बाजार में प्रवेश कर सकती हैं। बीएसई एसएमई इन छोटी एवं मध्यम आकार की कंपनियों को उनके विकास एवं विस्तार हेतु इक्विटी यानी पूंजी जुटाने में सहायता प्रदान करता है। इस पूंजी से ये कंपनियां अपना विकास कर सकती हैं। इसके साथ ही ये कंपनियां एक निश्चित समयावधि के बाद निर्धारित नियमों एवं प्रावधानों के तहत बीएसई के मेन बोर्ड यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर भी स्थानांतरित हो सकती हैं।

बीएसई एसएमई अपने इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से उद्यमियों एवं निवेशकों को बाजार में भागीदारी प्रदान करते हुए उन्हें व्यापक अवसर उपलब्ध करवाता है।

उद्यमियों के लिए अवसर: छोटी एवं मध्यम आकार की कंपनियों (एसएमई) को उनके विकास तथा विस्तार के लिए कम लागत पर इक्विटी पूंजी जुटाने की सुविधा प्रदान करता है।

निवेशकों के लिए अवसर: प्रारंभिक चरणों में ही अच्छी कंपनियों की पहचान करने तथा उनमें निवेशकों को निवेश करने की सुविधा प्रदान हुए, दीर्धावधि पूंजी उपार्जन कर लाभ प्राप्त करते हुए, उन्हें आसान एक्जिट रूट भी प्रदान करता है।

एसएमई लिस्टिंग प्रक्रिया

सूचीबद्धता या लिस्टिंग की प्रक्रिया के सन्दर्भ में बात करते हुए अजय ठाकुर बताते हैं बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर किसी भी प्रकार की कंपनी लिस्ट हो सकती है। 2012 में बीएसई एसएमई एक्सचेंज शुरू हुआ है और समय समय पर बाजार की स्थितियों अनुरूप हमने एसएमई इकाइयों के हितार्थ दिशा निर्देशों में काफी ढील दी है या परिवर्तन लाये हैं। वर्तमान गाइडलाइन्स के अनुरूप बीएसई एसएमई एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के लिए कंपनी कम से कम तीन साल पुरानी होनी चाहिए। दो साल का उसमें प्रॉफिट होना चाहिए तथा नेट टांजिएब्ल एसेट्स कम से कम 3 करोड़ रुपये के होने चाहिए।

स्टार्टअप लिस्टिंग प्रक्रिया

जबकि 2018 में शुरू हुए स्टार्टअप बीएसई प्लेटफॉर्म के लिए कंपनी कम से कम दो साल पुरानी होनी चाहिए। जबकि उसकी नेटवर्थ हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए, नेटवर्थ को पेडअप कैपिटल या रिजर्व्स इत्यादि के आधार पर मापा जाता है। स्टार्टअप कंपनी शुरुआत के दो तीन साल अगर लॉस मेकिंग भी है तो चल सकती है, क्योंकि स्टार्टअप प्रायः शुरुआत में प्रॉफिट नहीं दिखा पाते हैं। कंपनी भारत सरकार के डीआईपीपी विभाग के साथ स्टार्टअप के रूप में पंजीकृत होनी चाहिए। यदि डीआईपीपी के साथ कंपनी पंजीकृत नहीं है तो उसका पेडअप कैपिटल काम से कम 1 करोड़ होना चाहिए।

एसएमई एवं स्टार्टअप प्लेटफॉर्म्स का प्रदर्शन

जहाँ तक बीएसई एसएमई एवं स्टार्टअप प्लेटफॉर्म्स के प्रदर्शन का सवाल है, उसके सन्दर्भ अजय ठाकुर कहते हैं हमारा अब तक का प्रदर्शन काफी उत्साहजनक ही रहा है। अब तक एसएमई प्लेटफॉर्म पर 312 कंपनियां लिस्ट हो चुकी हैं। जिनमें से 75 कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करते हुए मेनबोर्ड पर भी शिफ्ट हो चुकी हैं। जबकि 55-60 एसएमई कंपनियों ने लिस्टिंग के लिए फाइल कर दिया है और सूचीबद्धता की प्रक्रिया में हैं।

जबकि स्टार्टअप प्लेटफॉर्म तो अभी जल्द ही लांच हुआ है, फिर भी इस पर तीन कंपनियां लिस्ट हो चुकी हैं। पाँच अन्य स्टार्टअप ने भी मैंडेट साईन कर लिया है एवं एक स्टार्टअप ने फाइलिंग भी की है। जल्द इन स्टार्टअप्स की भी प्रक्रिया पूरी होने के साथ इनके प्लेटफॉर्म पर आ जाने की सम्भावना है।

लिस्टिंग के फायदे

लिस्टिंग के फायदों के बारे में अजय ठाकुर बताते हैं, एसएमई कंपनियों के लिए लिस्टिंग का सर्वप्रमुख फायदा यह है कि इसके माध्यम से विकास उन्मुख एसएमई इकाइयां पूँजी तक आसान पहुँच बना लेती हैं। लिस्टिंग से कंपनी की दृश्यता एवं प्रतिष्ठा बढ़ती है। लिस्टिंग के द्वारा जहाँ एक और कंपनियों की विश्वसनीयता बढ़ती है। वहीं दूसरी ओर इससे उनकी वित्तीय स्थिति भी मजबूत होती है। जिसके प्रभावस्वरूप कंपनी के शेयर्स की मांग बढ़ने के साथ कंपनी की वैल्यूएशन भी बढ़ती चली जाती है। इक्विटी द्वारा किये गए वित्तपोषण से एसएमई इकाइयों का विस्तार, विलय एवं अधिग्रहण लागत प्रभावी होने के साथ साथ करों के लिहाज से अनुकूल होता चला जाता है। लिस्टिंग के साथ कंपनियों के लिए कर्मचारी स्टॉक विकल्प भी खुल जाते हैं, जिससे कर्मचारियों की प्रतिबद्धता, भागीदारी एवं उनका प्रोत्साहन सुनिश्चित होता चला जाता है।

भविष्य की बात

भविष्य के सन्दर्भ में बात करते हुए, अजय ठाकुर कहते हैं, "प्रेजेंट इस गोइंग गुड एन्ड फ्यूचर इज परफेक्ट"। हमारे देश का एसएमई सेगमेंट हमारी अर्थव्यवस्था रीढ़ है। ये एसएमई इकाइयाँ बरसों बरस से भारत के औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आ रही हैं। और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि एसएमई सेक्टर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में समरूप से युवाओं एवं अन्य देशवासियों के लिए रोजगार एवं उद्यमिता के अवसर उपलब्ध करवा रहा है। अतः देश एवं महाद्वीप के सर्वाधिक प्रतिष्ठित एवं पुराने स्टॉक एक्सचेंज होने के नाते "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज" का भी फर्ज बनता है कि हम इन महत्वपूर्ण उद्यम इकाइयों को अधिकतम सहयोग प्रदान करें। जहाँ तक स्टार्टअप सेगमेंट की बात है तो उद्यमिता की बयार भारतीय युवाओं की रगों में रच बस गई है। भारत ने पिछले एक दशक में स्टार्टअप परिदृश्य में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। इस प्रक्रिया में भारत विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप गंतव्य के रूप में उभर रहा है। जब हमारे पास इस प्रकार के अभूतपूर्व संसाधन मौजूद हैं तो उन्हें फलने फूलने का मौक़ा देना और उद्यमिता विकास के लिए उपयुक्त इकोसिस्टम प्रदान करना हमारी सरकारों एवं संस्थाओं का फर्ज है।

तो अगर आप अपनी एसएमई अथवा स्टार्टअप इकाई के विस्तार हेतु पूँजी की तलाश में हैं, तो आप बीएसई एसएमई अथवा स्टार्टअप्स बीएसई पर जायें। वहाँ से आपको सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकती। वहां से आप संपर्क सूत्र प्राप्त कर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की टीम से सीधी बात भी कर सकते हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज इन दोनों ही एक्सचेंजों के लिए समय समय पर इवेंट्स के माध्यम से जागरूकता अभियान भी चलाता रहता है। इन इवेंट्स में शामिल होकर भी आप आपके स्टार्टअप अथवा एसएमई के लिए पूँजी एकत्रण से सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

किसी भी जानकारी के लिए आप मुझे भी sharma.maayank@yahoo.com पर संपर्क कर सकते हैं।

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